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जागरण विशेष : शिक्षा का उजियारा घर-घर तक पहुंचाने की दौड़ में पिछड़े सरकारी स्कूल

- सरकारी स्कूलों में एक तिहाई तो निजी स्कूलों में तीन चौथाई विद्यार्थी कर रहे शिक्षा ग्रहण

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 06:10 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 06:10 AM (IST)
जागरण विशेष : शिक्षा का उजियारा घर-घर तक पहुंचाने की दौड़ में पिछड़े सरकारी स्कूल

- सरकारी स्कूलों में एक तिहाई तो निजी स्कूलों में तीन चौथाई विद्यार्थी कर रहे शिक्षा ग्रहण

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- नए शैक्षणिक सत्र में पांच फीसद तक विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने पर विभाग कर रहा फोकस

- ड्रॉप-आउट का डाटा तैयार करने सहित शानदार परीक्षा परिणाम के लिए हो रहा जमीनी स्तर पर कार्य अमित पोपली, झज्जर : शिक्षा का उजियारा घर-घर तक पहुंचाने की दौड़ में सरकारी स्कूल काफी पिछड़ गए हैं। जिले की बात हो तो मौजूदा समय में करीब 25 फीसद विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जबकि, 75 फीसद निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। कोरोना के दौर में ड्रॉप आउट की वजह से भी हालात दयनीय आन बने हैं। हालांकि, शिक्षा विभाग के स्तर पर मौजूदा परिस्थतियों में भी बेहतर करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग के स्तर पर नए शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों की संख्या के इस अनुपात को 30 फीसद तक ले जाने का प्रयास है। 5 फीसद की संख्या में उछाल के लिए जिला शिक्षा विभाग की कोर टीम ने जमीनी स्तर पर इसके लिए काम भी शुरु कर दिया है। ताकि, जब नए सत्र में प्रवेश लेने का समय आए तो फीडबैक के नाम पर कोर टीम के पास मजबूत तथ्य हो। मॉडल संस्कृति स्कूल बनेंगे अह्म कड़ी : सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ स्कूलों की ओर आकर्षित करने की प्रक्रिया में मॉडल संस्कृति स्कूल अह्म कड़ी बनेंगे। बोर्ड परीक्षाओं के संचालन तक जिला शिक्षा अधिकारी बीपी राणा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी दलजीत सिंह सहित अन्य शिक्षा अधिकारियों की अगुआई में टीम स्कूलों में दौरा करते हुए फीडबैक ले रही हैं। मुखियाओं को निर्देश देने के बाद पुन: 15 दिन बाद विजिट का कार्यक्रम तय किया गया है। ताकि, निर्देशों की अनुपालना के तहत पिछली दफा से कितना सुधार हुआ हैं। सुधार की इस प्रक्रिया में ओवरऑल बिदुओं पर केंद्रित होकर रिपोर्ट तैयार हो रही हैं। प्रवासी विद्यार्थियों ने बिगाड़ा आंकड़ा : दरअसल, जिले में बहुत बड़ी संख्या ईंट-भट्ठों की हैं। साथ ही झाड़ली, खानपुर खुर्द, दादरी तोए आदि क्षेत्र में पॉवर प्लांट एवं कंपनियां कार्यरत है। यहां कार्य करने वाले प्रवासी परिवारों के बच्चों का ड्रॉप-आउट भी विभाग के लिए एक बहुत बड़ा सिरदर्द बना है। ऐसी स्थिति में ड्रॉप आउट के आंकड़े को पेपर पर लाने की कवायद विभाग के शिक्षकों से कराई जा रही हैं। ताकि, आने वाले समय में उसे केंद्रित करते हुए कदम उठाया जा सके। प्रतिक्रिया : विभागीय टीम ने नए शैक्षणिक सत्र में कम से कम पांच फीसद तक विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने का टारगेट रखा है। कोर टीम के साथ प्लॉन बनाकर कार्य करने की योजना तैयार की गई है। बेशक ही बढि़या परिणाम सामने आएंगे।

-बीपी राणा, जिला शिक्षा अधिकारी, झज्जर


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