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महामारी से आजादी के लिए अनूठा संघर्ष, बच्चों-सास को संभाला, अस्पताल में संक्रमितों के बीच दी ड्यूटी

रोहतक की सोनिया संघर्ष की मिसाल हैं। पीजीआइ में स्टाफ नर्स हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सेवा की मिसाल पेश की। तमाम परेशानियों को देखते हुए अवकाश मिल सकता था। लेकिन सोनिया ने अपने कर्तव्य को पहले रखा।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sat, 14 Aug 2021 10:57 AM (IST)Updated: Sat, 14 Aug 2021 10:57 AM (IST)
महामारी से आजादी के लिए अनूठा संघर्ष, बच्चों-सास को संभाला, अस्पताल में संक्रमितों के बीच दी ड्यूटी
पीजीआइएमएस की स्टाफ नर्स सोनिया, पति विकेंद्र सीआइएसएफ में एसआइ हैं।

जागरण संवाददाता, रोहतक। अस्पताल की स्टाफ नर्स। एक सैनिक की पत्नी। दो छोटे बच्चों की मां। बुजुर्ग सास की पुत्रवधू। इतने सारे किरदारों को सोनिया ने अकेले संभाला। दुनिया जब कोरोना वायरस की चपेट में थी तब सोनिया सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही थी। पीजीआइ में बतौर स्वास्थ्यकर्मी फ्रंटलाइन ड्यूटी दी।

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दूसरी ओर, सोनिया घर में दो छोटे बच्चों और बुजुर्ग सास का सहारा बनी रहीं। दूसरी ओर उनके सैनिक पति विकेंद्र इस दौरान देश सेवा में जुटे रहे। सोनिया ने महामारी में परिवार को ऐसे संभाला कि संकट के समय घर से दूर होने पर भी पति का हौसला बना रहा। परिवार की तमाम परेशानियों को देखते हुए 32 वर्षीय सोनिया को अवकाश मिल सकता था। लेकिन, कर्तव्य को पहले रखा। महामारी की पहली लहर में कोविड ड्यूटी दी। इसी का अनुभव खतरनाक दूसरी लहर में काम आया। पीजीआइ के माड्यूलर ओटी कम आइसीयू काम्प्लेक्स में दूसरी लहर में संक्रमितों के बीच सोनिया की ड्यूटी लगी। अचानक कोरोना संक्रमितों के बढ़े केस ऐसे हुए की एमरजेंसी ड्यूटी के लिए रात-रातभर भी रुकना पड़ा। शहर के ओमेक्स काम्प्लेक्स स्थित घर से अस्पताल तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर है।

रात दो बजे जाती थीं घर

ड्यूटी खत्म कर रात दो बजे अकेले घर तक जाना हुआ। इसके बावजूद फर्ज से पीछे नहीं हटीं। सोनिया का कहना है कि बतौर स्वास्थ्यकर्मी उनकी पहली ड्यूटी लोगों को बचाने की है, ऐसे में परिवार की परेशानियों के बावजूद फर्ज से दूरी नहीं रख सकती थी। फिलहाल, ज्यादा समस्या नहीं हैं, लेकिन आने वाले किसी भी संकट के लिए तैयार हैं।

बच्चों से लगातार फोन पर करती थीं बात

सोनिया बताती हैं कि दिन की ड्यूटी तो जैसे-तैसे हो जाती है। लेकिन, नाइट ड्यूटी में परेशानी अाती थी। सास बुजुर्ग हैं, दोनों बच्चे छोटे हैं। छोटा बेटा रणविजय पांच वर्ष और बड़ा बेटा रुद्र सात वर्ष का है। बुजुर्ग सास के लिए अकेले दोनों को संभाला आसा नहीं होता था। फोन पर लगातार घर पर संपर्क रखना पड़ता है। दिन में भी चिंता बनी रहती है। घर जाने पर बच्चों से काफी देर तक अलग रहना भी बड़ी समस्या थी।

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