World cancer day 2020 : ब्लड कैंसर ने छीनी बेटी, पिता को भी हुआ तो जज्बे से हारी बीमारी
कैंसर दिवस पर विशेष बड़ी बेटी श्रुति अभी 10-12 साल की ही थी कि चिकित्सकों ने उसे ब्लड कैंसर घोषित कर दिया। बेटी की मौत के बाद पिता को भी ब्लड कैंसर हो गया मगर बीमारी हार गई
भिवानी, जेएनएन। वो बहुत बुरा दौर था। बड़ी बेटी श्रुति अभी 10-12 साल की ही थी कि चिकित्सकों ने उसे ब्लड कैंसर घोषित कर दिया। हमने हर संभव प्रयास किया, लेकिन अपनी गुडिय़ा को बचा नहीं सके। अभी बेटी की मौत का गम भूले भी नहीं थे, कि मुझे भी तकलीफ शुरू हो गई। हिसार में रीढ़ की हड्डी की जांच करवाई तो पता चला कि मुझे भी ब्लड कैंसर है। लेकिन अब बहुत हो चुका था और मैंने कैंसर से लडऩे की ठान ली। यह आप बीती है भिवानी के जीतूवाला जोहड़ निवासी मुकेश कुमार की।
दो साल पहले मुकेश कुमार ब्लड कैंसर की चपेट में आ गए थे, लेकिन उनकी ङ्क्षजदादिली ने कैंसर को मात दे दी। आज वह पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं और अपनी किरयाना की दुकान अच्छी तरह से चला रहे हैं। विशेष बातचीत में मुकेश ने बताया कि हालांकि उन्हें ब्लड कैंसर की पहली ही स्टेज थी और समय रहते पता चल गया था। यहीं वजह रही कि कैंसर पर काबू पाया जा सका। शुरूआत में ही बीकानेर में इलाज के लिए पहुंच गए थे और एक महीने तक वहां उपचार के लिए दाखिल रहना पड़ा था।
लंबा इलाज चला। लेकिन अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं। मुकेश अब दुकान को अच्छी तरह से संभाल रहे हैं। लेकिन कैंसर से बचने के लिए परहेज करना भी जरूरी है। वह बताते हैं कि दूध, लस्सी व दही का खूब सेवन करते हैं। गोमूत्र का भी सेवन कर रहे हैं, जिससे काफी फायदा है। उन्होंने कहा कि मरीज से मिलने वाले हौसला न तोड़ें। कैंसर से लडऩा इतना मुश्किल नहीं है, जितना मुश्किल मिलने वालों की टिप्पणियां झेलना है। प्रदेश की स्थिति देखी जाए तो मई 2016 में सरकार द्वारा कैंसर के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया था। उस समय कुल 127 सेंटर प्रदेश में रजिस्टर्ड हुए। इनमें से 96 ने अपना डेटा भेजा है। कुल 23980 केसों का पता लगा है। वर्ष 2016 में 15384 तो 2017 में 7897 केस दर्ज हुए हैं।
ये हैं लक्ष्ण
- जख्म का न भरना
- प्राकृतिक छिंद्रों से असामान्य मवाद या रक्तस्राव होना
- निगलने में दिक्कत व अपच होना
- तिल या मस्से का तेजी से बढऩा
- लंबे समय या अस्पष्टीकृत खून या उसके घटकों का कम होना
- तेजी से व अस्पष्टीकृत वजन कम होना
क्या-क्या जांच करानी चाइए
डा. दिव्यकीर्ति आहुजा ने सलाह दी है कि सभी महिलाओं व पुरुषों को 50 की उम्र के बाद फ़किल अकल्ट ब्लड टेस्ट एफओबी परीक्षण आपके मल (विष्ठा) में अल्प मात्रा में रक्त का पता लगाता है जिसे आप सामान्य रूप से नहीं देख पाएंगे या इसके बारे में नहीं जान पाएंगे। कैंसर से बचने के लिए प्रारम्भिक जांच जिसमें स्क्रीङ्क्षनग व उसका निदान सबसे प्रभावी तरीका है