Maham-Hansi Railtrack: 500 गज जमीन के कारण अटका महम-हांसी रेललाइन का काम, नौ साल बाद भी ट्रैक अधूरा
Maham-Hansi Rail track हांसी - महम रेल लाइन का काम नौ साल से अटका पड़ा है । इस रेल ट्रैक का काम 500 गज जमीन के कारण अटका हुआ है। इस रेल लाइन के पूरा होने लोगोंं को काफी राहत व सुविधा मिलेगी।
चेतन सिंह, हिसार। Maham - Hansi Rail Track: हरियाणा में महम-हांसी रेल ट्रैक का काम नौ साल से अटका पड़ा है। इसका कारण महज 500 गज जमीन का टुकड़ा है। इस जमीन के कारण हांसी-महम रेल लाइन का काम अगे नहीं बढ़ रहा है। 2013 में हांसी-महम रेलवे लाइन कनेक्टिविटी की घोषणा हुई थी। इस प्रोजेक्ट पर 755 करोड़ की राशि मंजूर हो चुकी है। प्रदेश सरकार 330 करोड़ की राशि अधिग्रहण पर खर्च कर चुकी है बावजूद इसके नौ साल बाद आज भी हांसी-महम रेल लाइन प्रोजेक्ट अधूरा है।
सोरखी के किसान का जमीन अधिग्रहण केस सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन, सहमति बनाने में जुटी सरकार
हांसी से लेकर महम रेल लाइन 20 गांवों में से होकर गुजर रही है। इस गांव में हांसी का गांव सोरखी भी है। सोरखी के राजेंद्र ने इस जमीन पर फैक्टरी लगाई हुई है। खास बात यह है कि हांसी-महम रेलवे लाइन पाइप फैक्टरी के बीचों-बीच से गुजर रही है। राजेंद्र ने इसके खिलाफ पांच सितंबर 2017 में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने फैसला राजेंद्र के पक्ष में सुनाया और भूमि अधिग्रहण को खारिज कर दिया।
2013 में हांसी-महम रेलवे लाइन कनेक्टिविटी की घोषणा हुई थी, 755 करोड़ की राशि मंजूर हो चुकी है
इसके बाद 2019 में सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। जहां केस अब भी विचाराधीन है, मगर दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में केस विचाराधीन होने के बावजूद 14 फरवरी 2020 को प्रशासन ने यह जमीन जबरन खाली करवाने की कोशिश की और भू-मालिक राजेंद्र के खिलाफ सरकार ड्यूटी में बाधा का केस बनाकर दो दिन के जेल में डाल दिया।
इसके बाद राजेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी तरफ से भी याचिका लगाई और प्रशासन द्वारा जबरन जमीन छीनने का आरोप लगाया। अब प्रशासन 2022 से राजेंद्र के साथ कोर्ट के बाहर सेटलमेंट में जुटा है। हांसी से महम बिछ चुकी है लाइनें, बदले जा रहे पैनल दूसरी ओर पुराने पैनल की जगह नए पैनल डालने का काम शुरू हो चुका है। डोभ से महम तक पुराने रेल से ट्रैक लिंक कर दिए गए हैं। साथ-साथ डोभ से खरकड़ा स्टेशन तक नई रेल लाइन भी ¨लक कर दी गई है।
अब मोखरा व महम स्टेशन पर सिग्नल का काम चल रहा है। डोभ से बहुअकबरपुर स्टेशन के बीच विद्युतीकरण का काम चालू है। 500 गज जमीन को छोड़कर बाकि जगह पर ट्रैक बेड तैयार हैं और स्लीपर व पुरानी रेल से ट्रैक लि¨कग का काम चालू है। तीन जिलों ही नहीं समूचे प्रदेश को होगा लाभ बेशक ये रेल लाइन हिसार, भिवानी व रोहतक तीन जिलों से होकर गुजरेगी। लेकिन इसका फायदा समूचे प्रदेश को होगा।
इसके चालू होने से सिरसा, फतेहाबाद, डबवाली आदि इलाकों से देश की राजधानी से संपर्क सुगम होगा। कुछ घंटे के सफर में कम खर्च पर दिल्ली पहुंचा जा सकेगा। व्यापारिक नजरिये से भी इस रेल लाइन से प्रदेश के बड़े हिस्से को लाभ पहुंचेगा।
प्रोजेक्ट का पूर्ण विवरण
घोषणा: वर्ष 2011
शिलान्यास- 2013
जमीन अधिग्रहण: 2014
आरंभिक लागत : 287 करोड़ वर्तमान लागत : 694 करोड़ राशि मंजूर : 755 करोड़।
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देरी का कारण - मुआवजा केस व राजनीति
लाइन बिछाने की कुल लागत का आधा खर्च को सरकार को करना है वहन: प्रदेश सरकार ने रेल लाइन के लिए रेलवे विभाग को मुफ्त जमीन देने का आश्वासन दिया था। इसके अलावा रेल लाइन बिछाने की कुल लागत का आधा खर्च भी प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जाना है। रेल मार्ग के लिए करीब 360 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। जमीन अधिग्रहण में 330.20 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार ने खर्च किए हैं।
68.5 किमी लंबी रेल लाइन पर होंगे पांच स्टेशन
हिसार से हांसी तक पुरानी पटरी पर ही रेल दौड़ेगी। इसके बाद हांसी रेलवे स्टेशन से दो किमी दूरी पर हांसी-रोहतक रेल लाइन शुरू होगी। जबकि पुरानी रेल लाइन भिवानी की तरफ जाती है। इस रेल रूट पर कुल 5 स्टेशन होंगे व 20 गांवों के होती हुई रेल रोहतक पहुंचेगी। हांसी के बाद पहले स्टेशन गढ़ी, मदीना, बलंभा, खरकड़ा व रोहतक से पहले बहु-अकबरपुर गांव में स्टेशन होगा। इस रेल मार्ग से हिसार से रोहतक के बीच 20 किमी की दूरी कम होगी।