समय से पहले रावण का हुआ दहन, पुलिस की मुस्तैदी ने जमा नहीं होने दी भीड़
जागरण संवाददाता झज्जर वर्षों से चली आ रही परंपरा का रविवार को अलग ही रुप देखने को मि
जागरण संवाददाता, झज्जर : वर्षों से चली आ रही परंपरा का रविवार को अलग ही रुप देखने को मिला। यह भी कहा जा सकता है कि इस बार प्रक्रिया के तहत निभाई जाने वाले परंपरा कोविड-19 की भेंट चढ़ गई है। कारण कि शहर में रावण दहन के कार्यक्रम की प्रशासन की ओर से कोई मंजूरी नहीं दी गई। ऐसी स्थिति में श्री प्राचीन रामलीला कमेटी की ओर से 10 फीट का रावण दहन करते हुए केवल रस्म अदायगी की गई। हालांकि, इस दौरान भीड़ जमा नहीं होने के मद्देनजर पुलिस भी वहां पर मौजूद रही। जबकि, समय से पहले ही रावण का दहन करते हुए परंपरा का निर्वाह किया गया।
बॉक्स : बता दे कि रामलीला मंचन पर भी कोविड 19 का प्रभाव पड़ा है। प्रशासन ने भीड़ भाड़ की स्थिति को देखते हुए धार्मिक आयोजनों पर भी कोविड-19 के नियम लागू रखें। नवरात्र की शुरुआत के साथ ही शहर में अलग-अलग रामलीला का सजीव मंचन होता था। लेकिन, अब की दफा ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, दैनिक जागरण ने लोगों की धार्मिक भावनाओं को समझते हुए विशेष तौर पर रामलीला का मंचन भी किया। इधर, करीब 250 साल से चली रही श्री प्राचीन रामलीला कमेटी की ओर से रामलीला मैदान क्षेत्र में रामायण का पाठ रखा गया। सुबह के समय में शस्त्र पूजा के बाद प्रक्रिया के तहत लीला का मंचन हुआ। भीड़ से किनारा करते हुए आयोजकों ने शाम तक गति बनाए रखी। इधर, जब मेला स्थल पर भीड़ बढ़ने लगी तो मौके पर पहुंची पुलिस की टीम को मेहनत करनी पड़ी। जबकि, समिति से जुड़े सदस्यों को समय से पहले ही रावण दहन की परंपरा पूरी करनी पड़ी। बता दे कि प्रशासन से मंजूरी लेने के लिए कमेटी के पदाधिकारी आखिरी समय तक प्रयास करते रहे। यहां हर साल मथुरा वृंदावन से कलाकार आकर अपने अभिनय की छाप छोड़ते थे, लेकिन इस बार यह रामलीला नहीं हुई। बॉक्स :
प्राचीन रामलीला कमेटी के संरक्षक आजाद दीवान ने बताया कि झज्जर में 270 वर्ष से चली आ रही परंपरा के अनुसार लोगों की भावनाओं को देखते हुए आयोजन संपन्न हुआ है। प्रशासनिक स्तर पर मंजूरी नहीं मिल पाने के कारण बड़ा रावण तैयार करने के लिए दिया गया आर्डर भी कैंसिल कर दिया। यदि प्रशासन की मंजूरी मिलती तो शनिवार को ही रावण खड़ा करने की व्यवस्था बना दी जाती।