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सेंसर ने छोड़ा साथ, लाइटें बंद करने के लिए चलाना पड़ रहा हाथ

तपस्वी शर्मा, झज्जर: शहर को जगमग करने के लिए नगर पालिका प्रबंधन द्वारा हाईटेक तकनीक का

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 12:04 AM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 12:04 AM (IST)
सेंसर ने छोड़ा साथ, लाइटें बंद करने के लिए चलाना पड़ रहा हाथ
सेंसर ने छोड़ा साथ, लाइटें बंद करने के लिए चलाना पड़ रहा हाथ

तपस्वी शर्मा, झज्जर: शहर को जगमग करने के लिए नगर पालिका प्रबंधन द्वारा हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए करीब तीन माह पूर्व सेंसर युक्त एलईडी लाइटें लगवाई गई थीं। ताजा हालात यह है कि करीब 25 लाख रुपये की लागत से लगी शहर में लगी 480 लाइटों में से अधिकांश के सेंसर ने लाइटों का साथ छोड़ दिया है। अब लाइटों को जलाने के लिए पुराने सिस्टम यानि बटन का प्रयोग किया जा रहा है। शिकायत करने के बाद भी कंपनी के स्तर पर रख-रखाव का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते आमजन परेशान है। वहीं पार्षद भी कंपनी के ठेकेदार पर ढीली सर्विस का आरोप लगाते हुए अपना दुखड़ा रो रहे हैं। उधर, एक दफा फिर उसी कंपनी द्वारा हाईमास्ट लाइटों के टेंडर में आवेदन करने पर पार्षदों में चर्चाओं का बाजार भी गर्म है। सूत्रों के मुताबिक पार्षद इस संबंध में लामबंद भी हो रहे है। पार्षद बैठक कर उक्त फर्म को टेंडर नहीं देने को लेकर उपायुक्त के दरबार में मामला उठाने की योजना बना रहे है। ऐसे में पालिका की व्यवस्था को लेकर भी आमजन में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर सभी योजनाओं में ऐसा क्यों हो रहा है। सेंसरयुक्त लाइटों का यह होता है फायदा

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सेंसर लगी हुई एलईडी में ऐसी तकनीक होती है कि अंधेरा होने के साथ ही लाइटें स्वत: शुरू हो जाती है। सुबह सूर्य की रोशनी के साथ पुन: बंद हो जाती है। जिससे मेन पावर बचती है और समय की भी बचत होती है और अतिरिक्त समय तक भी चालू नहीं रहती।

पालिका द्वारा करीब तीन माह पूर्व 25 लाख रुपये की लागत से 480 लाइटों का टेंडर छोड़ा था। जिस कंपनी को टेंडर अलॉट हुआ था नियमों के मुताबिक उसे आगामी पांच वर्षो तक रखरखाव की जिम्मेवारी उसकी कंपनी की बनती है। लेकिन तीन माह बाद ही आई खराबी के बाद कंपनी स्तर पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। मोबाइल टॉयलेट और कूड़ेदानों भी हैं बदहाल स्थिति में

इससे पूर्व पालिका द्वारा 25 लाख रुपये की लागत से रखवाए गए मोबाइल टायलेट, शहर में विभिन्न स्थानों पर रखवाएं गए छोटे और बड़े कूड़ेदान भी बदहाल स्थिति में है। जनता का रुपया नगरपालिका प्रशासन द्वारा बगैर किसी ठोस योजना के ठिकाने लगाया जा रहा है। स्थिति में प्रशासनिक स्तर पर भी हस्तक्षेप करते हुए कोई जिम्मेवारी तय नहीं की जा रही।

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हमारे वार्ड की कई लाइटों में सेंसर सिस्टम खराब है। शिकायत करने पर सर्विस नहीं मिल पा रही है। एक बार शिकायत करने पर 15 दिनों तक भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मुहल्ला निवासी अपनी शिकायत लेकर पहुंच रहे है। जिसके चलते परेशानी हो रही है।

सुरेश, पार्षद, वार्ड-12।

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हमारेवार्ड की 15 से अधिक लाइटों के सेंसर खराब हैं। शिकायत करने के बावजूद कोई ध्यान नहीं दे रहा। पालिका के अधिकारियों और कंपनी के ठेकेदार को भी शिकायत की जा चुकी है। लेकिन कोई भी ठीक करने के लिए नहीं आ रहा है।

मीना देवी, पार्षद, वार्ड-तीन।

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लाइटों के सेंसर खराब पड़े है। बटन लगाकर काम चलाया जा रहा है। सप्ताह भर पूर्व ठीक करवाने के लिए शिकायत दर्ज करवाई थी। लेकिन अभी तक कोई नहीं आया है। वार्ड निवासी बार- बार उनके पास आ रहे है। जिसके चलते परेशानी हो रही है।

ईशवंती देवी, पार्षद, वार्ड- 5

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ठेकेदार को एक सप्ताह का नोटिस दिया हुआ है। अगर एक सप्ताह में व्यवस्था दुरूस्त नहीं होती है तो जमानत राशि को जब्त कर लिया जाएगा।

मंदीप, जेई, नगर पालिका, झज्जर।

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एलईडी लाईट के सेंसर खराब होने की शिकायत उन्हें मिली है। फर्म के ठेकेदार को इस संबंध में सख्त चेतावनी दी गई है। अगर फिर भी समयानुसार लाईटें ठीक नहीं की जाती है तो नियमानुसार सख्त कार्यवाही की जाएगी।

कविता नंदवानी, चेयरपर्सन, नगरपालिका झज्जर।


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