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ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से कभी विधायक नहीं बनी महिला, दूसरे-तीसरे स्‍थान पर भी नहीं आ सकी महिलाएं

ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र की है जहां से महिला विधायक कभी नहीं बन पाई। 1967 के चुनाव से लेकर वर्ष 2019 तक प्रमुख पार्टियों ने महिला को टिकट नहीं दिया और न ही कोई महिला यहां से मजबूत ढंग से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा पाई।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 09:01 AM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 09:01 AM (IST)
ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से कभी विधायक नहीं बनी महिला, दूसरे-तीसरे स्‍थान पर भी नहीं आ सकी महिलाएं
ऐलनाबाद में होने जा रहे उपचुनाव में देखना होगा क्‍या कोई महिला मैदान में उतरती है

जागरण संवाददाता, सिरसा : कुल मतदाताओं का आधे से कम हिस्सा उनके नाम है। दूसरे की किस्मत का फैसला करती हैं पर खुद कभी इस सीट पर ताकतवर नहीं रही। यहां चर्चा ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र की है जहां से महिला विधायक कभी नहीं बन पाई। 1967 के चुनाव से लेकर वर्ष 2019 तक प्रमुख पार्टियों ने महिला को टिकट नहीं दिया और न ही कोई महिला यहां से मजबूत ढंग से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा पाई। किसी भी चुनाव में महिला यहां से नहीं आई।

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21 फरवरी 1967 को यहां पहला चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस की टिकट पर प्रताप सिंह चौटाला 2647 मतों से चुनाव जीते और उन्होंने आजाद प्रत्याशी लालचंद को शिकस्त दी। 12 मई 1968 को लालचंद विशाल हरियाणा पार्टी से ओमप्रकाश से चुनाव जीत गए लेकिन इसी दौरान उप चुनाव हुआ जिसमें ओमप्रकाश ने जीत हासिल कर ली। 1972 के आम चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर बृजलाल गोदारा जीते और आजाद प्रत्याशी बीरबल चुनाव हार गए। 1977, 82, 87 में यहां चौधरी देवीलाल का जादू चला और उनके प्रत्याशी भागीराम चुनाव जीतते रहे।

तीनों ही चुनाव में भागीराम ने मनीराम केहरवाला को शिकस्त दी लेकिन 1991 के चुनाव में मनीराम ने कांग्रेस की टिकट पर जनता पार्टी के भागीराम को हरा दिया। 1996 के आम चुनाव में समता पार्टी के भागीराम ने हरियाणा विकास पार्टी के करनैल सिंह को हराया और कांग्रेस इस चुनाव में तीसरे स्थान पर चली गई। वर्ष 2000 के चुनाव में भागीराम ने कांग्रेस के ओमप्रकाश केहरवाला को हरा दिया। वर्ष 2005 में इनेलो के डा. सुशील इंदौरा ने कांग्रेस के मनीराम केहरवाला को हरा दिया।

वर्ष 2009 में हुए चुनाव में पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ऐलनाबाद व उचाना हलका से जीते और ऐलनाबाद सीट से त्यागपत्र दे दिया। वर्ष 2010 में हुए उपचुनाव में इनेलो के अभय चौटाला ने जीत दर्ज की और कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल को पराजित किया। वर्ष 2014 व 2019 में भी इस सीट पर इनेलो के अभय सिंह चौटाला विजयी रहे। इन दोनों चुनावों में भाजपा के पवन बैनीवाल को हार का सामना करना पड़ा।


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