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हरियाणा का छोरा भा गया तो अमेरिका छोड़ कर आ गई गोरी

प्‍यार की डोर में बंधी एक अमेरिकी युवती अपना सब कुछ छोड़ झज्‍जर के महराणा आ गई। दोनों का प्‍यार इस कदर परवान चढ़ा कि परिजन भी उनकी शादी को तैयार हो गए। नोदिरामीनेर हिंदू रीति से अपने प्रेमी संदीप से शादी के बंधन में बंध गई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2016 03:28 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2016 04:41 PM (IST)

झज्जर, [मुकेश शर्मा]। कहते हैं प्रेम की डोर सबसे मजबूत हाेती है। यह किसी मजहब, किसी सरहद में कैद नहीं रह सकती। ऐसा ही प्यार यहां परवान चढ़ा है। प्रेम की इस डोर में बंधकर एक युवती सात समंदर पार से यहां आ गई। यह है अमेरिका की नोदिरामीनेर। नोदिरा का एक साल पहले महराणा के संदीप से प्यार हुआ था और वे मंगलवार रात हिंदू रीति-रिवाज से शादी के बंधन में बंध गए।

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महराणा के युवक से हिंदू रीति-रिवाज से अमेरिका की नोदिरामीनेर ने रचाई शादी

दुल्हन नोदिरामीनेर अमेरिका के ऑकलोहोमा के 50वां स्फिट टूलसा की रहने वाली है। वह करीब एक साल पहले मां नुरालिवा फैजिलेट के साथ गुडग़ांव के मेदांता अस्पताल में अपने भाई का इलाज करवाने के लिए आई थी। उस समय वह मेदांता अस्पताल के साथ बने महराणा गांव निवासी संदीप के गेस्ट हाउस में रूकी थी। एक सप्ताह से अधिक समय तक गेस्ट हाउस में रुकी नोदिरामीनेर व संदीप की आंखें दोचार हो गईं।

'शादी के मौके पर दुल्हन नोदिरामीनेर अपनी बहन अौर मां के साथ।

दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ और यह नोदिरामीनेर के वापस अमेरिका जाने के बाद भी जारी रहा। संदीप के साथ नोदिरामीनेर का प्यार इस कदर परवान चढ़ता गया कि उनके लिए एक-दूसरे से अलग रहना मुश्किल हो गया। इसके बाद उन्हाेंने शादी करने का फैसला किया। इसके लिए दोनों ने अपने परिजनों काे तैयार किया। दोनों का प्यार देखकर परिजन भी तैयार हो गए।

इसके बाद, दाेनों ने हिंदू रीति-रिवाज के साथ शादी करने का फैसला किया। करीब 15 दिन पहले नोदिरामीनेर अपनी मां नुरालिवा फैजिलेट व बहन इनीगोरा लानकेस्टर के साथ भारत पहुंची। संदीप के साथ वे गांव महराणा भी आईं। यहां की संस्कृति व रीति-रिवाज के कायल नोदिरामीरेन ही नहीं उसकी मां व बहन भी हो गईं।

उनके परिजनों ने 12 जनवरी को दोनों की शादी करने का फैसला किया और इसकी तैयारियां शुरू हो गईं। मंगलवार को शादी में दुलहन नोदिरामीरेन लंहगा-चुन्नी मं सजी धजी खूब जंच रही थी। गहने, कलाइयों पर रंग -बिरंगी चूडियों और हाथों में मेहंदी रचाई वह सब का मन माह रही थी।

दुल्हन की मां व बहन भी भारतीय रंग में रंगी थी और साडियां पहनी थीं। दोनों शादी के समय स्टेज नी नोदिरामीरेन के साथ खूब खुश थीं। उन्हें हिंदी नही समझ में आ रही थी, लेकिन वे संदीप व अन्य के इशारों के सहारे शादी की रस्में पूरी कर रही थीं। संदीप कुमार ग्रेजुएट है तो नादिरामीरेन अमेरिका के एक अस्पताल में स्टाफ नर्स थी।

संदीप व नोदिरामीरेन का कहना है कि आज उनका सपना साकार हो गया है। उनके परिवारों ने खुशी-खुशी उनके प्यार को स्वीकार किया है। आज वे शादी के बंधन में बंध कर बहुत खुश हैं। संदीप दो भाइयों में छोटा है और उसकी तीन बहनें हैं। उनका पिता 70 वर्षीय बलजीत सिंह पूर्व सैनिक हैं और मां रामरती देवी गृहणी हैं। भाई अनिल कुमार खेती करते हैं। संदीप की बहनें मीना, मंजू व उषा भी इस शादी से बेहद खुश हैं।

संदीप के पिता बलजीत व मां रामरती देवी का कहना है कि उनकी बहू चाहे विदेश की हो लेकिन आज हिंदी रीति रिवाज के साथ शादी कर उनका दिल जीत लिया है। रामरती का कहना है कि बहू से अंग्रेजी में बात तो वह नहीं कर पाती हैं लेकिन उसे संदीप के माध्यम से सारी बात समझाती हैं। अब यहां रहेगी तो यहां की भाषा भी सीख जाएगी।


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