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ये कैसी इंजीनियरिंग, हिसार में करोड़ों रुपये खर्च कर बनाई सड़के, जलनिकासी का प्रबंध नहीं, टूट रहे मार्ग

इंजीनियरों की कार्यप्रणाली ने जनता को राहत देने की बजाए विकास के नाम पर परेशानी बढ़ा दी है। कई विकास कार्यों में इंजीनियरों की प्लानिंग पूरी तरह से फेल नजर आ रही है। कारण है कि करोड़ों रुपये की लागत से बनी कई सड़कें टूट रही हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 11:58 AM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 11:58 AM (IST)
ये कैसी इंजीनियरिंग, हिसार में करोड़ों रुपये खर्च कर बनाई सड़के, जलनिकासी का प्रबंध नहीं, टूट रहे मार्ग
इंजीनियरों की ओर से बरती गई अनियमित्तताओं और लापरवाही पर जनता का पैसा बहाया जाएगा।

पवन सिरोवा, हिसार : शहर में विभिन्न विभागों के इंजीनियरों की कार्यप्रणाली ने जनता को राहत देने की बजाए विकास के नाम पर परेशानी बढ़ा दी है। कई विकास कार्यों में इंजीनियरों की प्लानिंग पूरी तरह से फेल नजर आ रही है। कारण है कि करोड़ों रुपये की लागत से बनी कई सड़कों पर इंजीनियरों की प्लानिंग ऐसी रही कि उन्होंने जलनिकासी के कोई पुख्ता प्रबंध ही नहीं करवाए। यहीं कारण रहा कि विकास के नाम पर जनता का पैसा तो खूब बहाया लेकिन अब वह सड़के क्षतिग्रस्त होने लगी है। अब विभाग उन सड़कों ो को कहीं नए बनाने के प्रपोजल पर काम कर रहा है तो कहीं उनकी मरम्मत करने के लिए टेंडर की तैयारी कर रहा है। ऐसे में पहले विकास के नाम पर और अब उस विकास में इंजीनियरों की ओर से बरती गई अनियमित्तताओं और लापरवाही पर जनता का पैसा बहाया जाएगा।

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इन सड़कों से समझे इंजीनियरों की प्लानिंग का सच

केस-. वार्ड-1 में ब्राह्म महाविद्यालय के सामने बनी सड़क

दयानंद ब्रह्म महाविद्यालय गेट के सामने से लेकर साउथ बाइपास की ओर बीएंडआर के इंजीनियरों ने करीब .80 किलोमीटर लंबी सड़क 96.69 लाख से बनाई। सड़क निर्माण में इंजीनियरों ने प्लानिंग तो की लेकिन उसमें ऐसी कलाकारी दिखाई की सड़क पर जलनिकासी का प्रबंध ही नहीं किया। हल्की सी बरसात में भी कई दिनों तक सड़क पर पानी ठहरा रहता है। जिस कारण लाखों रुपये की लागत से बनी यह सड़क क्षतिग्रस्त होने की कगार पर पहुंच गई है।

केस-2: वार्ड-20 में लक्ष्मीबाई चौक से मलिक चौक मार्ग

लक्ष्मीबाई चौक से मलिक चौक तक 1.97 करोड़ की लागत से फोरलेन बना। जो उद्घाटन से पहले ही टूट गया। मार्च में हुई हाउस की बैठक पर पार्षद उमेद खन्ना ने इस सड़क निर्माण पर सवाल खड़े करते हुए इसके निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे। वर्तमान में पार्षद अंबिका शर्मा को इस सड़क को लेकर कई लोग शिकायत कर चुके है कि पानी निकासी का उचित प्रबंध नहीं है। इस मार्ग पर निकायमंत्री, निगम कमिश्नर, आईजी से लेकर प्रशासनिक अफसरों के घर होने के बावजूद सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ चुके है।

केस-3 :  पहले नहीं की प्लानिंग बाद में खर्चे 17 लाख

सीएम की घोषणा के तहत बस स्टैंड के पिछले गेट से साउथ बाइपास तक करीब पांच करोड़ की लागत से बीएंडआर से सड़क निर्माण करवाया। यह शहर की ऐसी सड़क है जिसके निर्माण पर इंजीनियरों को पार्षद और आमजन दोनों ने जलनिकासी के लिए कहा, लेकिन इंजीनियरों ने व्यवस्था को दरकिनार कर दिया। पार्षद अनिल जैन हाउस में कहा कि पहले जलनिकासी के प्रबंध के जहां केवल एक लाख रुपये खर्चा आता इंजीनियरों की हटधर्मिता के कारण बाद में वहां करीब 17 लाख रुपये खर्चें। यह सड़क ऐसी बनी है जो वारंटी पीरियड में ही टूटने लगी है। ऐसे में पेंचवर्क कब तक चलेंगे यह सब जानते है।

केस -4: निगम की सड़क जहां बरसात के पानी की निकासी का नहीं कोई प्रबंध

निकायमंत्री डा. कमल गुप्ता के आवास के चंद कदमों की दूरी पर ही बालसमंद रोड से घोड़ाफार्म रोड को मिलने वाली सड़क पर जनस्वास्थ्य विभाग की बेहतरीन कार्यप्रणाली का नमूना है। यहां पेयजल लीकेज से लेकर सीवरेज समस्या सालों से जिसमें काफी राशि खर्ची लेकर समाधान आज तक नहीं हुआ। इतनी ही नहीं समाधान के लिए सड़क भी तोड़ डाली।

केस-5 : हाउस में पार्षद ने कहा व्यवस्था करो, इंजीनियर बोले सड़क ही नई बनेंगी

इंडस्ट्रियल एरिया वह क्षेत्र है जहां से सरकार को करोड़ों रुपये का टैक्स के रूप में राजस्व प्राप्त होता है। हाउस की बैठक में पार्षद जगमोहन मित्तल ने इस क्षेत्र में जलनिकासी के उचित प्रबंध नहीं होने के कारण सड़कों के टूटने का मुद्दा हाउस में उठाया। इंजीनियरों ने बेहतर पानी निकासी का प्रबंध करने की बजाए उसमें सड़क निर्माण को ही प्राथमिकता दी। यानि ठेके पर निर्माण होगा और फिर बन जाएगी करोड़ों की बिना बेहतर प्लानिंग के सड़क।

केस-6 : इंजीनियरों की मानिटरिंग का कारनामा

वार्ड-10 में तो निगम के इंजीनियरों ने मानिटरिंग के नाम पर हैरान करने वाला काम कर दिया। ऐसी सड़क बनाई की ठेकेदार ने सभी सीवरेज के मैन होल ही दबा दिए। सड़क निर्माण की मानिटरिंग जेई, एमई और एक्सइन तक की मानटरिंग रहती है। ऐसे में उनकी मानिटरिंग कैसी रहीं होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें पूरी सड़क निर्माण तक यह नहीं पता चला कि मैनहोल ही दब गए। बाद में पार्षद बिमला देवी ने मुद्दा उठाया तो इंजीनियरों की नींद खुली और मैनहोल निकलवाए।

---शहर की सड़कों के मैनहोल ऊपर नीचे होने के कारण हादसों का खतरा बना रहता है, इंजीनियरों को सड़कों के सीवरेज मैनहोल लेवल में किए जाने के संबंध में दिशा निर्देश दिए थे। इस संबंध में कार्य किए जाएंगे।

- गौतम सरदाना, मेयर, नगर निगम हिसार।


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