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सावन में नाग-नागिन का जोड़ा लिपट जाता था शिवलिग से

शहर की प्रसिद्ध अमटी झील के किनारे बने शिव मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि उनके पूर्वजों का कहना था कि ये मंदिर करीब 500 सालों से अधिक पुराना है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 05:23 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 05:23 AM (IST)
सावन में नाग-नागिन का जोड़ा लिपट जाता था शिवलिग से
सावन में नाग-नागिन का जोड़ा लिपट जाता था शिवलिग से

संवाद सहयोगी, हांसी : शहर की प्रसिद्ध आमटी झील के किनारे बने शिव मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि उनके पूर्वजों का कहना था कि ये मंदिर करीब 500 सालों से अधिक पुराना है। आमटी झील के किनारे इस मंदिर में तीन प्राचीन शिव लिग स्थापित हैं और ये सभी शिवलिग 200 वर्षो से अधिक प्राचीन हैं। श्रद्धालुओं में मान्यता है कि सावन के महीने में इन शिवलिगों पर जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस मंदिर को वर्तमान स्वरूप यति पूर्णानंद महाराज ने दिया था। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।

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यह है विशेषता

प्राचीन यति पूर्णानंद शिव मंदिर के पुजारी पंडित गौरी शंकर वशिष्ठ का कहना है कि वो पिछले 13 सालों से इस मंदिर में पुजारी के पद पर हैं। उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक यहां सावन के महीने में नाग- नागिन का जोड़ा आता था जो शिवलिग से लिपट जाया करता था। उन्होंने कहा कि आसपास के इलाके में यहां स्थापित तीनों शिवलिग सबसे प्राचीन हैं। शिव रात्रि पर यहां सैकड़ों शिव भगत कावड़ चढ़ाते हैं।

शहर व गांवों के लोगों में इस मंदिर के प्रति है गहरी आस्था

आमटी झील के किनारे बने इस मंदिर में स्थापित तीन शिवलिग पर सावन के महीने में शहर के अलावा आसपास के इलाकों से लोग पूजा करने आते हैं। लोगों में इस प्राचीन शिव मंदिर को लेकर गहरी आस्था है। यहां पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना शिव भोले अवश्य पूरी करते हैं। - गौरी शंकर वशिष्ठ, पुजारी।


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