राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस : प्रकृति के अहसास के साथ विदेशी मेहमानों के स्वागत का सदियों से बना रिश्ता
- जिले का एकमात्र प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सरकार ध्यान दे तो लाजवाब बने स्थान
- जिले का एकमात्र प्रसिद्ध पर्यटन स्थल, सरकार ध्यान दे तो लाजवाब बने स्थान
- अक्टूबर से मार्च तक आते हैं विदेशी पक्षी, लुभाते हैं दर्शकों को
- भिडवास वन्यजीव अभ्यारण्य में हर वर्ष आते हैं 10-15 हजार दर्शक फोटो : 24 जेएचआर 11 से 15 जागरण संवाददाता, झज्जर :
करीब छह (अक्टूबर से मार्च) माह तक विदेशी मेहमानों (विदेशी पक्षियों) का यहां पर ठहराव होता है। इस दौरान हर वर्ष हजारों पर्यटक भी खिचे चले आते हैं। हम बात कर रहे हैं जिले का एकमात्र प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भिडावास वन्यजीव अभयारण्य की। जहां पर करीब छह माह के दौरान बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी पहुंचते हैं। इस अवधि के दौरान भिडावास वन्यजीव अभयारण्य में ठहरे विदेशी पक्षियों को देखने के लिए ना केवल स्थानीय बल्कि देशभर के अनेक पर्यटक यहां पहुंचते हैं। लाखों की संख्या में प्रवास करने वाले पक्षियों को देखने के लिए करीब 10-15 हजार पर्यटक यहां पर पहुंचकर उन्हें निहारते हैं और प्रकृति से मौजूदगी का अहसास भी उन्हें होता है। हालांकि, इसमें कुछ और सुधार किया जाए तो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनने के साथ-साथ पर्यटकों की संख्या भी बढ़ सकती है। 1017 एकड़ में फैला
बॉक्स : बता दें कि भिडावास वन्यजीव अभ्यारण्य करीब 1017 एकड़ एरिया में फैला हुआ है। दर्शकों को इसे पूरा देखने के लिए करीब 12-15 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ता है। भिडावास वन्यजीव अभ्यारण्य विदेशी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर विदेशों से पक्षियों के प्रवास की शुरूआत अक्टूबर माह में हो जाती है। वहीं फरवरी-मार्च माह तक यहां रहने के बाद करीब मार्च माह में ये पक्षी वापसी के लिए उड़ान भरते हैं। इन छह माह के दौरान विदेशी पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से दर्शक यहां पर पहुंचते हैं। विदेशी पक्षी दर्शकों को लुभाने का काम कर रहे हैं। ये सुविधा और मिले तो बने बेहतर
बॉक्स : दरअसल, भिडावास वन्यजीव अभ्यारण्य की ओर सरकार ध्यान दे तो इसको और अधिक बढ़ावा मिल सकता है। इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह इसकी चारदीवारी करवाए और एंट्री के लिए गेट भी लगाए जाएं। ताकि घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों को अच्छे से घूमने का मौका मिलें। वहीं जो पर्यटक घूमने आते हैं, उन्हें सबसे अधिक खाने व ठहरने की समस्या का सामना करना पड़ता है। अगर यहां पर खाने व ठहरने की व्यवस्था भी हो जाए तो पर्यटक लंबे समय तक यहां ठहरेंगे। इससे आर्थिक लाभ भी होगा। क्योंकि, जो पर्यटक यहां पर आते हैं, उन्हें पूरा घूमकर देखने के लिए करीब 12-15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इसलिए समय अधिक लगता है। ऐसी स्थिति में यहां खाने की भी जरूरत होती है। जिसकी व्यवस्था हो जाए तो पक्षी प्रेमियों को भी बेहतर लगेगा। जबकि, मौजूदा समय में फिलहाल खाने व ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं हैं। - भिडावास वन्यजीव अभयारण्य में अक्टूबर से मार्च माह तक विदेशी पक्षी आते हैं। जिन्हें देखने के लिए भी दूर-दराज से पर्यटक यहां पहुंचते हैं। करीब छह माह तक पर्यटकों की भी चहल-पहल देखी जाती है। हर वर्ष करीब 10-15 हजार पर्यटक यहां पहुंचते हैं। इनमें विदेशी पक्षी प्रेमी भी शामिल होते हैं।
-देवेंद्र हुड्डा, इंस्पेक्टर, भिडावास वन्यजीव अभयारण्य, झज्जर।