एक वर्ष पूर्व आज ही हुई थी नोटबंदी
- सरकार के मुताबिक डिजीटल इंडिया को बढ़ता हुआ कदम - विपक्ष आर्थिक भ्रष्टाचार के मुद्दे
- सरकार के मुताबिक डिजीटल इंडिया को बढ़ता हुआ कदम
- विपक्ष आर्थिक भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेर रहा सरकार को
जागरण संवाददाता, झज्जर : मोदी सरकार के सबसे बड़े बदलाव को एक साल पूरा होने वाला है। जी हां हम यहां बात कर रहे है- नोटबंदी की। पिछले वर्ष 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट बंद करने का ऐलान किया था। नोटबंदी के बाद एक ओर जहां विपक्षी दलों ने इसे आर्थिक भ्रष्टाचार करार देकर सरकार को घेरने का काम किया। वहीं सरकार ने इस मुद्दे को डिजीटल इंडिया की तरफ बढ़ता हुआ सफलता भरा कदम बताया। बेशक ही विपक्षी आज भी सरकार को इस मुद्दे को लेकर लगातार घेर रहे है। जबकि सरकार आंकड़ों के साथ सामने आते हुए बता रही कि एक वर्ष के समय में किस हद तक सकारात्मक बदलाव हुआ है। जो कि सुधार की एक सतत प्रक्रिया का हिस्सा है।
बॉक्स : नोटबंदी का सबसे बड़ा फायदा डिजिटल लेन-देन के रूप में सामने आया है। डिजीटल लेनदेन की प्रक्रिया में जीएसटी के आने के बाद और अधिक ईजाफा देखने को मिला है। एक ओर जहां शुरूआती दौर में लोगों को कुछ परेशानी हुई। वहीं बाद में डिजीटल से जुड़ने के बाद राहत भी महसूस हुई। रोजमर्रा के कामों में भी डिजिटल लेन-देन देखने को मिला। लोगों ने यहां डेबिट कार्ड, मोबाइल वेलेट, पे-टीएम जैसी डिजिटल सेवाओं को लाभ उठाते हुए डिजिटल लेन-देन किया। नोटबंदी की वजह से लोगों के पास कुछ वक्त के लिए ज्यादा कैश नहीं रहा। इसका फायदा यह हुआ कि फिजूलखर्ची पर भी रोक लगी। यहां उन्होंने सिर्फ जरूरत की चीजों पर ही लोगों ने पैसे खर्च किए।
बॉक्स : पिछले एक साल में कार्ड से होने वाले लेन देन में 60 फीसद तक का इजाफा हुआ है और प्वांइट ऑफ सेल मशीन की संख्या में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि कार्ड से लेन देन करने वालों को तो कैशलेस होने में कोई एतराज नहीं है। लेकिन वह लोग स्वयं अब असहज महसूस करने लगे है। जिनके यहां कैशलेस ट्रांसजैक्शन होती है। चूंकि हर ट्रांसजैक्शन पर संबंधित बैंक को एक तय दर से भुगतान किया जाना निर्धारित किया हुआ है। ऐसे में भुगतान की यह राशि संबंधित व्यापारी या पीओएस धारक पर पड़ने पर अतिरिक्त व्यय है। जिससे लोग अब बचने लगे हैं या पीओएस से किनारा भी करने लगे है। यहां पर ऐसे व्यापारी गुलशन कुमार, राजेश सलूजा आदि का कहना है कि सरकार के स्तर पर ऐसा होना चाहिए कि कार्ड पर लगने वाला चार्ज समाप्त हो जाए। ताकि जिससे कैशलेस भुगतान में ईजाफा होता हुआ दिखाई दें।
बॉक्स : डिजीटल लेन-देन को लेकर जो सबसे बड़ी समस्या आ रही है कि वह है फॉलो-अप की। लोगों का यह कहना है कि बदलते हुए इस दौर में सरकार के स्तर पर सूचना तंत्र को और अधिक मजबूत बनाते हुए अधिकार भी देने चाहिए। हालांकि कुछ लोगों के मन में इस बात को लेकर भी डर बना रहता है कि अगर उन्होंने अपना भुगतान कर दिया और वह गल्त हो गया तो क्या करेंगे। गल्त होने की सूरत में किसे अप्रोच करें। लंबी प्रक्रिया उन्हें सोचने में भी परेशान करती है।