लाहौर से 1948 में आया था वेटरनरी कालेज, 2010 में विवि बना, पहली बार होगी एल्यूमनाई मीट
1947 में भारत-पाकिस्तान अलग हुए तो वेटरनरी कालेज हिसार आ गया था। यहां मेला ग्राउंड के पास अंग्रेजों की बनाई हुई एक पीली कोठी होती थी। लाहौर से 9 विद्यार्थी और तीन टीचर यहां आए थे
हिसार [संदीप बिश्नोई] दो बार सरहदों और पांच बार विश्वविद्यालयों के बंटवारे का दर्द झेल चुका प्रदेश का पहला वेटरनरी कालेज और वर्तमान का पशु विश्वविद्यालय 60 साल बाद अपनी पहली एल्यूमनाई मीट मनाएगा। अगले महीने होने वाली इस एल्यूमनाई मीट में 60 साल पुराने दोस्तों के मिलने की संभावना है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 1950 के आस-पास पढ़ाई करने वाले 3-4 ऐसे लोगों को पत्र भेजकर विशेष तौर आमंत्रण दिया है।
एल्यूमनाई मीट दो दिन की होगी और पुराने और नए दौर के पशु वैज्ञानिक इस दौरान लाइव स्टॉक सस्टेनबिलिटी फॉर फूड सिक्योरिटी इन इंडिया विषय पर भी मंथन करेंगे। अगले महीने 12 और 13 अप्रैल को होने वाली इस एल्यूमनाई मीट के लिए रजिस्ट्रेशन शुरु हो गए हैं। विश्वविद्यालय का एल्यूमनाई एसोसिएशन सेल भी अपने स्तर पर पुराने से पुराने विद्यार्थियों को ढूंढने की जुगत में लगा हुआ है। मीट में विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी और आइसीएआर के पूर्व डीडीजी और दो बार गढ़वासू विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके डा. वीके तनेजा बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे।
लाहौर से आए थे 9 विद्यार्थी और 3 टीचर
सन 1947 में भारत-पाकिस्तान से अलग हुए तो लाहौर यूनिवर्सिटी से वेटरनरी कालेज हिसार आ गया था। यहां मेला ग्राउंड के पास अंग्रेजों की बनाई हुई एक पीली कोठी होती थी। लाहौर से 9 विद्यार्थी और तीन टीचर यहां आए थे। इसके बाद 1948 में वेटरनरी कालेज वर्तमान के पुराना गवर्नमेंट कालेज मैदान के पास एक अन्य कोठी में शिफ्ट हो गया। उसी वक्त गवर्नमेंट कालेज की कक्षाएं भी इसी जगह एक हिस्से में लगती थी। 1950 के आरंभ में वेटरनरी कालेज की बि¨ल्डग बननी शुरु हुई और 1951 के अंत में वेटरनरी कालेज निर्माणाधीन भवन में स्थापित हो गया। उसके बाद से यह कालेज यहीं चलता रहा। 2010 में इसने पशु विश्वविद्यालय का रुप ले लिया।
लाहौर यूनिवर्सिटी से यूं चला पांच विश्वविद्यालयों से मान्यता का सफर
1947 से पहले यह लाहौर में कालेज के रूप में था और लाहौर यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त था। 1948 के आरंभ में हिसार आया तो पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला से संबद्ध हुआ और 3 साल तक इसी यूनिवर्सिटी के साथ रहा। इसके बाद पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी बनी तो कालेज को उसके साथ जोड़ दिया गया। 1966 में हरियाणा और पंजाब अलग हो गए।
तीन वर्षों तक तनाव की स्थित झेलने के बाद हरियाणा को अपनी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी खोलनी पड़ी और वेटरनरी कालेज चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन हो गया। जैसे-जैसे पशु क्षेत्र में संभावनाओं के अवसर बढ़ने लगे तो वेटरनरी विश्वविद्यालय की मांग उठी। 2010 में वेटरनरी कालेज को लाला लाजपत राय पशु विज्ञान एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में तब्दील कर दिया गया। अब पहली बार कालेज में एल्यूमनाई मीट होगी।
- 12 और 13 अप्रैल को हम एल्यूनाई मीट का आयोजन कर रहे हैं। यह विश्वविद्यालय की पहली एल्यूमनाई मीट होगी। जिसमें पिछले 60 सालों के दौरान वेटरनरी कालेज से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी शामिल होंगे। हम सभी पुराने विद्यार्थियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं पूर्व विद्यार्थी स्वयं भी रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं।
- डा. त्रिलोक नंदा, छात्र कल्याण निदेशक, लुवास हिसार।