कोरोना के दौर में मास्क के प्रयोग के लिए जागरूक नहीं लोग
कोरोना के दौर में बीमार होने पर इन दिनों दुकानों से खुद दवा लेकर खाना भी सेहत पर भारी पड़ सकता है। कारण कि कोरोना से पीड़ित लोग अस्पतालों में इलाज के लिए खुद पहुंच रहे हैं। जबकि टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वे अपने साधन से ही वापिस लौटते हैं।
जागरण संवाददाता, झज्जर : कोरोना के दौर में बीमार होने पर इन दिनों दुकानों से खुद दवा लेकर खाना भी सेहत पर भारी पड़ सकता है। कारण कि कोरोना से पीड़ित लोग अस्पतालों में इलाज के लिए खुद पहुंच रहे हैं। जबकि, टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वे अपने साधन से ही वापिस लौटते हैं।
बढ़ते हुए कोरोना के केसों की संख्या में हमें समझना होगा कि अब किसी भी तरह की लापरवाही से काम नहीं चलेगा। खास तौर पर मास्क एवं सैनिटाइजर के इस्तेमाल को लेकर। इसलिए चिकित्सक कहते हैं कि कोरोना होने पर घबराएं नहीं, समय पर इलाज कराएं। इसके अलावा जो लोग स्वस्थ हैं वे कोरोना से बचाव के लिए नियमों का ठीक से पालन करते रहें। यदि बचाव के नियमों का ठीक से पालन करेंगे तो कोरोना ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होगा। इसलिए जरूरी है कि घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर पहनें। यदि बीमारी है तो उसे छिपाएं नहीं। अपनी मर्जी से कोई भी दवा नहीं खाएं। डॉक्टर को दिखाएं। होम आइसोलेशन में रहने वाले लोग खूब पानी पिएं। ताकि शरीर का हाइड्रेशन ठीक रहे। ज्यादा बुखार व सांस लेने में परेशानी हो तो तुरंत अस्पताल जाएं। पल्स ऑक्सी मीटर से शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की जांच करते रहें। कुल मिलाकर, कोरोना के इस दौर में सावधानी में ही समूल बचाव है। अस्पताल में आए तिमारदारों में नहीं दिख रही गंभीरता
सिविल अस्पताल में पुराने माहौल जैसी भीड़ फिर से दिखने लगी है। आपातकालीन विभाग, पार्किंग, कैंटीन सहित अन्य क्षेत्रों में मरीजों के साथ आने वाले तिमारदार दिन भर मौजूद रहते हैं। जो कि प्रक्रिया के तहत अपनी बारी का इंतजार करते हैं तो उस दौरान बैठने के लिए स्थान का चयन करने, एक दूसरे से बातचीत के समय मास्क का इस्तेमाल नहीं करने आदि की लापरवाही देखने को मिली। हालांकि, स्वास्थ्य सेवा में जुटा स्टाफ तो मास्क लगाए हुए था। लेकिन, अस्पताल में पहुंच रहे लोग विषयानुसार गंभीर नहीं दिखे। - मरीजों के साथ आई महिलाओं ने खुद तो मुंह पर चुन्नी लगाई हुई थी। जबकि, बच्चों के चेहरे पर मास्क नहीं था।
- एक जगह पर बच्चे को मास्क लगा हुआ था तो मोटरसाइकिल पर साथ खड़ा व्यक्ति बगैर मास्क के खड़ा था
- कैंटीन के बाहर इंतजार कर रहे लोग ना तो बैठने के लिए शारीरिक दूरी का ध्यान दे रहे हैं और ना ही सभी मास्क लगाने में गंभीर दिखें
- अस्पताल में उपचार कराने के दौरान ना तो मरीज मास्क लगा रहे थे और ना ही साथ में आए तिमारदार
- लैब, पार्किंग सहित अन्य स्थानों पर कुछ ऐसे लोग भी दिखाई दिए। जिन्होंने मास्क दोनों कानों पर तो लगाया था। लेकिन, उसे मुंह वाले हिस्से पर नहीं लगाया हुआ था। वरिष्ठ चिकित्सक डा. राकेश गर्ग ने कहा कि अकसर देखने में आता है कि कई लोग नियमित तौर पर मास्क नहीं लगाते। शारीरिक दूरी के नियम का भी पालन नहीं कर रहे। यह लापरवाही ठीक नहीं है। कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर घबराने की जरूरत नहीं है। बीमारी के लक्षण होने पर खुद को घर में आइसोलेट करें। परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रहें। होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों को अधिक बुखार या छाती में भारीपन महसूस होने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।