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पराली को आय का स्त्रोत बनाकर पर्यावरण संरक्षण में बनें भागीदार : उपायुक्त

फोटो 06 - पराली जलाने के बजाय जैविक खाद बनाएं किसान बढ़ाएं भूमि की उर्वरा शक्ति जागर

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 07:08 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 07:08 AM (IST)
पराली को आय का स्त्रोत बनाकर पर्यावरण संरक्षण में बनें भागीदार : उपायुक्त
पराली को आय का स्त्रोत बनाकर पर्यावरण संरक्षण में बनें भागीदार : उपायुक्त

फोटो : 06

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- पराली जलाने के बजाय जैविक खाद बनाएं किसान, बढ़ाएं भूमि की उर्वरा शक्ति जागरण संवाददाता, झज्जर : पराली को आय का स्त्रोत बनाते हुए किसान पर्यावरण संरक्षण में अतुलनीय भूमिका निभा सकते हैं। प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में सरकार की ओर से पराली न जलाते हुए उसकी खरीद करने के सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं। यह जानकारी उपायुक्त जितेंद्र कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को पराली न जलाकर उसका सदुपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

उपायुक्त ने बताया कि फसल अवशेषों में आग लगाने से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पीएम 2.5 का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए यह प्रदूषण और भी अधिक नुकसानदायक है। जबकि, फसल अवशेष जलाने से पैदा हुए धुएं से अस्थमा व कैंसर जैसे रोगों को भी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि पराली को जलाने से भूमि में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया व कीट नष्ट हो जाते हैं वहीं मिट्टी की जैविक गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। किसान राष्ट्रीय कृषि नीति की पालना करके पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति पराली को आग न लगाएं और दूसरों को भी इस बारे में जागरूक करें। सामूहिक संकल्प से ही हम जिला को प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं, धान के फानों को जलाने की अपेक्षा उनका प्रबंधन करें।

फसल अवशेष जलाने वालों के खिलाफ होगी कठोर कार्रवाई

जिलाधीश ने बताया कि फसलीय अवशेष जलाने वालों के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। कोई भी किसान या व्यक्ति खेतों में पराली जलाता है तो आइपीसी की धारा 188 के तहत उसे 6 माह की जेल व जुर्माने अथवा दोनों का प्रावधान है। इधर, उन्होंने जिला की ग्राम पंचायतों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने गांवों में ग्राम सभा की बैठक में ग्रामीणों को पराली नहीं जलाने की शपथ भी दिलवाएं। सकारात्मक सोच व दृढ़ संकल्प से ही हम जिला में पराली जलाने की घटनाओं पर शत प्रतिशत अंकुश लगा सकते हैं इसलिए सरपंच अपना दायित्व गंभीरता से निभाएं और ग्रामीणों को पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक करें।


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