जब मेरी सर्जरी हो रही थी तो मेरे पति बॉर्डर पर कर रहे थे चौकीदारी
जागरण संवाददाता झज्जर तीन पीढि़यों से सैनिक परिवार से जुड़ी पैरा ओलंपियन दीपा मलिक खा
जागरण संवाददाता, झज्जर : तीन पीढि़यों से सैनिक परिवार से जुड़ी पैरा ओलंपियन दीपा मलिक खास तौर पर मातनहेल रैली में वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के निमंत्रण पर पहुंची थी। बातचीत के दौरान बताया कि सुबह ही फोन आया था कि कार्यक्रम में बहुत से सैन्य परिवारों से मिलने का मौका मिलेगा। खेल के मैदान से सीधा यहां तक पहुंची हूं। मलिक के मुताबिक जब मेरी सर्जरी हो रही थी उस दौरान मेरे पति कारगिल में थे। यानि कि मेरे पति बॉर्डर पर चौकीदारी कर रहे थे। जबकि मेरी दोनों बेटियां मेरे पास थी। मैने सैनिक परिवार के दर्द को नजदीक से समझा हैं और इस दर्द को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समझा हैं। इसलिए मैं उनसे प्रभावित हूं।
पार्टी में शामिल होने से जुड़े विषय पर दीपा ने कहा कि निमंत्रण मिला था और समाज की दिव्यांगों के प्रति सोच बदलने के अलावा सरकार के स्तर पर चलाई जा रही अन्य नीतियों को जनता तक बेहतर ढंग से पहुंचाने के लिए आई हूं। रोहतक से चुनाव लड़ने के विषय पर उनका कहना था कि वे खिलाड़ी है, खेल के मैदान में उतरने के लिए समय नहीं लगता। हां, चुनाव लड़ना है या नहीं। कहां से लड़ना है, के विषय पर प्रधानमंत्री या सीएम ही निर्णय लेंगे।
दिव्यांग शब्द को सम्मान से जोड़ते हुए दीपा मलिक ने कहा कि आज दिव्यांगों को मुख्य धारा में लाने की जरूरत है। नदियां तैरने की बात हो या हिमालय पर चढ़ने की बात हो, गाड़ी चलाने की बात हो या अन्य कोई कार्य, दिव्यांग किसी भी कार्य में पीछे नहीं है। इसलिए उन्हें यह समझाया जाना जरूरी है। साथ ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अलावा स्वच्छता को लेकर जिस प्रकार से आज देश के लोगों की सोच बदली हैं, का अभियान जारी रहना चाहिए।