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जीजेयू में हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस विभाग में नए पदों पर भर्तियां रोकने के लिए धरना दूसरे दिन भी जारी

जीजेयू के हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती रोकने और अन्य मांगों को लेकर जीजेयू में कुछ शिक्षकों ने गजुटा का नाम लेकर धरना शुरू किया था। लेकिन गजुटा प्रधान ने कहा वह उन शिक्षकों के साथ नहीं है। जो शिक्षकों के ही खिलाफ है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 04 Jul 2021 12:42 PM (IST)Updated: Sun, 04 Jul 2021 12:42 PM (IST)
जीजेयू में भर्ती विवाद का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है

जागरण संवाददाता, हिसार। गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में शिक्षकों के एक गुट का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा। इधर विरोध के बीच रविवार को हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस में नए पदों पर भर्ती के लिए इंटरव्यू शुरू हो गए। हालांकि धरने पर रविवार सुबह के समय चार ही लोग बैठे दिखाई दिए। गौरतलब है कि जीजेयू विश्वविद्यालय के हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती रोकने और अन्य मांगों को लेकर जीजेयू में कुछ शिक्षकों ने गजुटा का नाम लेकर धरना शुरू किया था। लेकिन गजुटा प्रधान ने कहा कि वह उन शिक्षकों के साथ नहीं है। जो शिक्षकों के ही खिलाफ है। प्रधान ने कहा कि ऐसे शिक्षकों का साथ नहीं दिया जा सकता। धरना देने वाले शिक्षकों ने ऐलान किया था कि उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो वह अनिश्चितकालीन धरना देंगे।

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पहले दिन दिया सांकेतिक धरना

शिक्षकों के एक गुट ने गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में शनिवार 12:30 से 2 बजे तक विश्वविद्यालय प्रशासन को सचेत करने के लिए सांकेतिक धरना दिया था। विश्वविद्यालय टीचिंग एसोसिएशन के जनरल सेक्टरी विनोद गोयल ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि कुलपति शिक्षकों की मांगों को लेकर काफी लंबे समय से झूठे आश्वासन दिए जा रहे हैं। उनसे बार-बार अनुरोध करने के बाद भी शिक्षकों की मांगे काफी समय से लंबित हैं और अभी तक पूरी नहीं हो सकी हैं।

कुलपति ने इन सभी मांगों पर लिखित रूप से और व्यक्तिगत रूप से कई बार आश्वासन दिया, परंतु सभी आश्वासन झूठे और खोखले ही प्रतीत हुए l विश्वविद्यालय में कुलपति की प्रशासनिक अक्षमता के कारण बहुत ही बुरे हालात हैं l विश्वविद्यालय में एक सामान्य शिक्षक को अपना कार्य करने में बहुत सी समस्याओं और संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है l उनका कार्य करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि वह कहीं ना कहीं उनकी कमजोर कार्यशैली से पीड़ित हैं l उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय के सभी नियम और कायदे कानून को व्यक्ति विशेष के अनुसार मनमाने तरीके से अपनाया या अनदेखा किया जा रहा है l विश्वविद्यालय को कुछ शिक्षकों ने अपनी निजी जागीर समझ रखा है। इनमें से कुछ शिक्षक रिटायर होने के बाद भी अपने कमरे खाली नहीं कर रहे और विश्वविद्यालय प्रशासन उन का ही साथ दे रहा है।

जिन शिक्षकों को कुलपति ने उक्त रूम देने के लिए आश्वासन व लिखित आदेश दिया था वे चक्कर काट काट के थक गए हैं। यहां यह बताना भी जरुरी है कि विश्वविद्यालय के तीन वरिष्ठ प्रोफेसर अभी 30 जून को रिटायर हो गए थे और उन्होंने रिटायरमेंट एज 65 साल करने के लिए कोर्ट में केस किया हुआ है। इन तीनों शिक्षकों ने अपनी रिटायरमेंट पार्टी लेने से भी मना कर दिया और अपनी पीएफ की राशि का चैक लेने से भी मना कर दिया, यह कहते हुए कि हम अभी रिटायर नहीं हुए। दूसरी ओर कुलपति ने अपने कमरा खाली करने के पिछले आदेशों को प्रोक्टर के माध्यम से यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह तीनों शिक्षक जब तक स्वयं अपना कमरा खाली नहीं करते तब तक इनको वहां रहने दिया जाए, जो कि विश्वविद्यालय के नियमों के विरुद्ध है। सेल्फ फाइनेंस के शिक्षकों को बजटेड प्रणाली में शिफ्ट करने के मामले में भी, कुलपति एक तरफ पिछले चार वर्षो से कुछ सेल्फ फाइनेंस के शिक्षकों को बजटेड प्रणाली के तहत शिफ्ट करने का झूठा आश्वासन दे रहे हैं और वहीं दूसरी तरफ बजटेड प्रणाली की पोस्टों को भरते जा रहे हैं। इसके अलावा अन्य मांगे भी इन शिक्षकों ने रखी है।

मामले में गजूटा प्रधान सुमित्रा ने कहा था कि उन्हें ऐसे समय में प्रेस विज्ञप्ति जारी करनी पड़ रही है जब गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के कुछ अध्यापक दूसरे अध्यापकों के खिलाफ ही काम कर रहे हैं तथा गजूटा के नाम का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। 3 जुलाई से कुछ अध्यापक सेल्फ फाइनेंस के मुद्दे तथा अन्य मुद्दों को लेकर धरने पर बैठे हैं तथा वे ये कह रहे हैं की यह गजुटा का धरना है। असल में ऐसा नहीं है। धरने पर बैठे इन अध्यापकों की मुख्य डिमांड यह है की यूनिवर्सिटी में नई टीचर्स की भर्ती रोकी जाए। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि अध्यापक ही अध्यापकों की नई भर्ती को रोकने के लिए धरने पर बैठे हैं। हमारी यूनिवर्सिटी में सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत भरते हुए अध्यापकों तथा बजटेड स्कीम के तहत आए अध्यापकों में किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जाता तथा उन में किसी भी प्रकार का कोई अंतर नहीं है।


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