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हरियाणा का अन्नदाता परेशान, अनेक समस्याओं से जूझ कर खेती करने को मजबूर, नहीं मिल रहा प्रशासन का सहारा

गेहूं की बिजाई के लिए किसान डीएपी खाद लेने के लिए इफको केंद्र के चक्कर काटते नजर आते हैं। डीएपी खाद का स्टाक नहीं होने की वजह से किसानों को निराश होकर वापस लौटना पड़ता है। जबकि गेहूं की बिजाई इस वक्त मौसम के हिसाब से बिल्कुल उपयुक्त समय है।

By Jagran NewsEdited By: Naveen DalalPublished: Wed, 23 Nov 2022 01:58 PM (IST)Updated: Wed, 23 Nov 2022 01:58 PM (IST)
सरकारी बीज केंद्र पर बीज ना होने के कारण किसान बेहद परेशान।

झज्जर, जागरण संवाददाता। झज्जर में किसानों को पहले बेमौसमी बारिश की वजह से तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं, जब बारिश का दौर खत्म हुआ तो फिर खेतों में जलभराव की वजह से कई क्षेत्रों की फसल बर्बाद हुई तो कहीं फसलें आधी नष्ट हुई। कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां पर फसल पूरी तरह तहस नहस हो गई। जो किसान मंडी में बाजरा लेकर पहुंचें, उन्हें भुगतान नहीं होने की वजह से काफी परेशान होना पड़ रहा है। कुछ किसान ऐसे भी रहे जिन्हें भुगतान तो हुआ मगर उन्हें एमएसपी के हिसाब से पैसा नहीं मिला। 

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डीएपी खाद का स्टाक नहीं

गेहूं की बिजाई के लिए किसान डीएपी खाद लेने के लिए इफको केंद्र के चक्कर काटते नजर आते हैं। डीएपी खाद का स्टाक नहीं होने की वजह से किसानों को निराश होकर वापस लौटना पड़ता है। जबकि गेहूं की बिजाई इस वक्त मौसम के हिसाब से बिल्कुल उपयुक्त समय है। मगर डीएपी खाद ना होने के कारण किसानों को अब इसे लेकर भी जूझना पड़ रहा है। 

दूसरी तरफ सरकारी बीज केंद्र पर बीज ना होने के कारण भी किसान बेहद परेशान हैं। लगातार किसान बीज केंद्र के चक्कर काटते रहते हैं। मगर बीज ना मिलने के कारण उन्हें वापस अपने गांव की ओर लौटना पड़ता है। ऐसे में किसानों को अब सस्ते में मिलने वाला बीज प्राइवेट केंद्रों पर कई गुना ज्यादा दाम देकर खरीदना पड़ रहा है। बीज कब आएगा इसका भी कुछ अता-पता नहीं है। 

जिन किसानों को अभी बाजरा का पैसा नहीं मिला है। वह आढ़तियों के चक्कर लगा लगा कर थक चुके हैं। आढ़ती भी किसानों को जल्द ही पैसा मिलने की बात कहकर वापस घर की और लौटा देते हैं। भावांतर योजना के तहत किसानों को बाजरा का पैसा मिलना था। मगर किसानों को लाभ मिलता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में देखा जाए तो किसानों के लिए एक नहीं अनेक समस्याएं हैं। किसान मेहनत मजदूरी कर कई तरह की दिक्कते सहकर खेती कर रहा है। उसके बावजूद उसे पूरे तंत्र द्वारा परेशान किया जा रहा है।


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