दीपावली के बाद से प्रदूषण की सबसे गंभीर स्थिति शुक्रवार को, सांस लेने दिक्कत, आखों से निकला पानी
प्रदूषण को लेकर प्रशासन को अवकाश के दिन बुलानी पड़ी बैठक एक्शन के दिए निर्देश। अस्पताल में आए 70 मरीज जिसमें बच्चों और बुजुर्गों की संख्या अधिक।
जेएनएन, हिसार : हिसार जोन के जिलों में प्रदूषण खतरे के निशान से कई आगे चल रहा है। दीपावली के बाद से शुक्रवार को सबसे अधिक पीएम 2.5 का स्तर 462 तक पहुंच गया है। यह एक प्रकार से स्मॉग जैसे हालात है। हवा में प्रदूषण का इस स्तर पर पहुंचाना बताता है कि यह अस्थमा ही नहीं बल्कि स्वस्थ लोगों और बीमारी से ग्रसित लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करेगा। जिसका सीधा असर शुक्रवार को देखने को भी मिला। यूं तो गुरुवार रात्रि से ही प्रदूषण ने वायुमंडल में दबाव बनाना शुरू कर दिया था। शुक्रवार सुबह लोग घरों से निकले तो उन्हें धुएं जैसा दिखाई दिया जब इस धुएं के संपर्क में आए तो आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ होती दिखाई दी। प्रदूषण हिसार जोन के सभी जिलों में अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया है। पीएम 2.5 ही नहीं बल्कि पीएम 10 भी 416 पर बना हुआ है। इस माहौल में बच्चों, अस्थमा की समस्या ग्रसित लोग, दिल के रोगी, मधुमेह के रोगियों बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव: लोगों को पड़ रहे अस्थमा के अटैक
खतरे के निशान से भी काफी अधिक ऊपर प्रदूषण का स्तर चल रहा है। शहर के सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक में प्रदूषण से बीमार हुए लोग पहुंच रहे हैं। खास बात है कि सबसे अधिक मुश्किल तो उन लोगों को हुई है जिन्हें अस्थमा की शिकायत है। कई लोगों को तो अस्थमा के अटैक भी आ चुके हैं, इसके लिए वह इन्हेलर व मास्क का सहारा ले रहे हैं। चिकित्सक भी उन्हें घर से बाहर न निकलने की सलाह दे रहे हैं। सरकारी अस्पताल में अमूमन 10 से 20 लोग सांस की शिकायत के आते थे, जो अब बढ़कर 70 हो गए हैं। शांति अस्पताल में चिकित्सक डा. केवी सिंह बताते हैं कि उनके पास आ रहे अधिकांश मरीजों को आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ जैसी शिकायतें हो रही हैं।
प्रशासनिक एक्शन: बिना एसएमएस के कंबाइन चलाने पर होगी कानूनी कार्रवाई
शुक्रवार को प्रदूषण का स्तर काफी अधिक रहा तो प्रशासन को अवकाश के दिन भी विभागों की बैठक बुलाने को मजूबर होना पड़ा। इसमें डीसी अशोक कुमार मीणा ने प्रदूषण विभाग और कृषि विभाग को निर्देश दिए कि वह संयुक्त टीमें बनाकर पराली जलाने के मामलों में रोकथाम के लिए तेजी लाएं। जहां पराली के लिए मशीनों की उपलब्धता नहीं है वहां मशीनों को उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही शनिवार को अभियान शुरू किया जाए जिसमें जो कंबाइन बिना एसएमएस उपकरण के चल रहे हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाही की जाए। इसके साथ ही शहर व ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों से अपील की गई है कि वह अनावश्यक कचरा, प्लास्टिक आदि को न जलाएं।
कब तक मिलेगी राहत
बारिश के बाद ही राहत की उम्मीद
मौसम 3 नवम्बर तक परिवर्तनशील रहने की संभावना है। पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण गरज के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना एचएयू के कृषि मौसम विज्ञान विभाग ने जताई है।