अंधविश्वास से बनी खूनी होली, दो की हत्या, सात से आठ लोग गंभीर घायल
होलिका दहन समय जलती होली में से प्रह्लाद को निकालने पर एक ही परिवार को दो गुट आपस में भीड़ गए। इस मान्यता को लेकर कि जो होली से प्रह्लाद को बाहर निकालेगा उसकी शादी जल्दी होगी।
भिवानी, जेएनएन। 21वीं सदी भले ही हो मगर आज भी लोग अंधविश्वास में जी रहे हैं, बात जीने तक हो तो कोई बात नहीं मगर भिवानी के बवानीखेड़ा में इसी अंधविश्वास ने दो लोगों की जान ले ली तो कई घायल हो गए। बवानीखेङा के वार्ड नंबर 13 में होलिका दहन समय जलती होली में से प्रह्लाद 'लकडि़यों के बीच गाड़ी गई हरे वृक्ष की लकड़ी' को निकालने पर एक ही परिवार को दो गुट आपस में भीड़ गए। बस इस मान्यता को लेकर कि जो होली से प्रह्लाद को बाहर निकालेगा उसकी शादी जल्दी होगी।
एक युवक ने प्रह्लाद निकाला तो दूसरे युवक के परिवार के लोगों ने उससे कहा कि हमारा लड़का तुमसे उम्र में बड़ा है। इसलिए प्रह्लाद उसे निकालने देना था। तभी उसकी शादी होती। देखते ही देखते विवाद इसना बढ़ गया कि ये झगङा खूनी संघर्ष में बदल गया और दो लोगों की जान चली गई। वहीं 7-8 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
मामले की सूचना पाकर बवानीखेङा थाना प्रभारी श्रीभगवान अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों के झगङे को शांत करवाते हुए सभी घायलों को तुरंत प्रभाव को नागरिक अस्पताल पहुंचाया गया। वहीं डीएसपी हेडक्वाटर वीरेन्द्र सिंह भी नागरिक अस्पताल पहुंचे और पीङित लोगों की शिकायत दर्ज करवाई। डीएसपी वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रह्लाद निकालने को लेकर एक ही परिवार की दो औरतों में झगङा हुआ कि प्रह्लाद तेरे नहीं मेरे बेटे ने निकालना था।
इसी को लेकर झगङा बढा और एक पक्ष के दो लोगों की मौत हो गई और 8 घायल हो गए। वहीं दूसरे पक्ष के भी दो लोग घायल हुए हैं। उन्होने बताया कि अजय के बयान पर दूसरे पक्ष के 21 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की जा रही है और जल्द ही आरोपियों को पकङ लिया जाएगा।
इस अंधविश्वास के चलते हुए इस खूनी संघर्ष में जहां एक पक्ष की 42 वर्षीय सुरेश नामक महिला व 25 वर्षीय मनवीर की मौत हो गई। वहीं 7-8 लोग गंभीर रूप से घायल भी हो गए। होली के दिन जहां रंगों से खेलना था वहीं इस परिवार के लोगों ने खूनी होली खेली। गांव में लोग घटना से स्तब्ध हैं और पुलिस भी हैरान है कि इतनी छोटी बात को लेकर कोई किेसी की जान लेने पर आमादा कैसे हो सकता है।
बता दें कि प्राचीन मान्यता है कि प्रह्लाद नामक बालक विष्णु भगवान के भक्त थे। प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप इस बात से नाराज थे और उन्होंने अपने ही बेटे प्रह्लाद को मरवाने का आदेश दिया। मगर जब भी वो प्रह्लाद को मारने की कोशिश करते तो वह बच जाता। आखिर में हरिण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को मारने की बात कही। हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि वो आग में नहीं जलेगी। उसने प्रह्लाद को अपनी गोद में लिया और जलती लकडि़यों के बीच में बैठ गई।
मगर वरदान होने के बावजूद होलिका आग में जल गई और प्रह्लाद बाहर निकल आया। इसके बाद से ही भारत में होली का त्योहार मनाया जाने लगा। सदियों से अब तक यह परंपरा चली आ रही है और होली के दिन सूखी लकडि़यों को इकट्ठा कर इनके बीच में गीली लकड़ी की छड़ी गाड़ी जाती है। होलिका दहन के बाद इस गीली लकड़ी को बाहर निकाला जाता है। हरियाणा में यह मान्यता है कि इस लकड़ी को निकालकर पानी में जो भी युवक डालता है उसकी जल्दी शादी होती है। यह अंधविश्वास है इसमें कोई दो राय नहीं मगर इसी अंधविश्वास ने दो लोगों की जान ले ली।