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फतेहाबाद में रासायनिक उर्वरकों की खपत बढ़ने के साथ ही पशुओं की संख्या हुई कम, विभाग करेगा जागरुक

पिछले कई सालों से पशुपालन का दर लगातार घटती जा रही है। इसका मुख्य कारण है कि दुधारू पशुओं की संख्या कम होना। किसानों द्वारा रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग करने के कारण इसका असर पशुओं पर पड़ रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 02:57 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 02:57 PM (IST)
फतेहाबाद में रासायनिक उर्वरकों की खपत बढ़ने के साथ ही पशुओं की संख्या हुई कम, विभाग करेगा जागरुक
फतेहाबाद में हर घर में औसतन पांच पशु मिलते थे, पिछले 13 सालों में कम हुए 76 हजार 148 पशु

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : आज भी जिला में मुख्य व्यवसाय कृषि व पशुपालन है। लेकिन पिछले कई सालों से पशुपालन का दर लगातार घटती जा रही है। इसका मुख्य कारण है कि दुधारू पशुओं की संख्या कम होना। किसानों द्वारा रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग करने के कारण इसका असर पशुओं पर पड़ रहा है। एक समय था जब किसान अपनी फसलों में उर्वरक रसायन डालते नहीं थे, लेकिन अब ऐसा नहीं। इन रसायनों का अधिक प्रयोग करने से दुधारू पशुओं की संख्या कम हो गई। मुनाफा कम होने के कारण अब औसतन हर घर में पशुओं की संख्या दो तक आ गई है। एक समय था जब हर घर में पांच पशु अवश्य मिलते थे।

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पशुपालन विभाग के अधिकारी भी मान रहे है कि पशुओं के चारे में भी रसायन पदार्थों की संख्या अधिक होने के कारण यह दिक्कत आई है। लेकिन अब पशुओं की संख्या कम होने के कारण पशुपालन विभाग किसानों व पशुपालकों को जागरूक करेगा। सरकार द्वार दी जा रही योजनाओं की जानकारी भी देगा। इसके अलावा पशुपालन पशुओं को क्या खिलाए इसके बारे में भी जानकारी देंगे। पिछले 13 वर्षों में जिले में 66 हजार भैंस कम हुई है। इसके अलावा अन्य पशुओं का जिक्र करे तो 76 पशु है तो पिछले 13 सालों में कम हुए है। अगर आने वाले दिनों में ऐसा ही चलता रहा तो घरों से पशु ही गायब हो जाएंगे।

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हर साल 70 हजार मीट्रिक टन यूरिया का प्रयोग कर रहे किसान

किसान फसल अधिक लेने के चक्कर में खेतों में यूरिया खाद का प्रयोग अधिक कर रहे है। पिछले साल 70 हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद जिले में आई, लेकिन फिर भी खाद का संकट बरकरार रहा है। यहीं हाल अब है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है किसान किस तरह अपने खेतों में रसायनिक खाद का प्रयोग कर रहे है। अब तो हरे चारे में भी खाद का प्रयोग किया जा रहा है। इस कारण दुधारू पशुओं में प्रजनन क्षमता भी कम हुई है जिससे लगातार पशुओं की संख्या पर असर पड़ा है।

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जिले में पिछले दो पशु गणना के अनुसार आंकड़ा

पशु के नाम 2019 वर्ष 2007 वर्ष

गोवंश 109062 81545

भैंस 234323 300344

बकरी 15146 32158

भेड़ 13189 16121

ऊंट 547 3595

अन्य 5031 19801

कुल पशु 377416 453564

नोट: ये आंकड़े पशु पालन विभाग की गणना के अनुसार है।

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जिले में पिछले 10 वर्षों में बढ़ा उर्वरकों का प्रयोग

उर्वर का नाम वर्ष 2020 वर्ष 2010

यूरिया 67000 46500

डीएपी 21000 14000

अन्य 16800 9000

नोट : यह आंकड़ा मीट्रिक टन में है।

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गांवों से लोग शहर की तरफ भी आ रहे है, इस कारण पशुओं की संख्या भी कम हुई है। अगर पशुओं के चारे में अधिक रसायन उर्वरक का प्रयोग होता है तो प्रजनन की दिक्कत भी आती है। वहीं अब विभाग किसानों व पशुपालनकों को जागरूक भी कर रहा है। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले समय में जो आंकड़ा घटा है वो पूरा हो जाएगा।

- डा. काशीराम, उपनिदेशक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग।


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