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असफलता की चढ़ सीढि़यां सफलता का चूमा आसमां

असफलता को बेड़ियां बनाने की बजाय सीढि़यां बनाकर बेरी निवासी कुनाल ने सफलता का परचम लहराया। 2019 में नीट की परीक्षा में 480 अंक मिलने के कारण वे सफल नहीं हो पाए। रिजल्ट देखकर एक बार तो मायूस हुए लेकिन फिर उठ खड़े हुए और बेहतर करने के लिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 08:30 AM (IST)
असफलता की चढ़ सीढि़यां सफलता का चूमा आसमां
असफलता की चढ़ सीढि़यां सफलता का चूमा आसमां

जागरण संवाददाता, झज्जर : असफलता को बेड़ियां बनाने की बजाय सीढि़यां बनाकर बेरी निवासी कुनाल ने सफलता का परचम लहराया। 2019 में नीट की परीक्षा में 480 अंक मिलने के कारण वे सफल नहीं हो पाए। रिजल्ट देखकर एक बार तो मायूस हुए, लेकिन फिर उठ खड़े हुए और बेहतर करने के लिए।

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2019 में 12वीं करने के बाद नीट परीक्षा की तैयारी के लिए कालेज में भी दाखिला नहीं लिया। बल्कि घर पर रहकर नीट की तैयारी करने लगे। पढ़ाई के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दी। इसके बाद कुनाल को सफलता भी मिली। अक्टूबर 2020 में नीट परीक्षा में कुनाल न केवल सफल हुए बल्कि अच्छी रैंक भी हासिल की। कुनाल ने 720 में से 670 अंक हासिल करके ऑल इंडिया ओवरआल श्रेणी में 1229वां व ईडब्ल्यूएस श्रेणी में 80वां रैंक हासिल किया है। तैयारी न होने के चलते नहीं देना चाहते थे नीट परीक्षा

बेरी निवासी कुनाल ने बताया कि उनके पिता कुलबीर कादियान टीवी की दुकान चलाते हैं। माता मंजीत देवी गृहिणी हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत से ही उनका साइंस के प्रति लगाव रहा है। जब दसवीं में पढ़ते थे, तभी डाक्टर बनने की ठान ली। परिवार का भी साथ मिला। 2019 में स्वामी नितानंद विद्या मंदिर माजरा दुबलधन में बारहवीं करते हुए नीट परीक्षा के लिए आवेदन किया। बोर्ड की परीक्षा होने के चलते नीट की तैयारी में अधिक समय नहीं दे पाए। इस कारण परीक्षा भी नहीं देना चाहते थे। लेकिन पिता कुलबीर कादियान व स्कूल प्रिसिपल नरेंद्र डबास ने उन्हें परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया। कुनाल ने परीक्षा दी और 480 अंक हासिल किए, लेकिन वे अच्छी रैंक लेने में सफल नहीं हो पाए। हालांकि उनका आत्मविश्वास जरूर बढ़ा। इसके बाद उन्होंने फिर से नीट परीक्षा के लिए तैयारी आरंभ कर दी। एनसीईआरटी किताबों के साथ ऑनलाइन पढ़ाई भी की

कुनाल ने बताया कि वह प्रतिदिन 10-12 घंटे की पढ़ाई करते थे। हालांकि परीक्षा के करीब एक-डेढ़ माह पहले उन्होंने दिन में 17-18 घंटे की पढ़ाई शुरू कर दी। ताकि इस बार कोई भी कमी ना रहे। वहीं उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए एनसीईआरटी की किताबों के साथ-साथ ऑनलाइन पढ़ाई भी की। साथ ही बीच-बीच में अपनी पढ़ाई की तैयारी का स्तर जांचने के लिए टेस्ट भी देते थे। ताकि उन्हें अपने अंदर की कमियों को सुधारने का मौका मिले।


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