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खेती-किसानी की बजाय महंगाई, रोजगार, सरकारी योजनाएं और व्यापार बना चर्चा का केंद्र

अमित पोपली झज्जर सिरसा एक्सप्रेस का प्रवेश रोहतक संसदीय क्षेत्र के बहादुरगढ़ स्टेशन से हो

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 12:28 AM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 06:31 AM (IST)
खेती-किसानी की बजाय महंगाई, रोजगार, सरकारी योजनाएं और व्यापार बना चर्चा का केंद्र
खेती-किसानी की बजाय महंगाई, रोजगार, सरकारी योजनाएं और व्यापार बना चर्चा का केंद्र

अमित पोपली, झज्जर : सिरसा एक्सप्रेस का प्रवेश रोहतक संसदीय क्षेत्र के बहादुरगढ़ स्टेशन से होता है। करीब आधा घंटा तक ट्रेन के इंतजार के दौरान प्लेटफार्म पर चाय बेचने वाले पवन से बात की तो पता चला वे परिवार की गुजर-बसर के लिए 28 साल पहले आजमगढ़ से यहां आकर बसे थे। अब तो वोट भी बनवा लिया है। चार बच्चों के पिता पवन को दिन में समय तो ज्यादा नहीं लगता, हां रात को जरूर टीवी पर दिन भर की गतिविधियां देख लेते हैं। पूछा-काम कैसा चल रहा है। जवाब मिला, रोज कुंआ खोदना है। हम जैसे लोगों के लिए तो सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई ही है। दिन भर की कमाई चार-पांच सौ रुपये तक ही हो पाती है। ऐसे में छह लोगों का परिवार पालना बड़ी टेढ़ी खीर है। सरकारी योजनाओं के फायदे के सवाल पर बोले, जो पार्टी महंगाई कम कर आमदनी बढ़ाए वो उसके साथ हैं। इतने में गाड़ी आई और बमुश्किल बोगी में खड़े होने की जगह मिल पाई। जवाब अभी दिमाग में घूम ही रहा था कि खिड़की खुली और बाहर चल रही ठंडी हवा के साथ दिन और रात का मिलन, खुशनुमा अहसास अपने साथ लेकर आया।

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मीलों तक गेहूं की फसल लहलहाती नजर आ रही है। अन्नदाता की हैसियत रखने वाले इलाके में खेती-किसानी की बजाय मुख्य मुद्दे के रूप में चरचा महंगाई, रोजगार और व्यापार को लेकर हो रही है। किसानों की समस्याओं के बारे में पूछने पर लोग सीधे-सीधे भाजपा-कांग्रेस की तुलना करने लगते हैं। किसान पेंशन, फसलों का मूल्य, स्वर्ण आरक्षण जैसे मुद्दों की बजाय महंगाई और सरकारी योजनाओं का लाभ आम लोगों तक कितना पहुंचा या नहीं पहुंच पाया, को लेकर ज्यादा चरचा हो रही है।

साथ में मौजूद रामबीर सिंह मानते हैं कि सरकार अब हर सब्सिडी खाते में दे रही है, प्राय: किसानों को इसकी जानकारी ही नहीं है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े रामबीर प्रधानमंत्री को लेकर पसंद पूछने पर वो मोदी बनाम राहुल गांधी के विकल्प को खारिज कर भूपेन्द्र सिंह हुड्डा का नाम रखते हैं। वे कहते हैं कि हमारे एरिया में कांग्रेस का चेहरा राहुल या प्रियंका गांधी नहीं बल्कि हुड्डा ही हैं। दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करने वाले रोहतक निवासी आयुष कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में भले ही लोग जाति-बिरादरी देखेंगे लेकिन लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर ही केंद्रित रहेगा। हालांकि, अभी तक जो दिख रहा हैं, राजनीतिक पार्टियां चुनाव को उस दिशा में ले जाने का प्रयास जरूर कर रही है। रोहतक से कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कामों को भी आयुष दीपेंद्र के लिए निर्णायक मानते हैं। जींद जा रहे तरुण अभी तक के कायाकल्प के लिए मोदी सरकार की तारीफ करते हैं। कहते है कि मोदी की हवा जरूर है, पर सामने हुड्डा जैसी शख्सियत को भी किसी भी स्तर पर कम नहीं आंका जा सकता। इसलिए उम्मीदवार का नाम देरी से घोषित होना भी इसी से जुड़ा विषय है। बहरहाल, दिल्ली से सिरसा तक जाने वाली यह एक्सप्रेस सुबह एक दफा फिर नई सवारियों के साथ दिल्ली के लिए निकलती है। हालांकि, कुछ सवारियां पहले वाली भी होती है। इसलिए देखने लायक पहलु यह है कि 12 मई को होने वाला मतदान कितनी पहले वाली सवारियों को पुन: संसद तक का सफर करवाती है।


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