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उचित अवसर मिले तो देश के विकास का परिदृश्य बदल सकती हैं महिलाएं : प्रो. समर सिंह

आज देश की कुल आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है इसके बावजूद खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अभी भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। महिला सशक्तीकरण के लिए कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान को न केवल सराहा जाना चाहिए बल्कि उन्हें अधिक से अधिक किसानी के लिए आमंत्रित भी करना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 06:25 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 06:25 AM (IST)
उचित अवसर मिले तो देश के विकास का परिदृश्य बदल सकती हैं महिलाएं : प्रो. समर सिंह

जागरण संवाददाता, हिसार : अगर हम देश में दूसरी हरित क्रांति लाना चाहते हैं तो कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका व उनकी सहभागिता को सुनिश्चित करना होगा। इसके लिए महिला किसानों को प्रोत्साहन व वित्तीय सुविधा प्रदान करना जरूरी है। यह बाते चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कही। वे विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान महाविद्यालय में आयोजित महिला किसान दिवस के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. बिमला ढांडा ने की। कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से किया गया।

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मुख्यातिथि ने कहा कि आज देश की कुल आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है, इसके बावजूद खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अभी भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। महिला सशक्तीकरण के लिए कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान को न केवल सराहा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें अधिक से अधिक किसानी के लिए आमंत्रित भी करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कृषि क्षेत्र में महिलाओं को बराबर का दर्जा मिले तो फसल उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है, भूख और कुपोषण को भी रोका जा सकता है। इसके अलावा ग्रामीण आजीविका में सुधार होगा, जिसका लाभ पूरे परिवार व समाज को होगा।

कृषक महिलाओं ने साझा किए विचार

डा. बिमला ढांडा ने बताया कि देश भर के समस्त कृषि विश्वविद्यालयों, संस्थानों एवं कृषि विज्ञान केंद्रों में महिला किसान दिवस आयोजित करने का उद्देश्य कृषि में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को बढ़ाना है। कार्यक्रम के दौरान फतेहाबाद जिले की प्रगतिशील महिला किसान सिमरजीत कौर ने केंचुआ खाद-एक व्यवसाय एवं खाद्य सुरक्षा पर अपन विचार साझा किए व अन्य महिलाओं को भी जैविक खेती अपनाने पर बल दिया। किसान नरेंद्र ने महिलाओं को विविधिकरण अपनाने की सलाह दी। उन्होंने महिलाओं से विभिन्न सब्जियों की पंजीरी तैयार करने के अनुभव के साथ-साथ कृषि व्यवसाय से अधिक से अधिक मुनाफा हासिल करने को लेकर भी विचार-विमर्श किया।

स्वयं सहायता समूह बनाकर करें काम

गैर सरकारी संगठन से जुड़ी पुष्पा रानी ने महिलाओं से स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर काम करने का आह्वान करते हुए कहा कि वे गृह वाटिका, बीज तैयार कर व घरेलू खाद्य उत्पादन से अपनी आय उपार्जित कर सकती हैं। डा. वीनू सांगवान ने मोटे अनाज का प्रसंस्करण व पौष्टिकता पर व्याख्यान देते हुए गृह विज्ञान महाविद्यालय द्वारा आयोजित किए जाने वाले विभिन्न प्रशिक्षणों के बारे में जानकारी दी। डा. बीना यादव ने सभी वक्ताओं व श्रोताओं का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संयोजन डा. सुषमा कौशिक व डा. राजेश दहिया ने किया।

इस कार्यक्रम में प्रदेश की करीब 200 कृषक महिलाएं जिन्होंने इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है, अपने खेती-बाड़ी संबंधी अनुभवों को साझा किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष के अलावा होम साइंस कॉलेज की शिक्षकों व विभिन्न गांवों की महिलाओं ने ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से हिस्सा लिया।


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