ग्वार फसल में उखेड़ा बीमारी की रोकथाम के लिए बीज उपचार ही एक मात्र उपाय: डा. यादव
जागरण संवाददाता, हिसार : ग्वार फसल में जड़गलन एक मुख्य बीमारी बनती जा रही है, जो पैदावार को काफी प
जागरण संवाददाता, हिसार :
ग्वार फसल में जड़गलन एक मुख्य बीमारी बनती जा रही है, जो पैदावार को काफी प्रभावित करती है। हल्की जमीन में यह रोग प्राय: ज्यादा देखने मिलता है। इस रोग के कारण 50 फीसद तक पौधे मुरझाकर सुख जाते हैं। जिससे पैदावार में कमी आती है। हिसार जिले में ग्वार की फसल में यह बीमारी देखने को मिलती है और किसानों को इस बीमारी के रोकथाम की पूरी जानकारी नहीं है। यह कहना चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत ग्वार वैज्ञानिक डा. बीडी यादव का था। वह नयागांव में जागरूकता शिविर को संबोधित कर रहे थे। गोष्ठी में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत कृषि वैज्ञानिक डा. ओपी नेहरा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।
डा. नेहरा ने बिजाई से पूर्व अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करवाने पर बल दिया। शिविर की अध्यक्षता कर रहे ग्वार विशेषज्ञ डा. बीडी यादव ने ग्वार की उन्नत किस्में एचजी 365, एचजी 563 ही बोने की सलाह दी तथा बिजाई के लिए जून का दूसरा पखवाड़ा सबसे उचित बताया। शिविर में मौजूद 56 किसानों को बीजोपचार के लिए एक एकड़ की दवाई सैंपल के तौर पर दी गई। इस प्रोग्राम को आयोजित करने में उन्नतशील किसान धर्मवीर का विशेष योगदान रहा। इसके अलावा रण¨सह, सुरेश कुमार, सुल्तान ¨सह, आत्माराम, भूप¨सह, रिझपाल, हाजारी लाल, इन्द्रराज तथा कृष्ण कुमार आदि किसान मौजूद थे।