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अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस : जन सेवा के साथ व्यक्तित्व में हुआ निखार

एक पंथ दो काज की कहावत तो सभी ने सुनी है लेकिन यह फिट किसी-किसी पर ही बैठती है। रेडक्रॉस के वॉलंटियर भी इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए जन सेवा में जुटे हुए हैं। एक तरफ उन्होंने आगे बढ़कर लोगों की सेवा की। जिससे खुद में सकारात्मक आत्मविश्वास भी बढ़ा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 06:00 AM (IST)
अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस : जन सेवा के साथ व्यक्तित्व में हुआ निखार

जागरण संवाददाता, झज्जर : एक पंथ दो काज की कहावत तो सभी ने सुनी है, लेकिन यह फिट किसी-किसी पर ही बैठती है। रेडक्रॉस के वॉलंटियर भी इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए जन सेवा में जुटे हुए हैं। एक तरफ उन्होंने आगे बढ़कर लोगों की सेवा की। जिससे खुद में सकारात्मक आत्मविश्वास भी बढ़ा। वहीं दूसरों के सामने बोलने में होने वाली हिचकिचाहट भी दूर हुई। आज किसी के समक्ष भी वे अपनी बात रखने में नहीं हिचकिचाते।

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पढ़ाई के साथ जनसेवा में जुटे वॉलंटियर देव कुमार व अजीत ने अपने अनुभव सांझा किए। बीएससी नॉन मेडिकल द्वितीय वर्ष के छात्र बहादुरगढ़ निवासी अजीत ने बताया कि वह करीब दो वर्ष पहले रेडक्रॉस से जुड़े थे। पहले उन्होंने ट्रेनिग ली, ताकि वह लोगों की मदद कर सके। इसके बाद वे वॉलंटियर बनकर दूसरों की मदद के लिए जुट गए। जहां भी जरूरत होती है। वे पीछे नहीं हटते। अजीत ने बताया कि फिलहाल वे किसान आंदोलन के दौरान सेवा भाव से जुटे हुए हैं। लोगों की मदद करने से उन्हें सकारात्मक प्रेरणा मिलती है। करीब दो साल तक के इस सफर में वे कई लोगों के मदद कर चुके हैं। अब कहीं भी कोई जरूरतमंद दिखाई देता है तो मन से भी मदद करने की आवाज आती है। इसके साथ ही खुद के व्यक्तित्व भी निखरा है। किसान आंदोलन में निभा रहे फर्ज, खाने से लेकर चिकित्सा सुविदा दे रहे

बहादुरगढ़ निवासी देव कुमार ने बताया कि वे करीब दो साल पहले रेडक्रॉस से जुड़े थे। इसके बाद फ‌र्स्ट एड व अन्य तरीके से मदद करने की ट्रेनिग ली। इसके बाद वे वॉलंटियर बनकर लोगों की मदद करने में जुट गए। फिलहाल वे बहादुरगढ़ में किसान आंदोलन के दौरान सेवा के लिए जुटे हुए हैं। हर रोज उनकी टीम करीब 500-600 लोगों को मास्क, खाद्य सामग्री वितरण करके व मेडिकल सुविधा देकर मदद करती है। लोगों की मदद करने में एक अलग ही सुकून मिलता है। उन्होंने बताया कि वॉलंटियर बनने के बाद टीम में काम करना सीखा। साथ ही दूसरों से बातचीत करने के लिए भी विश्वास बढ़ा है। जहां पहले अपने तक ही सीमित रहते हुए दूसरों से बातचीत करने में भी हिचकिचाहट होती थी। लेकिन अब काफी अनुभव मिले हैं और दूसरों से खुलकर बातचीत भी कर सकते हैं।


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