डीए न मिलने व निजीकरण से नाराज कर्मचारी, पूरे हरियाणा में 15 जुलाई को करेंगे प्रदर्शन
सर्व कर्मचारी संघ ने रोहतक में बैठक पर प्रदर्शन की रणनीति बनाई। 2500 करोड़ रुपये डीए न देने और निजीकरण पर नाराजगी जताई। ठेका स्वास्थ्य कर्मचारियों को निकालने की निंदा की। 30 जून को सभी सिविल सर्जन कार्यालयों पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया।
रोहतक, जेएनएन। सर्व कर्मचारी संघ ने हरियाणा सरकार पर 2500 करोड़ रुपये डीए के नहीं देने और सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का अंधाधुंध निजीकरण करने आरोप लगाते हुए 15 जुलाई को प्रदेश भर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। आंदोलन का यह निर्णय वीरवार को सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा की अध्यक्षता में कर्मचारी भवन में आयोजित राज्य कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया।
महासचिव सतीश सेठी द्वारा संचालित इस बैठक में सकसं की केन्द्रीय कमेटी के पदाधिकारी एवं सदस्य, जिला प्रधान व सचिव के अलावा सभी विभागीय और यूनिवर्सिटी के गैर शिक्षक संगठनों के प्रधान व महासचिव शामिल थे। सभी ने धोषित आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया। मीटिंग में सबको बेहतर एवं निशुल्क स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने तथा स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने की मांग को लेकर 25 जून को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया। इसका आह्वान सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व जन स्वास्थ्य अभियान ने संयुक्त रूप से किया।
ठेका स्वास्थ्य कर्मियों को हटाने की निंदा
मीटिंग में स्वास्थ्य मंत्री व महानिदेशक के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए स्वास्थ्य विभाग में ठेका कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोर निंदा की और 30 जून को सभी सिविल सर्जन कार्यालयों पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया। मीटिंग में रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव राजेंद्र अहलावत भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि पेंशनर्स भी घोषित आंदोलन में शामिल होंगे।
रिटायर होने वालों को ढाई लाख का नुकसान
प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि जो कर्मचारी 30 जून को रिटायर हो रहे हैं, उनको 12 प्रतिशत डीए न मिलने के कारण लीव एनकेशमेंट व ग्रेज्यूटी के रूप में करीब ढाई लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा।
केंद्र सरकार से ये मांगें
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार डीए बहाली और एनपीएस रद्द करके पुरानी पेंशन बहाल करने, कोविड में जान गवाने वाले कर्मचारियों को 50 लाख रुपए मुआवजा व मृतक आश्रितों को बिना शर्त पक्की नौकरी देने, एक्सग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाने, भगत फूलसिंह महिला विश्वविद्यालय के साहयक प्रोफेसर सहित अन्य ठेका कर्मचारियों को समान काम समान वेतन एवं सेवा सुरक्षा देने आदि मांगों की अनदेखी कर रही है। जिसको लेकर कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
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