Shardiya Navratri 2020: शनिवार से शुरू, शनिवार को ही संपन्न होंगे नवरात्र, चित्रा नक्षत्र व विष्कुंभ योग में शुरुआत
नवरात्रों का प्रारंभ शनिवार से होगा और शनिवार को ही इसका समापन होगा। नवरात्रों में दो शनिवार आएंगे। अष्टमी तिथि शनिवार को सुबह लगभग 7 बजे तक रहेगी। उसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी इसलिए अष्टमी और नवमी तिथि की पूजा अर्चना व कन्या पूजन 24 अक्टूबर को होगा
हिसार, जेएनएन। इस बार करीब 19 साल बाद एक महीना देरी से आने वाले मां दुर्गा के आश्विन कृष्ण पक्ष शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर दिन शनिवार चित्रा नक्षत्र व विष्कुंभ योग में शुरू हो रहे हैं। नवरात्रों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी और भैंसे पर विदा होंगी। माता के वाहन के रूप से भविष्य को लेकर युद्ध के संकेत मिलते हैं।
विश्वकर्मा मंदिर, ऋषि नगर के पुजारी एवं राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंस्था के जिलाध्यक्ष आचार्य राममेहर शास्त्री ने बताया कि नवरात्रों में मां दुर्गा आदिशक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि आती है। मां दुर्गा लक्ष्मी रूप में आशीर्वाद प्रदान करती है। नवरात्रों में अखंड ज्योत जलाने का भी विधान बताया गया है। मां दुर्गा आदि शक्ति की पूजा करने से बल बुद्धि विद्या और यश की प्राप्ति होती है। इस साल नवरात्र पर 5 योग बन रहे हैं, जो बहुत ही शुभ माने जाते हैं।
8 दिन के होंगे नवरात्र
नवरात्रों का प्रारंभ शनिवार से होगा और शनिवार को ही इसका समापन होगा। नवरात्रों में दो शनिवार आएंगे। अष्टमी तिथि दिन शनिवार को सुबह लगभग 7 बजे तक रहेगी। उसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी इसलिए अष्टमी और नवमी तिथि की पूजा अर्चना व कंजक यानि कन्या पूजन 24 अक्टूबर को किया जाएगा। नवमी तिथि का समापन 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 42 मिनट पर होगा। इसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इसी दिन रविवार को दशहरा मनाया जाएगा। 9 दिन के नवरात्र 8 दिन में ही समाप्त हो जाएंगे। घट स्थापन मुहूर्त 17 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। घट स्थापन का अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 27 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
यूं करें पूजन
नवरात्रों की पूजन विधि के बारे में शास्त्री ने बताया कि रोली-मोली, चावल लोंग, इलायची, सुपारी, पानी वाला नारियल, मां दुर्गा की चुनरी, हल्दी की गांठ, केसर आदि लेकर कलश की पूजा करें। सबसे पहले रेती में जौ बीजकर उसके ऊपर पंच पल्लव सहित कलश स्थापना करें। लाल कपड़ा में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित कर दें। सबसे पहले भगवान गणेश और गौरी की पूजा करें। इसके बाद मां दुर्गा आदिशक्ति की पूजा अर्चना करनी चाहिए।