बेटे को सांस की बीमारी ने घेरा तो फिर लिया ऐसा संकल्प, छेड़ दी अनोखी सेल्फी मुहिम
झज्जर के एक शिक्षाविद् व निजी स्कूल संचालक के पुत्र को सांस की बीमारी हुई। इसके बाद उनकाे पर्यावरण प्रदूषण के खतरे का अाभास हुआ। इसके बाद उन्होंने अनोखी मुहिम शुरू कर दी।
झज्जर, [अमित पोपली]। करीब पांच साल पहले की बात है झज्जर निवासी शिक्षाविद् नविंद्र कुमार के बेटे को सांस लेने में दिक्कत हुई तो वह उसे चिकित्सक के पास लेकर पहुंचे। चिकित्सकीय परामर्श मिला कि ताजी हवा ही समस्या से जल्द निजात पाई जा सकती है। यानी बीमारी की जड़ प्रदूषण है। इसके बाद बेटे की बीमारी से दुखी नविंद्र ने दूसरे के बेटों को इस समस्या से बचाने का संकल्प लिया अौर प्रदूषण के खिलाफ मुहिम में जुट गए। उनके इस मुहिम 'सेल्फी विद ट्री' से लोग लगातार जुड़ते जा रहे हैं।
वह दि हाइट अकादमी नाम से हायर सेंंकेडरी स्कूल चलाते हैं। नविंद्र बताते हैं कि शहरों और यहां तक की ग्रामीण्ा क्षेत्रों का कंकरीट के जंगल में बदलना असली समस्या है। यह हालत टीस देने वाली है और यही कारण है कि बच्चे व युवा भी सांस की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। इसी के मद्देनजर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की ठानी। पौधरोपण को माध्यम बनाते हुए पहले पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा। चूंकि मकसद नेक था। इसलिए लोग जुड़ते चले गए, कारवां बढ़ता गया।
सेल्फी विद ट्री मुहिम से जुड़े कुछ पर्यारण दूत।
नविंंद्र ने विद्यार्थियों को स्वच्छता दूत के रूप में जोड़ा तो लक्ष्य को पार करते हुए आंकड़ा लक्ष्य से दो गुने यानी 10 हजार पर जा पहुंचा। इतने पौधे लगाने के बावजूद अभी मिशन जारी है। खुद भी मैराथन दौड़ में हिस्सा लेते हुए वह आमजन को पौधरोपण के प्रति प्रोत्साहित करते हैं। नविंद्र कहते हैं कि साइकिल चलाने एवं पैदल चलने से बहुत सी शारीरिक एवं पर्यावरण से जुड़ी हुई हमारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती है। इसके लिए भी वह युवाओं और छोटे बच्चों को जागरूक व प्रोत्साहित कर रहे हैं।
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बच्चों के साथ मिलकर चलाया सेल्फी विद ट्री अभियान
नविंद्र ने संकल्प लेने के तीन वर्ष के अंतराल में ही पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य हासिल कर लिया था। लेकिन, वह चाहते थे कि यह सिलसिला थमना नहीं चाहिए। उन्होंने लोगों को जागरूक करने लिए बच्चों को अपने अभियान से जोड़ने शुरू किया। उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर 'सेल्फी विद ट्री' मुहिम शुरू कर दी। इस अभियान के तहत वह बच्चों को पौधा भेंट करते हैं और एक वर्ष तक उसके संरक्षण की जिम्मेवारी सौंपते हैं।
एक वर्ष के बाद पौधा नन्हें पेड़ का रूप ले लगा तो बच्चे उसके साथ सेल्फी लाएंगे । 'सेल्फी विद ट्री' अभियान के साथ उन्होंने पुरस्कार याेजना भी जोड़ दी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी एक वर्ष तक पौधे का सही ढंग से संरक्षण करेगा और पुन: उसके साथ सेल्फी लेंकर स्कूल लाएं। जो विद्यार्थी अच्दे तरीके से पौधे की देखभाल करेंगे उनको स्कूल फीस में भी छूट दी जाएगी। इसे बच्चों ने भी खूब हाथों-हाथ लिया।
नविंद्र कहते हैं कि युवा पीढ़ी भी स्वच्छता दूत के रूप में उनके साथ कदमताल कर रही है। इस नेक कार्य से जो संतुष्टि मिली है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मेरा लक्ष्य बच्चों को पर्यावरण संरक्षण दूत बनाकर हालात को बदलने की शुरूअात करना है।
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'एक स्वस्थ व्यक्ति औसतन 15 घन मीटर हवा रोजाना सांस लेता है। यह एक कमरे के बराबर हवा है। वायु प्रदूषण का लंबा असर होने से या तो फेफड़ों की वायु ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है या फिर कोशिकाएं संक्रमण का शिकार हो जाती हैं। उनमें लचीलापन समाप्त हो जाता है। फेफड़ों की सुरक्षात्मक कोशिकाओं की पहली सतह यानी अल्वियोलर मैक्रोफेज में बदलाव आने लगते हैं और फेफड़ों में कमजोरी बढऩे लगती है। इसके लिए ताजी हवा की एकमात्र उपाय है। यह तभी संभव है जब हम अधिक से अधिक पौधरोपण करें। यह वर्तमान की मांग भी है।
- सुंदर सांभिरया, डीएफओ, झज्जर।