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फतेहाबाद में छह महीने से नहीं हुई पशुओं के मुंहखुर टीके की सप्लाई, बीमारी फैलने का डर, पशुपालक परेशान

पशुपालन विभाग द्वारा हर साल टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। छह महीने पहले घोषणा भी हुई थी कि पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा। जिसमें फतेहाबाद जिला भी शामिल था। लेकिन टीके की सप्लाई न होने के कारण यह अभियान ठंडे बस्ते में जाता हुआ नजर आ रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 11:06 AM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 11:06 AM (IST)
इस बार पशुओं को मुंहखुर(एफएमडी) के टीके लगने में 6 महीने से अधिक की देरी हो चुकी है।

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : पशुओं को मुंहखुर बीमारी से बचाने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा हर साल टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। छह महीने पहले घोषणा भी हुई थी कि पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा। जिसमें फतेहाबाद जिला भी शामिल था। लेकिन टीके की सप्लाई न होने के कारण यह अभियान ठंडे बस्ते में जाता हुआ नजर आ रहा है। स्थानीय अधिकारियों की मजबूरी भी है कि उनके पास पशुओं को लगाने के लिए टीके तक नहीं है। स्थानीय विभाग द्वारा चार बार पत्र लिखा जा चुका है कि जल्द से जल्द मुंहखुर बीमारी रोकने के लिए टीके की सप्लाई की जाये। लेकिन अभी तक कोई कुछ नहीं हुआ है। हालांकि कुछ राहत ये है कि स्थानीय अधिकारियों के पास एक पत्र अवश्य आया है जिसमें कहा गया है कि अगले 20 से 25 दिनों में टीके की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। ऐसे में अगले महीने से जिले में पशुओं को मुंहखुर बीमारी से बचाने के लिए बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चलेगा।

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टीका सप्लाई होने में छह महीने की हुई देरी

इस बार पशुओं को मुंहखुर(एफएमडी) के टीके लगने में 6 महीने से अधिक की देरी हो चुकी है। इसका बड़ा कारण हरियाणा के पशु अस्पतालों में मुंहखुर के टीके की सप्लाई न होना है। पशुओं में मुंहखुर के टीके न लगने से पशुपालक काफी परेशान है। क्योंकि बरसाती दिनों में पशुओ में मुंहखुर फैलने का खतरा बढ़ जाता है। फतेहबाद जिले के गांव समैन, भीमेवाला, नांगला, नांगली, गाजुवाला, पिरथला, कन्हड़ी, लालोदा, डांगरा व सनियाना गांव में पशुओ में मुंहखुर का टीकाकरण न होने से पशुपालकों में गहरा रोष बना हुआ है। गांव समैन के पशुपालक संतलाल गिल, राजबीर सिंह व रामफल गिल ने कहा कि यहां गांव में पहले भी पशुओ में मुंहखुर बीमारी फैलती रही है। जिससे काफी संख्या में पशुओ की मौत भी हुई है। 6 महीने का समय बीत चुका है। अभी तक उनके पशुओं मका मुंहखुर का टीकाकरण नहीं हुआ है। उनका डर लगातार बढ़ता जा रहा है। इसलिए सरकार को जल्दी से जल्दी पशुओ को मुंहखुर के टीके लगाने चाहिए।

पशुओं में मुंहखुर बीमारी क्या होती है

चिकित्सकों के अनुसार रोग अत्यन्त सूक्ष्म विषाणु से फैलता है। जिसमें ओ, ओ, ए, सी, एशिया-1, एशिया-2, एशिया-3, सैट-1, सैट-3 और इनकी 14 उप-किस्में मुख्य है। देश में यह रोग मुख्यत: ओ, ए, सी तथा एशिया-1 प्रकार के विषाणुओं द्वारा अपने पांव पसारता है। पशुओं में रोग फैलने का एक अन्य कारण नम-वातावरण, पशु की आंतरिक कमजोरी, पशुओं का स्थान बदलने क्षेत्र में रोग का प्रकोप भी इस बीमारी को फैलाने में सहायक हैं।

रोग के लक्षण

-पशु के मुंह से से अत्यधिक लार का टपकना

-जीभ और तलवे पर छालों का उभरना एवं जीभ का बाहर आ जाना

--पशु के जुगाली करना बंद कर देना

-दूध उत्पादन में करीब 80 प्रतिशत की कमी।

- पशुओं का गर्भपात होना।

- बछड़ों में अत्यधिक बुखार आने पर मृत्यु हो जाना।

ऐसे करें बचाव

- रोग का पता लगने पर पशु को अन्य पशुओं से तुरंत दूर किया जाए

- दूध निकालने वाले व्यक्ति को हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए

- प्रभावित क्षेत्र को सोडियम कार्बोनेट घोल पानी मिलाकर धोना चाहिए

- चिकित्सकों की सलाह लेकर पशु के तुरंत टीका लगवाने के साथ नियमित उपचार कराएं।

- स्वस्थ एवं बीमार पशु को अलग-अलग रखें

- पशु के ठीक हो जाने पर 20 दिन बाद ही उसे दूसरे पशुओं के पास लाना चाहिए।

जिले में ये है पशुओं का संख्या

पशु का नाम 2019

गोवंश 109062

भैंस 234323

बकरी 15146

भेड़ 13189

ऊंट 547

अन्य 5031

कुल पशु 377416

नोट: ये आंकड़े पशु पालन विभाग की गणना के अनुसार है।

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पशुअों का डाटा अपडेट नहीं होने के कारण टीके की सप्लाई नहीं भेजी हैं। हमने सरकार को बार-बार भेजकर इस बारे में अवगत करवाया है। हमारे पास टीके के डिमांड से जुड़ा पत्र आ चुका है। अगले 15-20 में टीके की सप्लाई आने की संभावना है। जिसके बाद अभियान शुरू कर दिया जाएगा।

डा. काशीराम, उपनिदेशक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग।


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