किसान आंदोलन स्थल पर दूध की किल्लत, गांवों से कम हुआ संग्रहण तो थैलियों का वितरण शुरू
किसानों की संख्या कम होने के बावजूद दूध की किल्लत हो रही है। गर्मी की दस्तक के कारण गांवों से संग्रहण कम हो रहा है। इसकी वजह है कि इस मौसम में दूध का उत्पादन कम होने लगता है। वहीं दूर दराज से यहां दूध लेकर पहुंचना आसान नहीं है।
बहादुरगढ़, जेएनएन। आंदोलन स्थल पर पहले के मुकाबले अब किसानों की संख्या कम होने के बावजूद दूध की किल्लत हो रही है। गर्मी की दस्तक के कारण गांवों से संग्रहण कम हो रहा है। इसकी वजह है कि इस मौसम में दूध का उत्पादन कम होने लगता है। दूसरा तापमान बढ़ने से दूर दराज से यहां तक दूध लेकर पहुंचना आसान नहीं है। गर्मी के कारण बीच रास्ते में दूध खराब होने का रिस्क रहता है। ऐसे में आंदोलन स्थल पर कुछ सहयोगी संस्थाएं अब दूध की थैलियां लेकर पहुंच रही हैं, लेकिन इसमें भी खूब मारामारी मचती है।
दरअसल, आंदोलन की शुरूआत में तो मौसम सर्द था। इस मौसम में दूध का उत्पादन भी ठीक होता है और दूध को दूर से लेकर आने में भी ज्यादा दिक्कत नहीं होती, क्योंकि सर्द मौसम में दूध फटता नहीं। मगर अब कई कारणों से आंदोलन स्थल पर कुछ दिनों से दूध की कमी महसूस की जा रही है। रोजाना कुछ जगहों पर दूध के इंतजार में आंदोलनकारियों के बर्तनों की लंबी लाइन देखी जा सकती है। दूध लेकर आने वालों के इंतजार में कई देर किसान बर्तन लेकर बैठे रहते हैं, मगर इन्हें पहले की तरह पर्याप्त दूध मिलना मुश्किल हो रहा है।
जैसे ही दूध यहां पहुंचता है तो किसानों में मारामारी देखी जा सकती है। माना जा रहा है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी तो दूध का उत्पादन भी कम होगा। दूध लेने के लिए सेक्टर नौ बाईपास पर तो किसान अपने बर्तनों की ही लाइन लगाकर चले जाते हैं। वहीं दूध की आपूर्ति के लिए पंजाब के मानुके संधु के किसानों ने तो एक लाख रुपये की भैंस ही खरीद ली है। यह भैंस हर रोज 16 किलोग्राम दूध दे रही है। इससे मानुके संधु के ग्रामीणों को अब दूध की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ रहा है।