एकाकी जीवन जी रहे बुजुर्गों की मदद के लिए बढ़ रहे पुलिस कर्मियों के हाथ
जागरण संवाददाता, झज्जर : कृतित्व से ही व्यक्तित्व की वास्तविक पहचान होती है। व्यक्ति कोई भी हो
जागरण संवाददाता, झज्जर : कृतित्व से ही व्यक्तित्व की वास्तविक पहचान होती है। व्यक्ति कोई भी हो तथा कोई भी महकमा हो, सिर्फ इच्छा शक्ति की जरूरत होती है कि वो विपरीत परिस्थितियों में रहकर अपने क्लैवर से किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम दे सकता है, ऐसा ही सकारात्मक प्रयास किया जा रहा है जिला झज्जर पुलिस द्वारा। पुलिस कप्तान पंकज नैन की सोच के मुताबिक यहां पर बुजुर्गो के लिए आपात स्थिति में इस्तेमाल होने वाले नंबर पर केवल अपराध ही नहीं, किसी भी तरह की सहायता प्राप्त करने के लिए भी सूचना दी जा सकती है। देखा जाए तो पुलिस की यह सोच बुजुर्गों के लिए मददगार भी साबित हो रही है। पिछले करीब 6 माह से चलाई जा रही मुहिम के तहत कई ऐसे बुजुर्गों को उनके परिवार से भी मिलवाया गया है, जो कि किन्हीं कारणों के चलते झज्जर तक आ पहुंचे थे। परिवार से मुलाकात होने तक के समय में उनके रहन-सहन का ध्यान भी पुलिस की टीम द्वारा ही रखा जाता है।
--बुजुर्ग हैं मगर अकेले नहीं
भागमभाग की ¨जदगी, बच्चों का अपने अभिभावकों से दूर रहना या अन्य कारणों से परिवार वालों की उपेक्षा, बड़ी समस्या बनकर उभरा है। चूंकि यह समस्या अब महानगरों के रास्ते होते हुए यहां छोटे शहरों से गांव तक में आ पहुंची है। इसलिए जिला पुलिस ने एक टैग लाइन 'बुजुर्ग हैं मगर अकेले नहीं'को ध्यान में रखते हुए डाटाबेस तैयार करवाया है। प्राथमिक डाटाबेस जो यहां तैयार हुआ है, उसमें 500 से अधिक बुजुर्गो की सूची तैयार की गई है। करीब 70 से 75 फीसद तक बुजुर्ग ऐसे हैं जिनकी सिर्फ बेटियां ही हैं, 5 फीसद ऐसे हैं जिनकी संतान विदेश में सेटल हो चुकी हैं, करीब 5-7 फीसद ऐसे भी हैं जिनका अपनी संतान से साथ किसी कारणवश सामंजस्य नहीं बन पा रहा। काफी बुजुर्गो की संख्या ऐसी भी हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरीवश एकाकी जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है। उम्र के इस पड़ाव पर बनी ऐसी स्थिति में बुजुर्गो को सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और सम्मान मिले, के लिए अनूठा प्रयोग किया गया। जिसमें एक तय शेड्यूल के अनुसार पुलिस बुजुर्गो से संपर्क करते हुए मदद भी मुहैया करवा रही है।
पुलिस के स्तर पर शुरू की जा रही यह सुविधा सिर्फ बुजुर्गों के लिए ही है। डाटाबेस में बुजुर्ग की पारिवारिक पृष्ठभूमि, आस-पड़ौस का माहौल, परिवार की आर्थिक स्थिति, संतान के साथ सामंजस्य एवं उनके व्यवहार से लेकर बीमारी तक की जानकारी एकत्र की गई है। कोशशि है कि समाज में बुजुर्गों को मान सम्मान मिलें और उनकी समस्याओं का निदान हो। ताकि किसी भी विषम परिस्थिति में वह स्वयं को दिक्कत में महसूस नहीं करें। --- बच्चों की खुशी के लिए माता-पिता दिन-रात मेहनत करते हैं। लेकिन किन्हीं कारणों के चलते अगर उन्हें आज अपने बच्चों से अलग रहना पड़ रहा हैं तो बेशक ही ¨चता का विषय है। ऐसे भी मामले आए हैं जहां लंबा अरसा बीत जाता है लेकिन बुजुर्गों से मिलने के लिए कोई भी नजदीकी नहीं आता। उनके इसी एकाकीपन को दूर करने के साथ-साथ सुरक्षा एवं सहयोग की भावना जागृत करने के उद्देश्य से प्रयास किया जा रहा हैं। प्रयास है कि फरवरी माह में जो भी सूचीबद्ध बुजुर्ग किए गए हैं। उनके साथ एक सांझा कार्यक्रम भी आयोजित किया जाए।
पंकज नैन, पुलिस कप्तान