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हरियाणा भर के चिकित्सकों को कृत्रिम अंगों पर ट्रेनिंग देगा रोहतक पीजीआइ, पहला बैच शुरू

डा. कुंदन मित्तल ने बताया कि सभी अस्पतालों में मशीनरी उपलब्ध है और विशेषज्ञों की कमी होने के चलते इन शिशु रोग चिकित्सकों बेहोशी विभाग के चिकित्सकों व मेडिकल अफसरों को बताया जा रहा है कि किस मशीन के माध्यम से हम गंभीर मरीज को कैसे बचा सकते हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 05:58 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 05:58 PM (IST)
हरियाणा भर के चिकित्सकों को कृत्रिम अंगों पर ट्रेनिंग देगा रोहतक पीजीआइ, पहला बैच शुरू
पीजीआई में आक्सीजन की मात्रा का समझाया महत्व, एचएनएफसी, एनआईवी व सीपैप लगाना सिखाया

रोहतक, जेएनएन। हरियाणा प्रदेश भर के चिकित्सकों को अब पीजीआइ में हर सप्ताह दो दिन कृत्रिम अंगाें पर ट्रेनिंग दी जाएगी। इसकी शुरूआत मंगलवार को तीन जिलों के 22 चिकित्सकों को ट्रेनिंग देकर की गई। पीजीआइ की ओर से यह सब तीसरी लहर की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। अगर बच्चे ज्यादा संख्या में संक्रमित होते हैं तो उन्हें अपने जिले में ही उचित इलाज मिल जाए। वहीं उनका इलाज करने वाला चिकित्सक पूरी तरह से प्रशिक्षित होगा तो किसी प्रकार की कोई अपि्रय घटना नहीं होगी। डा. कुंदन मित्तल ने बताया कि हर सप्ताह मंगलवार व बुधवार को यह ट्रेनिंग कार्यक्रम रखा जाएगा, जिसमें 19 से 22 चिकित्सकों को ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी।

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आक्सीजन की मात्रा का ज्ञान अति आवश्यक

डा. कुंदन मित्तल ने बताया कि सभी अस्पतालों में मशीनरी उपलब्ध है और विशेषज्ञों की कमी होने के चलते इन शिशु रोग चिकित्सकों, बेहोशी विभाग के चिकित्सकों व मेडिकल अफसरों को बताया जा रहा है कि किस मशीन के माध्यम से हम गंभीर मरीज को कैसे बचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन एक दवा है, परंतु खतरनाक दवा साबित हो सकती है, यदि मात्रा से ज्यादा दे दी जाए तो। ऐसे में हर चिकित्सक व नर्स को पता होना चाहिए कि किस मरीज को कितनी आक्सीजन की मात्रा प्रदान करनी होती है।

डिप्टी डायरेक्टर भी लेने पहुंची ट्रेनिंग

मंगलवार को हुई ट्रेनिंग में चाइल्ड हेल्थ की डिप्टी डायरेक्टर डा. सिम्मीवीर भी ट्रेनिंग लेेने पहुंची। डा. प्रशांत ने बताया कि मंगलवार को चिकित्सकों को एचएनएफसी, एनआईवी व सीपैप लगाना सिखाया गया और उनसे खुद लगवाकर देखा गया। फिलहाल झज्जर, जींद व सोनीपत जिले के 22 चिकित्सकों को कृत्रिम अंगों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

ट्रेनिंग के लिए भेजा था प्रस्ताव

तीसरी लहर की आंशका को देखते हुए पूरे प्रदेश के चिकित्सकों को ट्रेनिंग प्रदान करने का प्रपोजल तैयार किया गया था, जिसे कुलपति डा. ओपी कालरा की ओर से काफी सराहा गया। एसीएस एमईआर आलोक निगम द्वारा उसे तुरंत मंजूरी प्रदान कर दी गई।

----प्रदेश में आईसीयू के शिशु रोग विशेषज्ञों की काफी कमी है और तीसरी लहर में यदि बच्चे ज्यादा प्रभावित हुए तो स्थिति को सरकारी अस्पतालों में संभालने के लिए पूरे प्रदेश के चिकित्सकों को चरणबद्व तरीके से डॉ. कुंदन मित्तल व डॉ. प्रशांत द्वारा ट्रेनिंग प्रदान की जा रही है संस्थान का प्रयास है कि बच्चों के लिए 400 आक्सीजन बैड तैयार किए जाए और एक 100 बैड का आईसीयू भी तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही मेडिकल गैस पाइप लाइन पर भी कार्य किया जा रहा है।


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