क्यार साइक्लोन से स्मॉग में बदला है पराली और पटाखों का धुआं, एक सप्ताह राहत नहीं
एक सप्ताह के भीतर फिर से दूसरे पश्चिमी विक्षोभ गुजरने की उम्मीद है जिसके कारण हरियाणा में बारिश हो सकती है। पश्चिमी विक्षोभ के आने से पहले हवा तेज होगी तो भी स्मॉग छंट सकता है।
हिसार [वैभव शर्मा] बीते 11 दिनों से दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में स्मॉग अपने चर्म पर है। घर में भी लोगों का दम घुट रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि स्मॉग फैलने की मुख्य वजह पराली को जलाया जाना व पटाखों से निकलने वाला धुंआ है मगर इस बार स्मॉग को लेकर जो हालात बने हैं, उसकी असल वजह क्यॉर साइक्लोन है। इस साइक्लोन की वजह से प्रदूषण के जो कण आसमान में जाने थे, वह नमी भरी हवाओं और बादल न छंटने से वातावरण में ही स्थिर हो गए। हालांकि आम तौर पर नवंबर के आखिरी दिनों से लेकर फरवरी तक फसलों आदि से निकलने वाला धुंआ, धुंध के साथ मिलकर स्मॉग बनाता रहा है। इस बार एक माह पहले ही स्मॉग बन गया, जिसका प्रभाव जारी है।
क्यार साइक्लोन ने स्मॉग बनाने में ऐसे निभाया अहम रोल
हरियाणा कृषि मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मदन खिचड़ बताते हैं कि करीब 10 दिन पहले अरब सागर में क्यार साइक्लोन बना, जिसने गुजरात और महाराष्ट्र में बारिश भी की। ऐसे में इन दोनों राज्यों से हवाएं जब पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की तरफ आईं तो अपने साथ नमी भी लाईं। इससे पहले कुछ प्रदूषण पहले ही वातावरण में था। जब यह प्रदूषण रूपी धुआं और नमी भरी हवाएं एक साथ मिले तो वातावरण में प्रदूषण के कण बिखर गए, जिन्हें नियमानुसार ऊपर जाना चाहिए था। इसके साथ-साथ आसमान पर पहले से ही बादल थे, जो धुआं ऊठा भी मगर वह बादलों के कारण फिर से नीचे आ गया। ऐसे में इन दो कारणों से स्मॉग बना जो वातावरण में स्थिर होकर रह गया। इसके बाद हरियाणा और पंजाबी से पश्चिमी विक्षोभ भी गुजरे तो हल्की बूंदाबांदी हुई, जिसकी वजह से किसी दिन प्रदूषण कुछ कम भी हुआ मगर यह राहतभरा नहीं रहा।
एक सप्ताह में आसमान से हट सकता है स्मॉग
3 नवंबर तक हरियाणा से पश्चिमी विक्षोभ होकर गुजरा मगर हल्की बूंदाबांदी ही हुई। अब एक सप्ताह के भीतर फिर से दूसरे पश्चिमी विक्षोभ गुजरने की उम्मीद है, जिसके कारण हरियाणा में बारिश हो सकती है। मौजूदा समय में नॉर्थ वेस्टर्न हवाएं चल रही हैं जो पहाड़ों से मैदान की तरफ हैं मगर इसकी रफ्तार काफी धीमी है। दूसरे पश्चिमी विक्षोभ के आने से पहले हवा तेज होगी तो स्मॉग को छंटने में मदद मिलेगी।
प्रदेश में पंचकूला में सबसे कम प्रदूषण तो रोहतक में सबसे अधिक 498
अंबाला- 403 (पीएम 2.5)
बहादुरगढ़- 475 (पीएम 2.5)
बल्लभगढ़- 416 (पीएम 10)
भिवानी- 432 (पीएम 2.5)
फरीदाबाद- 496 (पीएम 2.5)
फतेहाबाद- 478 (पीएम 10)
गुरुग्राम- 486 (पीएम 2.5)
हिसार- 445 (पीएम 2.5)
जींद- 491 (पीएम 2.5)
कैथल- 467 (पीएम 10)
करनाल- 456 (पीएम 2.5)
पलवल- 453 (पीएम 2.5)
पानीपत- 465 (पीएम 2.5)
रोहतक- 498 (पीएम 2.5)
सोनीपत- 206 (पीएम 10)
यमुनागर- 396 (पीएम 2.5)
पंचकूला- 166 (पीएम 2.5)
एक्यूआइ 445, जरूरी हो तभी करें निर्माण कार्य
पिछले 11 दिनों से हिसार में प्रदूृषण खतरे के निशान से ऊपर है। शनिवार को तो देश में सर्वोच्च स्थान पर रहा। हालांकि रविवार को लोगों को कुछ राहत जरूर मिली मगर खतरे के निशान पर भी अभी भी प्रदूषण बना हुआ है। रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार दोपहर 4 बजे हिसार में 445 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तो रात्रि 8 बजे 436 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पीएम 2.5 दर्ज किया गया। इस स्थिति को देखते हुए उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने 4 व 5 नवंबर के लिए जिला के सभी सरकारी, निजी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में अवकाश करते हुए स्कूल बंद रखने के आदेश दिए हैं। जिले में कुल 850 स्कूल हैं, जिनमें ढ़ाई लाख से अधिक बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। जबकि कॉलेज व विश्वविद्यालय पहले की तरह खुले रहेंगे। इसके साथ ही कंस्ट्रक्शन के कार्य पर भी नजर रखी जा रही है। इसमें प्रशासन ने निर्देश दिए हैं एनजीटी के अनुसान जो भी नियम हैं, उन नियमों के तहत ही ऐसे समय में निर्माण कार्य किया जा सकता है। इसके साथ ही आगे गैस चैंबर जैसे हालात न बनें इसके लिए 24 गांवों में अधिकारी 24 घंटे की ड्यूटी तो दे ही रहे हैं, साथ ही किसानों को जागरुक करने का काम भी तेज कर दिया गया है।
पार्कों में टहलने वाले घटे तो मास्क के बिना निकलना मुश्किल
प्रदूषण के चलते हवा में हानिकारण तत्व तैर रहे हैं। शहर में 293 से अधिक पार्क हैं, जहां रोजाना लाखों लोग टहलने जाते हैं। मगर पिछले 11 दिनों से यह आंकड़ा घटकर हजारों में सिमट गया है। इसका प्रमुख कारण है कि सुबह भी लोगों को इतना प्रदूषण मिल रहा है कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन महसूस हो रही है। इसके साथ ही सबसे अधिक खतरा तो अस्थमा के मरीजों, बच्चों व बुजुर्गों को बना हुआ है। ऐसे में प्रशासन ने भी वृद्धजनों व बच्चों से आह्वान किया है कि वे अगले 2 दिन तक घर से बाहर निकलने से परहेज करें।
खेतों में पराली को आग लगाने के बजाए मशीनों का करें प्रयोग
जिला के किसानों से भी अपील की है कि वे अपने खेतों में फसलों के अवशेष जलाने की भूल न करें बल्कि पराली का प्रबंधन मशीनों के माध्यम से करें। पराली को जलाने से होने वाला पर्यावरण प्रदूषण न केवल मनुष्यों, बल्कि जीव-जंतुओं के लिए भी हानिकारक है। हवा में घुलकर धुआं जहरीला हो जाता है जिससे बच्चों, बजुर्गों, महिलाओं और रोगियों को काफी परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि पराली में आग लगाने पर किसानों पर जुर्माना लगाया जा सकता है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।