चलो गांव की ओर : सभी गंदा पानी बनता था परेशानी, आज बन रहा वरदान, धनिरवास ने पेस की मिसाल
-सौंदर्यीकरण व विकास की मिसाल पेश कर रहा गांव धनिरवास
-सौंदर्यीकरण व विकास की मिसाल पेश कर रहा गांव धनिरवास
-फाइव पौंड सिस्टम से गंदे पानी को साफ करके कर रहे इस्तेमाल
-आपसी भाईचारे की मिसाल और देश सेवा में अग्रणी
-एशिया स्तर पर खिलाड़ियों का दबदबा, आजाद हिद फौज में भी रहा योगदान फोटो : 5 जेएचआर 22, 23, 24
संवाद सूत्र,साल्हावास :
कभी गंदा पानी ग्रामीणों के लिए किसी परेशानी से कम नहीं था, लेकिन आज वही गंदा पानी ग्रामीणों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। यह सार्थक हुआ है फाइव पौंड सिस्टम के माध्यम से। हम बात कर रहे हैं गांव धनिरवास की, जहां पर पहले एक जोहड़ था, जिसमें गांव का गंदा पानी जाता था। यह गंदा पानी ग्रामीणों के लिए भी परेशानी बनता। लेकिन करीब 5-6 माह पहले गांव में फाइव पौंड सिस्टम शुरू किया। जिसके तहत तालाब को पांच हिस्सों में विभाजित किया गया। जिससे गंदे पानी को साफ किया गया। इस साफ पानी को अब खेतों में सिचाई के लिए प्रयोग किया जाता है। जिससे एक तो ग्रामीणों को गंदे पानी से छुटकारा मिला, वहीं फसलों को सिचाई के लिए भी पानी उपलब्ध हो रहा है। जो दूसरों को भी प्रेरणा दे रहा है।
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बसा गांव धनिरवास आज सौंदर्यीकरण की मिसाल बना हुआ है। गांव करीब 500 वर्ष पहले बसाया गया था। बुजुर्गों का कहना है कि करीब 500 साल पहले राजस्थान के बिगारेड़ी से चलकर धन्ना नामक एक व्यक्ति यहां पर आया था। उन्होंने यहां पर ही अपना बसेरा बना लिया। उनके नाम से गांव का नाम धनिरवास पड़ा। धीरे-धीरे आबादी बढ़ती गई। आज गांव में करीब 400 परिवार हैं। ग्रामीण देवता के रूप में बाबा भगतराम की पूजा करते हैं। गांव में हनुमान मंदिर, डाला वाला जोहड़ मंदिर, बाबा भैया समाधि प्राचीन समय से स्थित हैं। सभी ग्रामीण मिलजुलकर रहते हैं।
बुजुर्गों ने बताया कि गांव स्वतंत्रता सेनानियों की बदौलत आज पूर्णतया गर्व महसूस कर रहा है। गांव से स्व. उमराव सिंह और स्व. सरजीत सिंह स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। जिन्होंने देश की आजादी में अहम योगदान दिया। उन्हीं की बदौलत आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं। वहीं गांव के तीन जवान देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए। 1962 की लड़ाई में 5 जाट रेजिमेंट के जवान सूबेसिंह शहीद हुए थे। वहीं रिसाल और खयाली सिंह ने भी देश के लिए अपना बलिदान दिया। गांव में आज भी पूर्वजों द्वारा दी गई देन आज भी गांव में धरोहर के रूप में जिदा हैं। गांव में पुरानी धरोहर के रूप में आज भी कुए हैं जिनसे पहले गांव की प्यास बुझती थी। उनको ग्रामीणों ने संजोकर रखा है। वहीं गांव में पुराने समय के कई वर्ष पुराने पेड़ भी आज मौजूद हैं। गांव में 3 चौपाल, आंगनवाड़ी केंद्र, प्राइमरी स्कूल, ग्राम सचिवालय की सुविधा भी है। गांव धनिरवास के खिलाड़ियों ने भी अपना परचम लहराया है। गांव में जन्म लेकर खिलाड़ी एशियन चैंपियनशिप तक अपना दबदबा जमा चुके हैं। अजय कुमार ने वर्ष 2010 में एशियन ग्राउंड थाईलैंड में 4 गुना 400 मीटर दौड़ में गोल्ड व एशियन इंडोर चैंपियनशिप ईरान में 4 गुणा 400 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल प्राप्त किया था। साथ ही गांव ने देश को अनेक अधिकारी भी दिए हैं। -सरपंच कर्मजीत ने बताया कि गांव की सभी गलियां पक्की हैं। पीने के पानी की भी हर घर तक सुविधा है। गांव को गंदे पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए फाइव पौंड सिस्टम लगाया गया है। जिससे गंदे पानी को साफ करके सिचाई में इस्तेमाल किया जाता है।