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दो वर्ष पूर्व एचएयू में प्रो. रत्न लाल ने बताई थी हरियाणा की भूमि में जैविक पदार्थो की कमी

जागरण संवाददाता हिसार अमेरिका की ओहियो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और यूएसए के कार्बन मै

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 08:11 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 08:11 AM (IST)
दो वर्ष पूर्व एचएयू में प्रो. रत्न लाल ने बताई थी हरियाणा की भूमि में जैविक पदार्थो की कमी
दो वर्ष पूर्व एचएयू में प्रो. रत्न लाल ने बताई थी हरियाणा की भूमि में जैविक पदार्थो की कमी

जागरण संवाददाता, हिसार: अमेरिका की ओहियो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और यूएसए के कार्बन मैनेजमेंट एंड सैक्यूसट्रेशन सेंटर के निदेशक प्रो. रत्न लाल को इस बार व‌र्ल्ड फूड प्राइज-2020 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें मिट्टी के स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने को लेकर दिया गया है। खास बात यह है कि प्रो. रत्न लाल स्वामीनाथन से भी 10 गुना अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित कर चुके हैं। उनका हरियाणा से भी रिश्ता है। पूर्व में वह पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से जुड़े रहे, जब हरियाणा व पंजाब की एक ही यूनिवर्सिटी पीएयू थी। दो वर्ष पहले एक कॉन्फ्रेंस में वह चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय आए थे, तब उन्होंने बिगड़ती मिट्टी की सेहत पर चिता जताई थी। उन्होंने तभी बताया था कि पंजाब और हरियाणा की भूमि में जैविक पदार्थों की भारी कमी है। इसे समय से नहीं सुधारा गया तो गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। एचएयू आने के बाद प्रो. लाल ने अपने निजी कोष से मृदा विज्ञान के स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए गोल्ड मेडल देने की घोषणा भी की थी।

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सॉयल हेल्थ बिगड़ने से हवा और पानी भी हो रहे प्रदूषित

पूर्व में एचएयू आने पर प्रो. रत्नलाल ने विश्व में मिट्टी की गिरती हालत को लेकर चिता जताई थी। उन्होंने बताया कि देश में मिट्टी के स्वास्थ्य को लेकर हमें चिता करनी चाहिए। हम जानकारियों के अभाव में नए प्रदूषण को विकराल रूप देने जा रहे हैं। इस पर सरकारों व किसानों ने ध्यान नहीं दिया तो परिणाम काफी हानिकारक होंगे। भारत में जिस प्रकार से रसायनों का प्रयोग हो रहा है, वह काफी विकराल है। कैंसर ट्रेन उसका छोटा सा रूप है। भारत में मृदा स्वास्थ्य में अभी कई संभावनाएं हैं। हम फूड बॉल रीजन में रह रहे हैं। यहां हम कम गुणवत्ता के कीटनाशकों व उर्वरकों का प्रयोग कर भूमि को दूषित कर रहे हैं। इसका फायदा कम बर्बादी अधिक है। उर्वरकों को ग्रहण करने की भूमि में क्षमता नहीं है, इसलिए उर्वरक ग्राउंड वाटर या वातावरण में घुल रहा है। यह हमारी हवा व पानी दोनों को प्रदूषित कर रहा है। विशेष तौर पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान की मिट्टी में उर्वरक क्षमता बढ़ाने वाले जीवाणु कम हैं।

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किसानों व सरकारों को क्या करना चाहिए

- प्रो. रत्नलाल बताते हैं कि फसल अवशेषों को जलाना एकदम बंद करना चाहिए।

- 2030 तक हमें बाढ़ आधारित सिचाई से सूक्ष्म सिचाई की तरफ जाना होगा।

- ईंट बनाने के लिए मिट्टी के स्थान पर सन्य स्त्रोतों की तरफ जाना होगा।

- खड़े पानी या मिट्टी की स्तह पर उर्वरकों के प्रसारण को रोकना चाहिए।

- अनियंत्रित पशुओं की चाई बंद हो।

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250 से अधिक रिसर्च पेपर कर चुके हैं प्रकाशित

स्वामीनाथन ने मृदा से संबंधित अपनी रिपोर्ट में 250 पब्लिकेशन प्रकाशित किए हैं, जिनकी मदद देश में विभिन्न कृषि वैज्ञानिक लाभ उठा रहे हैं। मगर प्रो. रत्न लाल अपने आप में भी काफी बड़ी हस्ती हैं। उन्होंने स्वामीनाथन से 10 गुना अधिक 2010 रिसर्च पब्लिकेशन प्रकाशित किए हैं। इसके साथ ही 200 स्टूडेंट्स गाइड भी उन्होंने तैयार किए हैं, उनकी 90 पुस्तकों की मदद भी कृषि क्षेत्र के जानकार लेते हैं।


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