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गायों को दिलाई जाएगी वैज्ञानिक पहचान, मोबाइल रेडिएशन को रोकने में कारगर होता है गोबर

हिसार में पहुंचे राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कि कई देशों में गायों के प्रोडक्ट को लोग प्रयोग में ला रहे हैं। इसी लिए भारत में भी गाय के उत्पादों को लेकर संभावनाएं कामधेनु आयोग तलाश रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 05:11 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:11 PM (IST)
गायों को दिलाई जाएगी वैज्ञानिक पहचान, मोबाइल रेडिएशन को रोकने में कारगर होता है गोबर
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया

हिसार, जेएनएन। देश में गायों को वैज्ञानिक रूप से पहचान दिलाने की तरफ केंद्र सरकार काम कर रही है। कई देशों में गायों के प्रोडक्ट को लोग प्रयोग में ला रहे हैं। इसी लिए भारत में भी गाय के उत्पादों को लेकर संभावनाएं कामधेनु आयोग तलाश रहा है। यह बात शुक्रवार को हिसार के लघु सचिवालय में पत्रकार वार्ता के दौरान राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने कही। अध्यक्ष यहां पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों से बैठक करने पहुंचे थे। इसमें गोवंश के संरक्षण व संवर्धन को लेकर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने पुलिस को गोवंश की तस्करी रोकने के लिए भी कहा है।

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उन्होंने कहा कि गोवंश के संरक्षण और संवर्धन को लेकर चलाए गए राष्ट्रव्यापी अभियान में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। हमारे वेद पुराणों में निहित गौवंश का महत्व केवल धर्म या आस्था का विषय नहीं, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन विज्ञान है। आधुनिक विज्ञान ने भी इस बात पर अपनी मोहर लगाई है। इस दौरान डीसी डा. प्रियंका सोनी ने गोवंश के संरक्षण व संवर्धन की तरफ विशेष ध्यान देने का भरोसा भी दिलाया।

भारतीय नस्ल की गायों का दूध सर्वोत्तम

डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कि दुनिया के बहुत से ऐसे विकसित देश हैं, जहां पशुपालन का व्यवसाय बड़े स्तर पर किया जाता है। ऐसे देशों में वहां की कुल जनसंख्या से ज्यादा पशुधन है। दुनियाभर में हुई शोध यह बताती है कि गोवंश से मिलने वाले दूध व अन्य पदार्थ अनमोल हैं। न्यूजीलैंड जैसे देशों ने अपनी शोध में पाया है कि भारतीय नस्ल की गायों से मिलने वाला ए-2 दूध इंसान के लिए सर्वोत्तम है, इसलिए उन्होंने अपने यहां भी भारतीय नस्ल की गायों के पालन को बढ़ावा दिया है।

रूस की सेना बंकर में गोबर का करती है प्रयोग

अध्यक्ष ने कहा कि भारत में गाय के गोबर से घरों में दीवारों और आंगन की पुताई होती थी। इसके पीछे भी एक बड़ा विज्ञान है। रूस की सेना अपने सैनिकों के बकंर बनाने के कार्य में गोबर का उपयोग काफी अरसे से करती आ रही है क्योंकि यह मोबाइल रेडिएशन को रोकने में काफी हद तक कारगर है। भारत में भी इस प्रकार की पहल किए जाने की आवश्यक्ता है।

22 जिलों में गोबर गैस प्लांट किए स्थापित

वहीं हरियाणा गो सेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण गर्ग ने कहा कि आयोग के माध्यम से हरियाणा में सभी 22 जिलों में गोबर गैस प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। 50 गोशालाओं में पंचगव्य तथा दीपावली पर इस्तेमाल होने वाले विभिन्न उत्पाद बनाए जा रहे हैं। इस संबंध में विभिन्न जिलों में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। बैठक के उपरांत डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने नगर निगम द्वारा संचालित नंदी गौशाला, राजकीय पशुधन फॉर्म, श्री कृष्ण गौशाला एवं अनुसंधान केंद्र काबरेल का भी दौरा किया और वहां चल रहे विभिन्न कार्यों की जानकारी ली।


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