मौसम होने लगा सर्द, रात के समय में अलाव की शरण में मिल रही मदद
जागरण संवाददाता, झज्जर : रात से शुरू हुई ठंडी हवाओं और हल्की बूंदा-बांदी ने बुधवार क
जागरण संवाददाता, झज्जर : रात से शुरू हुई ठंडी हवाओं और हल्की बूंदा-बांदी ने बुधवार को सर्दी के असर को एक दम से बढ़ा दिया है। अलसुबह औंस गिरने और करीब दोपहर एकाएक कुछ समय के लिए पुन: हुई बूंदा-बांदी से भी तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। घटते हुए तापमान के बीच बाजार में रौनक दिखाई दी है। खान-पान के सामान के अलावा गर्म वस्त्रों की मांग बढ़ी है। शहर के विभिन्न बाजारों में लोग गर्म वस्त्र खरीदते दिखाई दिए। इसके अलावा तिब्बती बाजार और सड़क किनारे फड लगाकर गर्म वस्त्र बेच रहे लोगों के पास भी अन्य दिनों की अपेक्षा ग्राहक ज्यादा दिखाई दिए। वहीं ठंड के चलते जहां बुजुर्ग बिस्तर में रहते हुए अलाव की शरण में बचने का प्रयास करते दिखें। वहीं हलकी बूंदा-बांदी और बढ़ती ठंड किसानों और खेती के लिए भी फायदेमंद है। किसानों का कहना है कि गेहूं और सरसों दोनों फसल के लिए बारिश और ठंड लाभकारी है। अगर बारिश तेज आती है तो उनके एक पानी की भी बचत होगी। ---दिनभर बदलता रहा मौसम का मिजाज वैसे तो मौसम ठंड का ही चल रहा है। लेकिन पहले ठंड सिर्फ अलसुबह और रात के समय में ही महसूस होती थी। लेकिन बुधवार को दिन में ही ठंड ने अपना अहसास करवाया। दिनभर मौसम का मिजाज बदलता रहा। कभी आसमान में बादल तो कभी हलकी धूप निकलती रही। दिनभर सूर्य देव और बादलों के बीच आंख- मिचौली का खेल चलता रहा। जिसका असर आम जन-जीवन पर भी दिखाई दिया। लोग जहां अपने शरीर को पूरी तरह से ढांपे हुए दिखाई दिए तो बुजुर्ग अलाव की शरण में रहे। जिसके चलते लोगों को शुरूआती गुलाबी ठंड के बाद अब धुंध और कोहरे की आहट भी सुनाई देने लगी। ---बुजुर्ग और बच्चों का रखे ध्यान हालांकि ठंड से मनुष्य, पशु, पक्षी सभी प्रभावित होते है। लेकिन बुजुर्गों और बच्चों का इस मौसम में ज्यादा ध्यान रखा जाता है। जिसके चलते चिकित्सक बुजुर्गों को पूर्णतया कपड़े से ढांपने के अलावा धूम्रपान नहीं करने और सुबह और शाम सैर नहीं करने की भी सलाह दे रहे हैं। मौसम में बदलाव के चलते बाजार पर भी इसका पूर्णतया असर दिखाई दिया। पहली ठंड के दौरान ही लोग अपने घरों से निकले और बाजार में गर्म वस्त्रों की खरीददारी की। इसके अलावा जूतों और खाद्य पदार्थो की दुकानों पर भी पहले की अपेक्षा अधिक भीड़ रही। बाजार में रेवड़ी, मूंगफली और गज्जक की भी मांग रही। --किसान बोले ठंड से होगा लाभ
किसान सतीश ने बताया कि ठंड होने से ही गेहूं की फसल तैयार होती है। अगर ठंड नहीं बढ़ेगी तो गेहूं की फसल को नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि औंस की बूंदे जब गेहूं के छोटे-छोटे पौधों पर गिरती है तो कीड़े लगने का खतरा नहीं रहता और पौधे विकसित भी जल्दी होते है। उन्होंने कहा कि अगर बारिश होती है तो गेहूं और सरसों दोनों फसलों के लिए लाभदायक है। उनके एक पानी की बचत भी होगी।