भाटला के अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को पुलिस ने जस्टिस के पास जाने रोका, अर्द्धनग्न होकर किया प्रदर्शन
भाटला के अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को पुलिस ने जस्टिस के पास जाने रोका अर्द्धनग्न होकर किया प्रदर्शन
संवाद सहयोगी, हांसी: उपमंडल की सब डिवीजनल अदालतों का निरीक्षण करने आए हाई कोर्ट के जस्टिस के पास पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत लेकर पहुंचे भाटला गांव के अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को पुलिस ने अंदर जाने से रोक दिया। इससे अनुसूचित जाति वर्ग के लोग बिफर गए व अदालत के गेट पर ही अर्द्धनग्न होकर प्रदर्शन करने लगे। जस्टिस ने वापसी के समय अर्द्धनग्न होकर प्रदर्शन करते देख लोगों के पास गाड़ी को रुकवाया और शिकायत लेकर मामले में संज्ञान लेने का आश्वासन दिया। वहीं, लोगों ने पुलिस प्रशासन पर जस्टिस से जानबूझकर ना मिलने देने का आरोप लगाया है।
बता दें कि हांसी की अदालतों का निरीक्षण करने शनिवार को हाईकोर्ट के जस्टिस अजय तिवारी आए थे। जिला एवं सत्र न्यायाधीश की तरफ से अदालत परिसर में बकायदा नोटिस लगाया गया था कि इस दौरान जस्टिस वकीलों व आम लोगों की शिकायतों को भी सुनेंगे। भाटला गांव में कथित तौर पर दो सालों से सामाजिक बहिष्कार झेल रहे एससी वर्ग के ग्रामीण भी सेशन जज के नाम से झूठी रिपोर्ट तैयार करने के मामले में नामजद पुलिस अधिकारियों की शिकायत लेकर जस्टिस अजय तिवारी से मिलने आए थे। कोर्ट में स्थित लाइब्रेरी के सामने करीब तीन घंटे तक जस्टिस से मिलने का इंतजार करने के बाद पुलिस ने उन्हें नीचे गेट पर इंतजार करने को कहा। इस बात पर दोनों पक्षों में बहस हो गई व ग्रामीणों व पुलिस में जमकर तू तड़ाक हुई। इस पर आक्रोशित ग्रामीण अर्द्धनग्न होकर न्यायिक परिसर के गेट पर प्रदर्शन करने लगे।
पुलिस प्रशासन के छूटे पसीने
लोगों के अर्द्धनग्न होकर प्रदर्शन करने से पुलिस अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए। पुलिस अधिकारियों ने एससी वर्ग के लोगों को समझाने के काफी प्रयास किए। मगर उग्र तेवरों पर उतारू ग्रामीणों ने पुलिस की एक न सुनी व पुलिस पर ही शोषण किए जाने का आरोप लगाया।
वर्जन::::::::::::
सेशन कोर्ट में झूठी रिपोर्ट पेश करने के मामले में डीएसपी नरेंद्र कादयान, विजेंद्र, एसआई रमेश कुमार, अमृत लाल समेत छह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ स्पेशल एससी कोर्ट ने पुलिस को जांच कर केस दर्ज करने के आदेश जारी कर रखे हैं। मगर पुलिस प्रशासन अपने अधिकारियों को बचाने में लगा है और अभी तक उनके खिलाफ एससी एसटी की धाराओं में केस दर्ज नहीं किया गया है। इसी कारण से पुलिस प्रशासन ने जस्टिस से नहीं मिलने दिया ताकि उनके अफसर बेनकाब ना हो जाएं।
बलवान, प्रधान, भाटला दलित संघर्ष समिति वर्जन::::::
अदालतों का निरीक्षण करने के बाद जस्टिस आम लोगों की शिकायत सुनते हैं। यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। कई लोगों ने जस्टिस अजय तिवारी के समक्ष अपनी समस्याएं रखी हैं। भाटला गांव के ग्रामीणों द्वारा जस्टिस से मिलने के लिए बार को सूचित नहीं किया गया था।
सुधीर बेरवाल, प्रधान, बार एसोसिएशन भाईचारा कमेटी भी जस्टिस से मिलने आई, लेकिन नहीं मिले जस्टिस
भाटला गांव में गठित भाईचारा कमेटी के सदस्य भी जस्टिस से मिलने आए थे। मगर जब तक वह अदालतों का निरीक्षण करके जा चुके थे। कमेटी के प्रधान नरेश बेरवाल, रामचंद्र, नरेश आदि ग्रामीणों ने कहा कि वह जस्टिस के समक्ष यह बात रखना चाहते थे कि गांव में माहौल शांतिपूर्ण है और किसी प्रकार का सामाजिक अन्याय नहीं हो रहा है। वर्जन::::::::::
अदालतों का निरीक्षण करने के बाद जस्टिस आम लोगों की शिकायतों को सुनते हैं। यह परंपरा लंबे समय से चल रही है। कोई भी व्यक्ति जस्टिस के समक्ष अदालती प्रक्रिया से संबंधित अपनी शिकायत कर सकता है। अदालत के कर्मचारी या किसी भी जज के खिलाफ भी व्यक्ति जस्टिस के समक्ष शिकायत कर सकता है।
रजत कल्सन, अधिवक्ता