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सूबे के आधे से ज्यादा जिले जोन-4 में, भविष्य के संकट से निपटने के लिए तैयारी जरूरी

अमित पोपली झज्जर भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग होता है। इसी खतरे के हिसाब से ही भूकं

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 01:53 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 06:33 AM (IST)
सूबे के आधे से ज्यादा जिले जोन-4 में, भविष्य के संकट से निपटने के लिए तैयारी जरूरी
सूबे के आधे से ज्यादा जिले जोन-4 में, भविष्य के संकट से निपटने के लिए तैयारी जरूरी

अमित पोपली, झज्जर : भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग होता है। इसी खतरे के हिसाब से ही भूकंपीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली भूमियों को चार हिस्सों में बांटा जाता है। ये जोन 2 से 5 तक कहलाते हैं। कम खतरे वाला जोन 2 होता है तथा सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 है। यह एक मोटा वर्गीकरण है। हरियाणा प्रदेश को भूकंपीय क्षेत्र के दूसरे, तीसरे, चौथे क्षेत्र में रखा गया है। नेशनल डिजास्टर मेनेजमेंट ऑथिरटी की वेबसाइट पर उपलब्ध डाटा के मुताबिक अगर जिलावार स्थिति को देखें तो यहां पर भगवान की मर्जी वाला फलसफा भी विषम परिस्थिति में मदद नहीं कर पाएगा। आज के हालात में सबसे प्रासंगिक सवाल यह है कि क्या भूकंप का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है? दुर्भाग्यवश, न तो भूकंप का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और न ही इसे रोका जा सकता है। दरअसल, भूगर्भ विज्ञान में पूर्वानुमान लगाना समस्या पैदा करने वाला है। विशेषज्ञों के मुताबिक अधिकत्तर भूगर्भीय घटनाएं जटिल होती हैं और एक ही तरीके से खुद को दोहराती भी नहीं हैं। इन्हें किसी प्रयोगशाला के भीतर नियंत्रित परिवेश में भी नहीं जांच सकते। यहां हमारा समूचा विज्ञान पर्यवेक्षण पर आधारित है। ऐसी स्थिति में हमारे पास केवल एक ही तरीका शेष बचता है कि अतीत के भूकंपों का अध्ययन करते हुए उनके आईने में वर्तमान को देखें और उससे सबक लें। ---जिलावार कुछ यूं है स्थिति शुक्रवार को झज्जर सहित अंतरराज्यीय स्तर पर भूकंप से निपटने के लिए मॉक ड्रिल कराई गई। बेशक ही जरूरी है कि भविष्य के संकट से निपटने के लिए हमारी बेहतर तैयारी का होना जरूरी है। चूंकि भूकंप से अर्लट तो नहीं मिल सकता। लेकिन ऐसे संकट से कैसे निपटना है तो तैयारी जरूर पुख्ता होनी चाहिए। हुए इस प्रयास से क्षमता एवं संसाधनों को सूचीबद्ध करते हुए सतर्क रहने में काफी मदद मिल सकती है। - पंचूकला, अंबाला, यमुनानगर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, रेवाड़ी, झज्जर पूरा, पानीपत, करनाल, सोनीपत, महेंद्रगढ़ व कुरुक्षेत्र के कुछ हिस्से को भूकंप के हाई डैमेज रिस्क जोन में रखा गया है। - कैथल, जींद और कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, महेंद्रगढ़, भिवानी, हिसार, फतेहाबाद का अधिकतर हिस्सा भूकंप के मोडरेट डैमेज रिस्क जोन में रखा गया है। - सिरसा पूरा शहर व फतेहाबाद, हिसार व भिवानी का आधा शहर भूकंप के लो डैमेज रिस्क जोन में रखा गया है। ---आपदा के समय ये रखें सावधानी दुनिया भर में हर साल भूकंप से हजारों लोग मारे जाते हैं। मकान बनाने संबंधी और भूकंप की भविष्यवाणी करने की तकनीकों में सुधार के बावजूद भूकंप से जान-माल की क्षति में कोई कमी नहीं आई है। भूकंप के आते ही ज्यादातर लोग बुरी तरह घबरा जाते हैं। घबराहट की वजह से लोग उचित निर्णय नहीं कर पाते। भूकंप के दौरान कुछ सावधानियां बरतकर आसानी से अपना और दूसरों का बचाव किया जा सकता है। - भूकंप महसूस होते ही घर से बाहर निकलकर खुली जगह पर चले जाएं। अगर गली काफी संकरी हो और दोनों ही ओर बहुमंजिला इमारतें बनी हों, तो बाहर निकलने से कोई फायदा नहीं होगा। तब घर में ही सुरक्ष?ति ठिकाने पर रहें।

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- अगर घर से बाहर निकलने में काफी वक्त लगने का अनुमान हो, तो कमरे के कोने में या किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे छुप जाएं। सिर के साथ-साथ शरीर के अन्य संवेदनशील अंगों को पहले बचाने की कोशिश करें।

- घर के बाहर निकलकर कभी भी बिजली, टेलीफोन के खंभे या पेड़-पौधों के नीचे न खड़े हों।

- भूकंप महसूस होते ही टीवी, फ्रिज, जैसे बिजली के सारे उपकरण प्लग से निकाल दें।

- एक बार बहुत तेज भूकंप आने के बाद कुछ घंटों तक आफ्टर शॉक्स आ सकते हैं। इनसे बचने का इंतजाम पहले ही कर लें. आफ्टर शॉक्स आने की कोई तय मियाद नहीं होती है, इसलिए अफवाहों पर बिल?कुल ही ध्यान न दें। ----भूकंप के झटके नापने के पैमाने

भूकंप का रिकार्ड एक सीस्मोमीटर के साथ रखा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी कहलाता है। भूकंप का क्षण परिमाण पारंपरिक रूप से मापा जाता है, या संबंधित और अप्रचलित रिक्टर परिमाण लिया जाता है। झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है। - 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीस्मोग्राफ से ही पता चलता है

- 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है

- 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है

- 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं

- 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है

- 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है

- 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं. जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं

- 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं

- 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी, भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है


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