रात का रिपोर्टर : बेसहारा को नहीं मिल पा रहा सहारा, व्यवस्था के स्तर पर हो रहे प्रयासों में तेजी की जरुरत
- नगर परिषद ने दिया था बेसहारा पशु पकड़ने का ठेका फिर भी रात को सड़कों पर घूमते मिल रहे पशु
जागरण संवाददाता,झज्जर :
नगर परिषद ने शहर वासियों को बेसहारा पशुओं से राहत दिलाने के लिए ठेका भी दिया था। नगर परिषद के अनुसार करीब 500 बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला में छोड़ा गया। लेकिन, धरातल पर हालात फिर से वैसे ही बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। अब भी रात के समय में पहले की ही तरह पशुओं के झुंड कूड़े के ढेर में मुंह मारते नजर आते हैं। यही नजारा शनिवार रात देखने को मिला जब दैनिक जागरण की टीम ने रात का रिपोर्टर कार्यक्रम के तहत शहर का निरीक्षण किया। इस दौरान जगह-जगह बेसहारा पशु घूमते हुए मिले। अंबेडकर चौक व बीकानेर चौक पर तो कूड़े के ढेर में बेसहारा पशुओं का जमावड़ा लगा हुआ था। शहरवासी भी कूड़े को कूड़ादान में डालने की बजाय बाहर डाल रहे थे। ऐसा होने से गंदगी भी बढ़ रही है और परेशानी भी। सुरक्षित नहीं रात को अंधेरे में सड़कों पर सफर
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रात को अंधेरे में सफर करना किसी के लिए भी सहज नहीं है। रात ढलने के बाद बसें भी नहीं मिलती। बस स्टैंड पर पहुंचने वाले लोगों को इंतजार के सिवाए कुछ नहीं मिलता। शनिवार रात को भी बस स्टैंड के मुख्य गेट पर ताला लगा हुआ था। हालांकि बस स्टैंड के बाहर आटो जरूर मौजूद मिले। वहीं शहर की अन्य चौक चौराहों की बात करें तो वहां बेसहारा पशु ही घूमते मिले। कोरोना महामारी का असर कम होने के बाद लोग भी शहर में निकलने लगे हैं। रात के समय लोग भी टहलते मिले। रात के समय सुरक्षा व्यवस्था की बात करें तो रात के समय कोई खास प्रबंध नहीं नजर आए। शहर में राउंड लेते हुए सिर्फ एक पीसीआर धौड़ चौक के नजदीक मिली। अन्य किसी चौक चौराहे पर पुलिस तैनात नहीं थी। ऐसे में अगर शहर के अंदर कोई आपराधिक घटना होती है तो उस स्थिति में शहर वासियों को पुलिस पहुंचने का इंतजार ही करना पड़ेगा।