प्रसव पीड़ा में अस्पताल ने नही संभाला, घर से दोबारा आते समय सड़क पर डिलीवरी
एक गर्भवती को प्रसव पीड़ा के बावजूद लेबर रूम स्टाफ ने नहीं संभाला। वह घर लौट आई। फिर दर्द बढ़ा तो अस्पताल जाने लगी, लेकिन तभी रास्ते में ही उसने बच्चे को जन्म दे दिया।
जेएनएन, बहादुरगढ़ (झज्जर)। शहर के सिविल अस्पताल में आई एक गर्भवती को प्रसव पीड़ा के बावजूद लेबर रूम स्टाफ ने नहीं संभाला। दर्द बढ़ा तो वह मजबूरन घर लौट गई। फिर और पीड़ा बढ़ी तो परिवार उसे लेकर दोबारा अस्पताल की तरफ दौड़ा, लेकिन इस बार अस्पताल के सामने ई रिक्शा में सड़क पर ही उसने बच्ची को जन्म दे दिया।
इसका पता लगा लगते ही ट्रामा सेंटर का स्टाफ दौड़ा और जच्चा-बच्चा को संभाला। बाद में उन्हें वार्ड में भर्ती किया गया। वहां पर दोनों स्वस्थ हैं। इधर, अस्पताल प्रशासन ने इस घटना में अभी तक स्टाफ की लापरवाही सामने न आने की बात कही है।
मूलरूप से बिहार के वैशाली जिले का निवासी और शहर के आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक फुटवीयर कंपनी में काम करने वाला मोहम्मद एकरामूल शाह टीकरी बार्डर पर हरिदास कालोनी में रहता है। उसकी पत्नी नसरीन खातून को डिलीवरी होनी थी। उसे बृहस्पतिवार को चेकअप के लिए ट्रामा सेंटर में लाया गया था। यहां चेकअप के बाद उसे 10 दिन बाद आने को कहा गया, लेकिन रात में ही उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।
तड़के 4 बजे तक उसने पीड़ा झेली फिर उसे उसका पति व सास सिविल अस्पताल में लेकर आए। यहां उसे लेबर रूम में ले जाया गया। नसरीन के पति ने बताया कि उसकी पत्नी को करीब एक घंटे तक स्टाफ ने नहीं संभाला। उसकी फाइल भी तैयार नहीं की। जब उसकी पीड़ा बढ़ी तो वह लेबर रूम से बाहर आ गई। इसके बाद वे मजबूरी में घर चले गए, लेकिन वहां पीड़ा और बढ़ी तब वह फिर से अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल में आ रहा था। वह ई रिक्शा में थी। अस्पताल के सामने पहुंचते ही ई रिक्शा में ही उसकी पत्नी ने बच्ची को जन्म दे दिया।
इस संबंध में सिविल अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. वीरेंद्र अहलावत का कहना है कि इस बारे में स्टाफ से रिपोर्ट ली गई। सुबह में जब गर्भवती को लाया गया था, तब उसे प्रसव पीड़ा तो थी, लेकिन उसे किसी ने घर जाने को नहीं कहा था। वह अपनी मर्जी से चली गई थी। इस मामले में अभी तक स्टाफ की लापरवाही सामने नहीं आई है। फिर भी यदि किसी की ढिलाई सामने आती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।