15 किलोमीटर के आंदोलन स्थल में जगह-जगह किसानों ने बसाए अपने गांव
जागरण संवाददाता बहादुरगढ़ तीन कृषि कानूनों को लेकर टीकरी बॉर्डर से लेकर जाखौदा चौ
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों को लेकर टीकरी बॉर्डर से लेकर जाखौदा चौक तक करीब 15 किलोमीटर लंबे बाईपास पर किसानों का आंदोलन स्थल बना हुआ है। यहां पर हरियाणा व पंजाब के किसान अपने मांगों को लेकर डेरा जमाए बैठे हैं। किसानों ने पहले यहां पर पंजाब के शहीदों के नाम से छह नगर बसाए थे, मगर अब यहां पर किसानों ने गांव बसा दिए हैं। बाईपास के हर 50 से 100 फीट क्षेत्र में एक गांव की सीमा बदलकर दूसरे गांव की सीमा लागू हो जाती है। हालांकि यहां पर सीमाओं का कोई पहरा नहीं है लेकिन ये सीमाएं सिर्फ इसीलिए बनाई गई हैं जब भी उनके पिड यानी गांव का जत्था आए तो वह आसानी से अपने डेरे पर पहुंच जाए। इसके लिए बाकायदा किसानों ने सड़कों किनारे लगने वाले किलोमीटर के पत्थरों की तरह साइन बोर्ड भी लगाए हैं। बहादुरगढ़ में बठिडा, मानसा, फरीदकोट, फिरोजपुर, संगरूर, लुधियाना, पटियाला आदि जिलों के 100 से ज्यादा गांवों से किसान आंदोलन में शामिल हैं। ऐसे में इन गांवा के ग्रामीणों ने टीकरी बॉर्डर से लेकर बहादुरगढ़ के पूरे बाईपास के अलावा बस स्टैंड समेत आसपास खाली जगहों पर भी किसानों ने अपने गांवों के अलग-अलग डेरे बना रखे हैं। यहां पर भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा ग्रुप से किसान ज्यादा संख्या में आए हैं। बठिडा जिले के किराडवाला से देवेंद्र सिंह, मान सिंहवाला के गुरदीप सिंह, सरपंच सुखचैन सिंह व गुरवंत सिंह भुल्लर ने बताया कि पंजाब के गांवों से सभी किसान आए हैं। ऐसे में जहां-जहां पर किसानों ने अपने डेरे बनाए हैं वहीं पर किसानों ने अपने गांव का नाम दे दिया है ताकि पंजाब से बदल-बदलकर आने वाली जत्थेबंदी में शामिल ग्रामीण आसानी से अपने गांव के डेरे में पहुंच सकें।