किसानों से 35 रुपये किलो के हिसाब से खरीदी जा रही मूंगफली, दुकानों पर बिक रही 100 रुपये
रोजाना 1000 से 1500 क्विंटल पहुंच रही मूंगफली,10 जनवरी तक सीजन, झुंझुनू, सीकर, खेतड़ी, चोमू, सिगाना सहित अन्य क्षेत्र से आ रही मूंगफली, किसानों की मांग- मूंगफली की भी हो बोली
जेएनएन, हिसार : मंडी में मूंगफली की आवक तेजी से बढ़ रही है। राजस्थान के सीकर, झुंझुनू, खेतड़ी, चोमू, सिगाना के अलावा अन्य क्षेत्रों से मूंगफली आ रही है। रोजाना मंडी में 1000 से 1500 क्विंटल मूंगफली पहुंच रही है। अब तक करीब 30 हजार बोरियां आ चुकी हैं, जोकि 30 किलो की बोरी में है। मगर राजस्थान से आ रही मूंगफली किसानों आढ़तियों को 3000 से 4200 रुपये तक बेच रहे हैं, जबकि बाहर दुकानों पर मूंगफली 100 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही है। ऐसे में किसान घाटे में जा रहा है। उधर सरकारी बोली नहीं होने के कारण मंडी में मूंगफली को लेकर पहुंच रहे किसान परेशान है।
जबकि मंडी में हर साल मूंगफली की आवक ज्यादा होती है, उसके बावजूद सरकार की ओर से कोई बोली नहीं है। किसानों ने मांग की मूंगफली की भी सरकारी बोली निर्धारित कराई जाए, ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो। वहीं मंडी में राजस्थान से मूंगफली आकर हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, यूपी सहित अन्य क्षेत्रों में जाती है। वहीं व्यापारियों की माने तो इस बार पिछले साल के मुकाबले मूंगफली की आवक ज्यादा हो रही है। 10 जनवरी तक मंडी में मूंगफली का सीजन रहेगा।
इसलिए आ रहा रेट में इतना फर्क
मंडी में मूंगफली 3000 से 4200 रुपये तक बिक रही है। कारण है कि मूंगफली में नमी की मात्रा ज्यादा है। नमी की मात्रा ज्यादा होने के कारण मूंगफली में कालापन आ जाता है। किसान भी मंडी में अपनी मूंगफली सुखाकर नमी की मात्रा दूर कर रहे हैं, लेकिन जिस हिसाब से मंडी में मूंगफली आ रही है, उसी हिसाब से बिक नहीं रही है।
क्वालिटी के हिसाब से खरीदी जाती है मूंगफली
वहीं मंडी में आढ़ती क्वालिटी को देखकर किसान से मूंगफली खरीदता है। फिलहाल 3000 से 4200 रुपये तक मूंगफली खरीदी जा रही है। मूंगफली में नमी की मात्रा ज्यादा होने के कारण कम दाम में मूंगफली बिक रही है। वहीं मूंगफली में कालापन की समस्या भी ज्यादा आ रही है। इसके चलते किसानों को मूंगफली के रेट बहुत कम मिल रहे हैं।
सरकार नहीं कराती बोली
अनाज मंडी व्यापारी जगदीश जैन ने कहा हर साल मंडी में मूंगफली की आवक ज्यादा होती है। लेकिन सरकार की ओर से कोई बोली नहीं कराई जाती। मूंगफली की भी अन्य फसलों की तरह बोली कराई जाए। ताकि न तो किसान परेशान हो और न ही व्यापारी।
किसानों को हो रहा नुकसान
किसान महिपाल गुर्जर ने कहा मूंगफली की सरकारी बोली नहीं होने परेशानी उठानी पड़ती है। मूंगफली बेचने और खरीद को लेकर कोई हिसाब नहीं रहता। मूंगफली की भी सरकारी रेट पर बोली कराई जाए।
मूंगफली का नहीं कोई सरकारी रेट
मार्केट कमेटी के चेयरमैन महाबीर जांगड़ा ने कहा मूंगफली की कोई सरकारी बोली नहीं होती है। व्यापारी अपने हिसाब से किसान से मूंगफली खरीदता और और अपने हिसाब से ही आगे बेचता है।