पिता की मौत और मां को कैंसर होने के बाद भी नहीं टूटी विनेश फोगाट, अब खेल रत्न की दौड़ में
ओलंपियन महिला पहलवान विनेश फोगाट ने हर तरह की तकलीफ सहकर खुद को और घर को संभाला है। विनेश फोगाट अभी ओलंपिक के लिए तैयारी में जुटी हुई हैं। पढें इनके संघर्ष की कहानी
हिसार, जेएनएन। जिंदगी में दुख और तकलीफ इंसान को जहां कमजोर कर देती है, वहीं एक महिला पहलवान ने इसी दौर को अपनी मजबूती बना लिया। चरखी दादरी निवासी विनेश फोगाट ने साबित कर दिखाया कि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी बाधा भी राह छोड़ देती है। अंतरराष्ट्रीय पहलवान विनेश फोगाट आज राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामित हो इस दौड़ में शामिल हो गई हैं। मगर ये सफर इतना आसान नहीं था। एक वो दौर भी था जब विनेश ने हर वो बुरा मंजर देखा जिसमें कोई भी इंसान टूट सकता है। मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। जब ठीक से जीवन की कडि़यों को समझने भी नहीं लगी थीं पता चला की मां को कैंसर है। दुखों का पहाड़ तो उस वक्त टूटा जब कैंसर का पता लगने के तीन दिन बाद ही पिता का साया सिर से उठ गया। विनेश ने जब खेलना शुरू किया तो किसी ने नहीं सोचा था कि वो इतनी बड़ी स्टार बनेगी। आइए जानें इनकी संघर्ष भरी कहानी.........
वहीं बता दें कि विनेश की सफलता के पीछे उनकी मां का भी बहुमूल्य योगदान हैं। चरखी दादरी जिले के गांव बलाली निवासी विनेश की मां प्रेमलता को 2003 में शारीरिक तकलीफ हुई। चिकित्सकीय जांच में पता चला कि उनकी बच्चेदानी में कैंसर है। तीन दिन के भीतर ही रोडवेज विभाग में चालक प्रेमलता के पति राजपाल फौगाट की मौत हो गई। यह उनके परिवार के लिए पूरी तरह तोड़ देने वाले वाले हालात थे। कैंसर और पति की मौत ने प्रेमलता को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया। उस समय उनकी उम्र महज 33 साल थी। विनेश भी बेहद छोटी थी।
अपनी मां प्रेमलता के साथ विनेश फोगाट
परिवार की नाव मझधार में थी। ऐसे में प्रेमलता का जज्बा जागा और उन्होंने अपने तीनों बच्चों का भविष्य संवारने के लिए कैंसर से जंग लड़ने की ठानी। पति की मौत के एक महीने बाद ही राजस्थान के जोधपुर में ऑपरेशन कराकर उन्होंने बच्चेदानी को निकलवा दिया। प्रेमलता बताती है कि पति की मौत के समय उनका पुत्र हरविंद्र दसवीं, बेटी प्रियंका सातवीं और सबसे छोटी बेटी विनेश चौथी कक्षा में पढ़ती थी। कैंसर के ऑपरेशन के समय चिकित्सकों ने मुझे बताया कि वह महज चार-पांच वर्ष और जीने सकती हैं, लेकिन मैंने बच्चों को पाले बगैर नहीं मरने की ठान ली थी।
मां प्रेमलता ने बताया कि चिकित्सकों की सलाह से खानपान में बदलाव लाकर, हर रोज घरेलू काम कर खुद को तंदुरूस्त रखा। आज कैंसर के ऑपरेशन के करीब 17 साल बाद भी वह पूरी तरह से तंदुरूस्त हैं। प्रेमलता का कहना है कि उन्होंने कभी भी अपने बच्चों में निराशा का भाव नहीं आने दिया। खुद भी हमेशा सकारात्मक सोच रखी।
दंगल गर्ल के नाम से प्रचलित हो गया गांव बलाली
बता दें कि विनेश फोगाट दंगल गर्ल बबीता और गीता फोगाट की चचेरी बहन है। उनकाे देखकर और ताऊ महाबीर फोगाट से प्रशिक्षण ले विनेश फोगाट ने खेलना शुरू किया था। आमिर खान निर्देशित फिल्म दंगल की शूटिंग जब बलाली गांव में हुई तब बबीता और गीता फोगाट सुर्खियाें में छा गईं। उस वक्त विनेश को लोग कम जानते थे। मगर जब विनेश ने एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में सोने पर निशाना साधा तो हर कोई उनका मुरीद हो गया। ओलंपिक में जिस महिला खिलाड़ी से वो चोटिल हुई उसी को हरा एशियन गेम्स में मेडल जीता।
विनेश ने पहलवान से ही की शादी
महिला पहलवान गोल्डन गर्ल विनेश फौगाट और पहलवान सोमवीर राठी दिसंबर 2018 में सात जन्मों के बंधन में बंध गए। चरखी दादरी जिले के बलाली गांव में दाेनों की शादी हुई। इस शादी की खास बात यह रही कि दुल्हन विनेश और दूल्हा सोमवीर ने सात की जगह आठ फेरे लिये। शादी के लिए सुंदर मंडप बनाया गया। दुल्हन विनेश बेहद खूबसूरत लाल जोड़े में सजी थीं तो दूल्हा गाेल्डन कलर की शेरवानी और लाल पगड़ी में।
सोमवीर राठी भी पहलवान हैं और जींद के रहनेवाले हैं। शादी में सत फेरे लिए जाते हैं, लेकिन दोनों ने आठवां फेरा भी लिया। विनेश और साेमवीर ने आठवां फेरा ' बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी खिलाओ' का संदेश देने के लिए लिया। उन्होंने इस संदेश के साथ आठवें फेरा लेने के लिए संकल्प लिया। विवाह स्थल को बेहद सुंदर तरीके से सजाया गया था।