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दु:ख रूपी संसार में गुरु कृपा अमूल्य खजाना : श्रीभगवान

जागरण संवाददाता, झज्जर : माता पिता को प्रथम गुरु कहा गया है जो जन्म देते हैं और जन्म देने के

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 11:55 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 11:55 PM (IST)
दु:ख रूपी संसार में गुरु कृपा अमूल्य खजाना : श्रीभगवान

जागरण संवाददाता, झज्जर : माता पिता को प्रथम गुरु कहा गया है जो जन्म देते हैं और जन्म देने के साथ-साथ चलना, बोलना, संस्कार देते है। पिता की अपेक्षा माता की श्रेष्ठता सौ गुणी अधिक मानी जाती है। परंतु ज्ञान दाता होने के कारण गुरु उन माता से भी सौ गुणा पूज्य है। हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान के अवतार वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। इन्होंने महाभारत अदि महान ग्रंथो की रचना की। कौरव, पांडव आदि इन्हे गुरु मानते थे। इसलिए आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य श्रीभगवान कौशिक ने रविवार को जिला मुख्यालय स्थित धार्मिक कार्यक्रम में बताया कि वेद व्यास संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदि गुरु भी कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। श्रीभगवान कौशिक ने कहा कि सच्ची व निस्वार्थ सेवा, सिमरन व सत्संग ही भक्त की कसौटी है। इसी कसौटी पर खरा उतरने वाला ही भगवान की कृपा पा सकता है। गुरु मुक्ति का द्वार है। जिनकी कृपा मिल जाये तो भक्त भवसागर को पार कर जाता है। इसलिए सद्गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा और विश्वास हमारे भीतर होना चाहिए।

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