उत्पन्ना एकादशी 22 को, उपवास करने से मनुष्य को मिलता है विशेष फल
इस एकादशी में भगवान विष्णु और माता एकादशी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। व्रत एकदाशी के अलग दिन सूर्योदय के बाद खोलना चाहिए इस दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए ।
झज्जर, जेएनएन। आगामी 22 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी है। हिन्दू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का खास महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन माता एकादशी का जन्म हुआ था ।
इस एकादशी में भगवान विष्णु और माता एकादशी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। व्रत एकदाशी के अलग दिन सूर्योदय के बाद खोलना चाहिए इस दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए । ज्योतिषाचार्य पंडित पवन कौशिक ने बताया कि पौराणिक मान्यतानुसार यह उपवास, उपवासक का मन निर्मल करता है, शरीर को स्वस्थ करता है, हृदय शुद्ध करता है तथा भक्त को सदमार्ग की ओर प्रेरित करता है।
व्रत का पुण्य जीव का उद्धार करता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन ब्रह्रा मुहूर्त समय में भगवान का पुष्प, धूप, दीप, अक्षत से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु ने एकादशी को वरदान दिया था जो जातक एकादशी का उपवास करेगा उसके समस्त पापों का नाश होगा।
ऐसे करें व्रत
साल में वैसे तो 24 एकादशी आती हैं मगर किन्ही स्थितियों में इनकी संख्या 26 तक भी हो सकती है। हरेक एकादशी का अपना महत्व है, मगर इनमें से कुछ का विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से देवउठान एकादशी और उत्पन्ना एकादशी भी है। उत्पन्ना एकादशी के व्रत के लिए सुबह उठकर अच्छे से दांत साफ करें ताकि अन्न किभी भी तरह से पेट में न जाए। सुबह इसके बाद स्नान करके धुले हुए वस्त्र धारण कर धूप, दीप व नैवेध से भगवान की पूजा करें। इस दिन भूलकर भी चावलों का सेवन नहीं करें। एकादशी के व्रत के अगले दिन फिर से स्नान कर, ब्राह्मणों को भोजन करवा वस्त्र आदी का दान करके भगवान को भोग लगाकर व्रत खोल लें।
इन तिथियों को रहेगी शादियों की धूम
आठ नंवबर को आई देवउठनी एकादशी के बाद सभी जगह शहनाई गूंज रही है। अब तक शुभ मुहुर्त के अलावा बाकी बचे मुहुर्त में 21 नवंबर, 22 नवंबर, 23 नवंबर, 28 नवंबर, 30 नवंबर, 1 दिसंबर, 5 दिसंबर, 6 दिसंबर, 7 दिसंबर, 11 दिसंबर, 12 दिसंबर को शादियों के लिए शुभ समय है।वहीं राशि और नाम के आधार पर इन तारीखों में से वर वधु के लिए मुहुर्त देखा जा सकता है।
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