मरम्मत शुल्क के बिना एमआइई के मेंटेंनेंस वर्क से एचएसआइआइडीसी ने खड़े किए हाथ
आधुनिक औद्योगिक संपदा (एमआइई) के पार्ट ए और बी की देखरेख यानी मेंटेंनेंस करने से हरियाणा राज्य औद्योगिक संरचना विकास निगम (एचएसआइआइडीसी) ने हाथ खड़े कर दिए हैं। मरम्मत शुल्क न मिलने की वजह से निगम ने यह फैसला लिया है। पिछले दिनों भी इसी तरह का मामला सामने आया था लेकिन तब से लेकर अब तक निगम की ओर से इस औद्योगिक क्षेत्र का रखरखाव किया जाता रहा। मगर पिछले दिनों निगम के अधिकारियों व बहादुरगढ़ चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (बीसीसीआइ) के पदाधिकारियों के बीच एक बैठक हुई थी। इस बैठक में निगम के अधिकारियों ने जब मेंटेंनेंट चार्ज की बात को उठाया तो उद्यमियों ने कहा कि वे इस एरिया का प्रापर्टी टैक्स दे रहे हैं।
आधुनिक औद्योगिक संपदा (एमआइई) के पार्ट ए और बी की देखरेख यानी मेंटेंनेंस करने से हरियाणा राज्य औद्योगिक संरचना विकास निगम (एचएसआइआइडीसी) ने हाथ खड़े कर दिए हैं। मरम्मत शुल्क न मिलने की वजह से निगम ने यह फैसला लिया है। पिछले दिनों भी इसी तरह का मामला सामने आया था लेकिन तब से लेकर अब तक निगम की ओर से इस औद्योगिक क्षेत्र का रखरखाव किया जाता रहा। मगर पिछले दिनों निगम के अधिकारियों व बहादुरगढ़ चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (बीसीसीआइ) के पदाधिकारियों के बीच एक बैठक हुई थी। इस बैठक में निगम के अधिकारियों ने जब मेंटेंनेंट चार्ज की बात को उठाया तो उद्यमियों ने कहा कि वे इस एरिया का प्रापर्टी टैक्स दे रहे हैं। नगर परिषद को हर साल प्रापर्टी टैक्स दिया जा रहा है। ऐसे में हम मेंटेंनेंस चार्ज नहीं दे सकते। इस पर निगम के अधिकारियों ने कहा था कि अगर नगर परिषद को प्रापर्टी टैक्स दिया जा रहा है तो उद्यमी इस क्षेत्र का रखरखाव भी नप से ही करवाए। ऐसे में बैठक में फैसला लिया गया कि स्ट्रीट लाइटों का रखरखाव और सफाई का कार्य नगर परिषद को सौंप दिया जाए। इसी के चलते एचएसआइआइडीसी के वरिष्ठ प्रबंधक की ओर से नगर परिषद को पत्र लिखा गया है और स्ट्रीट लाइट व सफाई का कार्य संभालने की बात पत्र में कही गई है। हालांकि पत्र को लेकर अब तक नप की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। गौरतलब है कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने एमआइई के दोनों क्षेत्र एचएसआइआइडीसी को हैंड ओवर कर दिए थे। उसके बाद यहां पर करीब 32 करोड़ की लागत से सड़क के अलावा अन्य विकास कार्य शुरू हुए थे। मगर करीब डेढ़ साल बीत जाने की वजह से अब तक यह काम पूरा नहीं हो सका है। समय-समय पर पेमेंट न होने की वजह से यह काम ठप होता रहा है। अब भी करोड़ों के एस्टीमेट बने पड़े हैं लेकिन काम शुरू नहीं हो पा रहा है। वर्जन..
एमआइई पार्ट ए व बी के उद्यमी नगर परिषद को प्रापर्टी टैक्स देते आ रहे हैं। ऐसे में हम मेंटेंनेंस चार्ज कैसे दें। अगर मेंटेंनेंस चार्ज लिया जाए तो प्रापर्टी टैक्स ना लिया जाए। अब रखरखाव चाहे कोई भी करें। यह सरकार का नीतिगत फैसला है। हमें तो सिर्फ औद्योगिक क्षेत्र का विकास चाहिए। चाहे कोई भी एजेंसी करे।
-----नरेंद्र छिकारा, वरिष्ठ उपप्रधान, बीसीसीआइ वर्जन..
एचएसआइआइडीसी की ओर से पत्र आया है। सरकार के आदेश पर एमआइई का रखरखाव एचएसआइआइडीसी को दिया गया था। यह एक पॉलिसी मैटर है। इस बारे में संबंधित उच्च अधिकारियों से विचार-विमर्श किया जाएगा। उसके बाद ही नीति अनुरूप फैसला लिया जाएगा।
-----अपूर्व चौधरी, कार्यकारी अधिकारी, नगर परिषद। वर्जन..
एमआइई के दोनों पार्ट की व्यवस्थाएं एचएसआइआइडीसी ने टेकओवर कर ली थी। मगर अब तक उन्हें मेंटेंनेंस चार्ज नहीं मिला है। बिना मेंटेंनेंस चार्ज एचएसआइआइडीसी किसी भी औद्योगिक क्षेत्र का रखरखाव और मरम्मत कार्य नहीं करवा सकता। जब उन्होंने उद्यमियों के सामने यह मामला रखा तो उन्होंने कहा था कि वे नगर परिषद को प्रापर्टी टैक्स देते हैं। मेंटेंनेंस चार्ज नहीं दे सकते। इसी के चलते निगम की ओर से मैंने एमआइई का रखरखाव करने के लिए नप के कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिखा है।
----राजीव कुमार, वरिष्ठ प्रबंधक, एचएसआइआइडीसी।