Move to Jagran APP

ग्रामीणों का प्लास्टिक पर हल्ला बोल, सामूहिक कार्यक्रमों में स्टील के बर्तनों का हो रहा इस्तेमाल

बहादुरगढ़ के गांव के युवाओं ने मिलकर शिव शक्ति युवा संगठन खड़ा कर रखा है उसी ने स्वच्छता की दिशा में यह पहल तीन साल पहले की थी। शहर में एक संगठन ने बर्तन बैंक की शुरूआत की थी। उसी तर्ज पर युवा पर्यावरण के प्रहरी बनकर उठ खड़े हुए।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sat, 09 Jul 2022 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jul 2022 08:00 AM (IST)
प्लास्टिक की जगह स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल।

बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। सरकार ने तो अब जाकर सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ प्रभावी कदम उठाया है लेकिन यहां तो गांव की धरती से तीन साल से प्लास्टिक के खिलाफ हल्ला बोल चल रहा है। सामूहिक भोज के आयोजनों में प्लास्टिक की जगह स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल किया जा रहा ताकि पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सके। प्लास्टिक के विकल्प की राह दिखाती यह मानवीय सोच बहादुरगढ़ के डाबौदा कलां गांव से निकली है।

loksabha election banner

पर्यावरण के प्रहरी बनकर उठ खड़े

दरअसल,  इस गांव के युवाओं ने मिलकर शिव शक्ति युवा संगठन खड़ा कर रखा है, उसी ने स्वच्छता की दिशा में यह पहल तीन साल पहले की थी। शहर में एक संगठन ने बर्तन बैंक की शुरूआत की थी। उसी तर्ज पर डाबौदा कलां गांव के युवा भी पर्यावरण के प्रहरी बनकर उठ खड़े हुए। बहुत सारे स्टील के बर्तन जमा किए गए। मकसद तय किया कि लोग किसी भी सामूहिक कार्यक्रम के लिए यहां से बर्तन मुफ्त ले जाएं। बस वे प्लास्टिक का सामान प्रयोग न करें। यह मकसद अब पूरा भी हो रहा है। तीन साल के अंदर अनेक आयोजनों में इन बर्तनों का इस्तेमाल हुआ है।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक

संगठन के सदस्य राकेश सिंह बताते हैं कि किसी भी भंडारे या छबील के बाद प्लास्टिक कचरा खूब निकलता रहा है। जो नालों, सीवर लाइन में पहुंचता है। बेसहारा पशु भी इसको निगल जाते हैं। बाद में इसी से कई समस्याएं खड़ी होती हैं। ऐसे में संगठन ने प्लेट, चम्मच और गिलास जमा कर रखे  हैं और सामूहिक आयोजनों में इनका इस्तेमाल करते हैं। डाबौदा कलां ही नहीं आसपास के गांव और यहां तक कि शहर में भी इनका इस्तेमाल हो रहा है। अब तो सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगा दी।

बैंक में बर्तनों के 800 सेट

वरना तो गांव के इस बर्तन बैंक से साल में लगभग पांच लाख प्लास्टिक गिलास फैलने से रोकने में मदद मिली। जबकि प्लेट और चम्मच की संख्या और भी ज्यादा है। डाबौदा कलां गांव में ही साल में चार भंडारे आयोजित होते हैं। इनमें प्लास्टिक की जगह स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में तीन साल में बड़ी मात्रा में इस  बर्तन बैंक की मदद से प्लास्टिक कचरे को फैलने से रोकने में मदद मिली है। इससे पर्यावरण को भी बड़ा फायदा पहुंचा है। संगठन सदस्य ने बताया कि फिलहाल उनके बैंक में बर्तनों के 800 सेट है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.