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जानें, हिसार मेयर गाैतम सरदाना की कोरोना रिपोर्ट को लेकर क्‍यों मचा है घमासान

रिपोर्ट पर उलझे स्वास्थ्य विभाग के अफसर जुबानी जंग हुई तेज। डा. रमेश पूनिया ने सोशल मीडिया पर लिखा रिपोर्ट जबरन निगेटिव घोषित करने का दबाव डाला।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 02:09 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 02:09 PM (IST)
जानें, हिसार मेयर गाैतम सरदाना की कोरोना रिपोर्ट को लेकर क्‍यों मचा है घमासान

हिसार, जेएनएन। मेयर गौतम सरदाना की कोरोना रिपोर्ट पर स्वास्थ्य विभाग के अफसर उलझ गए हैं। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। डा. रमेश पूनिया ने सोशल मीडिया पर एक बार फिर मोर्चा खोलते हुए अपने ही विभाग पर सवाल उठाए हैं। जिस स्वास्थ्य विभाग में काम के लिए डा. पूनिया के काम को सराहना मिली, अब उसी पर पक्षपात का आरोप लगा दिया है। वहीं सीएमओ डाक्टर रत्ना भारती ने भी एक्शन लेते हुए मीडिया में बयान देने के लिए डिप्टी सीएमओ डाक्टर जया गोयल को अधिकृत कर दिया है। इससे साफ है कि कोरोना के समय जहां शहर में इतने केस बढ़ गए हैं, वही विभाग के अफसर एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर लोगों से सहानुभूति लेने और अपने को सही ठहराने में लगे हैं।

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डा. रमेश पूनिया ने शनिवार को फेसबुक वाल पर पोस्ट डालते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों पर दबाव डालकर मेयर की कोरोना रिपोर्ट को निगेटिव घोषित करवाने का आरोप लगाया है। डा. पूनिया ने बताया कि स्वास्थ्य अधिकारी रसूखदार लोगों की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट 2 घंटे में ही तैयार करवा देते हैं लेकिन गरीबों को 3-3 दिन तक टेस्ट की रिपोर्ट के लिए इंतजार करना पड़ता है। कोरोना के मामले में पूरी तरह से आम जनता के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। अमीरों और बड़े लोगों को सिस्टम के तहत तुरंत सारी सुविधाएं दी जाती हैं और गरीब व आम लोगों को टेस्ट की रिपोर्ट के लिए कई-कई दिन तक इंतजार करने के लिए छोड़ा जा रहा है।

यह था मामला

नगर निगम मेयर की एनआरसी से कोरोना वायरस की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के दो दिन बाद सिविल सर्जन द्वारा उन्हें निगेटिव बताए जाने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मचारियों में आपसी खींचतान शुरू हो गई थी। इस मामले के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने डा. रमेश पूनिया को बुलाकर उनसे मीडिया में मेयर की रिपोर्ट की बातें जाने पर जवाब-तलब किया। बैठक के बाद डा. रमेश पूनिया ने फेसबुक पर पोस्ट डाली। जिसमें स्वास्थ्य अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। डा. रमेश पूनिया ने सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट में लिखा 5 जुलाई को मेयर का सैंपल लिया गया। 6 जुलाई को रिपोर्ट पॉजिटिव आई लेकिन मीङ्क्षटग में उन्हें बताया गया कि मेयर का सैंपल 6 जुलाई की रात को अग्रोहा मेडिकल कालेज में भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। 10 मई को इसी प्रकार सीबी नैट टेस्ट अर्बन एस्टेट निवासी एक रसूखदार युवक का भी किया गया था। जिसकी रिपोर्ट 2 घंटे में आ गई थी लेकिन क्या सीबी नैट टेस्ट केवल रसूखदार और पहुंच वाले लोगों के लिए रिजर्व है। जबकि पिछले महीने कैथल की एक औरत की मृत्यु हो गई और 3 दिन तक उसका शव शव गृह में पड़ा रहा। क्योंकि वह मजदूर की पत्नी थी। डा. पूनिया ने आरोप लगाया कि आइडीएसपी इंचार्ज उन्हें कहती हैं कि घर का भेदी लंका ढाए, उन्होंने मुझे विभीषण की संज्ञा दे दी। डा. रमेश पूनिया ने पोस्ट में यहां तक लिख दिया कि चमचागिरी की भी हद होती है। मेयर कहते हैं कि घर के बाहर पोस्टर लगाओ लेकिन अधिकारी कह रहे हैं पोस्टर नहीं लगाना।

सीएमओ ने सूचना देने के लिए डा. जया गोयल को अधिकृत करने की सूचना कर दी जारी

दूसरी और सिविल सर्जन ने डिप्टी सिविल सर्जन डा. जया गोयल को मीडिया को बयान देने के लिए अधिकृत कर दिया। आपसी खींचतान यहीं नहीं रुकी। सीएमओ ने बयान जारी कर कहा कि कोविड अस्पताल, आइसोलेशन सेंटर, क्वारंटाइन सेंटर या गृह एकांतवास के लिए रेफर करना है या मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, उसकी कॉन्टेक्ट हिस्ट्री, लक्षणों, परिस्थितियों की जानकारी लेने का काम स्वास्थ्य विभाग का है। इसका निर्धारण स्वास्थ्य विभाग गाइडलाइन के अनुसार करता है और किसी भी व्यक्ति को इसे चुनौती देने का अधिकार नहीं है।


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